2 घंटे बाद ही बेअसर हो जाता है ऐसा Sunscreen, भूलकर भी ना करें इस्तेमाल
punjabkesari.in Tuesday, Oct 19, 2021 - 11:17 AM (IST)
सनस्क्रीन आजकल हर किसी की डेली स्किनकेयर रूटीन का हिस्सा बन गया है, खासकर लड़कियों की। यह त्वचा को सन डैमेज और सनबर्न से बचाता है। स्किनकेयर विशेषज्ञ भी अक्सर सलाह देते हैं कि बिना सनस्क्रीन लगाए बाहर न निकलें। मगर, अब एक नए अध्ययन के अनुसार जिंक ऑक्साइड वाला सनस्क्रीन पराबैंगनी विकिरण के संपर्क में आने के 2 घंटे बाद बेअसर हो जाता है।
दरअसल, हाल ही में अमेरिकी और ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च में पाया कि जिंक ऑक्साइड वाले सनस्क्रीन 2 घंटे बाद ही अप्रभावी और विषाक्त हो जाती है। ऐसे में शोधकर्ताओं ने सनस्क्रीन उपयोगकर्ताओं को जस्ता ऑक्साइड वाले उत्पादों से बचने के लिए चेतावनी दी। यूके में लीड्स विश्वविद्यालय के सह-लेखक प्रोफेसर रिचर्ड ब्लैकबर्न ने कहा: "हम अभी भी उपभोक्ताओं को सनस्क्रीन का उपयोग करने की सलाह देते हैं लेकिन उन्हें जिंक ऑक्साइड के साथ सनस्क्रीन मिश्रण से बचने के लिए सावधान रहना चाहिए।"
शोधकर्ताओं ने कहा कि सनस्क्रीन यूवी एक्सपोजर और त्वचा कैंसर को कम करने में मदद करते हैं लेकिन कुछ सनस्क्रीन फॉर्मूलेशन के उपयोग में अनपेक्षित विषाक्तता हो सकती है। जिंक ऑक्साइड या टाइटेनियम डाइऑक्साइड जैसे अकार्बनिक यौगिकों वाले सनस्क्रीन, जो यूवी किरणों को रोकते हैं, को कार्बनिक छोटे-अणु यौगिकों के सुरक्षित विकल्प के रूप में अधिक से अधिक भारी रूप से विपणन किया जा रहा है जो किरणों को अवशोषित करते हैं।
शोधकर्ताओं ने अमेरिका और यूरोप में उपलब्ध विभिन्न उत्पादों से यूवी फिल्टर युक्त पांच एसपीएफ़15 मिश्रण वाले सनस्क्रीन बनाएं, जिसमें सक्रिय तत्व और 6% जिंक ऑक्साइड भी थी। शोधकर्ताओं ने पाया कि जिंक ऑक्साइड पराबैंगनी-ए किरणों के खिलाफ कार्बनिक फिल्टर संरक्षण में 80% से अधिक नुकसान हुआ, जो पृथ्वी तक पहुंचने वाले यूवी विकिरण का 95% हिस्सा बनाते हैं।