Padma Awards 2021: जिन हाथों ने कभी नहीं पकड़ा था पेन आज उन्हीं ने रचा इतिहास, जानिए दुलारी देवी की कहानी
punjabkesari.in Saturday, Jan 30, 2021 - 02:41 PM (IST)
कहते हैं कि आपके हाथ में कला होना बेहद जरूरी होता है। अगर आपके हाथ में कला है तो आप कहीं भी जाकर अपना पेट पाल सकते हैं और जीवन में सफलता पा सकते हैं। हां जिंदगी आपके कईं परिणाम लेती है लेकिन इसकी अर्थ यह नहीं है कि आप हार जाएं। कुछ ऐसी ही कहानी है दुलारी देवी की जिन्होंने अपनी सफलता से दिखा दिया कि अगर आपमें कुछ पाने की लग्न है तो आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता है। इसी सफलता के कारण अब दुलारी देवी को पद्मश्री पुरस्कार मिलने जा रहा है।
कौन है दुलारी देवी?
दुलारी देवी बिहार के मधुबनी जिले के रांटी गांव की रहने वाली है। वह मल्लाह बिरादरी से हैं, जो अतिपिछड़ा समुदाय में आती है। दुलारी देवी अपने परिवार में वो पहली महिला हैं जिन्होंने मिथिला पेंटिंग बनाना सीखा लेकिन दुलारी देवी ने अपने जीवन में बहुत सारी परेशानियां देखी लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और यही कारण है कि आज उनकी सफलता का परचम देश विदेश तक लहरा रहा है।
12 साल की उम्र में हुई शादी
दुलारी देवी का जन्म बेहद गरीब परिवार में हुआ और दूसरा दुख जो उन्हें देखना पड़ा वो था कि उनके घरवालों ने उनकी शादी 12 साल की उम्र में कर दी वो उम्र जिसमें हमारी आंखों में कईं तरह के सपने होते हैं। लेकिन दुलारी ने हालातों के साथ समझौता किया और शादी कर ली लेकिन दुलारी की जिंदगी में एक और गम आया वो था कि वह शादी के 2 साल बाद ही घर वापिस आ गई।
पढ़ी लिखी न होने के कारण करना पड़ा घरों में काम
दुलारी पढ़ी लिखी नहीं थी लेकिन उनमें जो कला थी उससे तो शायद वह खुद अनजान थी। लेकिन अब क्या करती? हालातों के आगे झुकी और दूसरे के घरों में काम करने लगी। झाड़ूं पोछा करती और पेट पालती लेकिन कहते हैं न कि दिन सभी के बदलते हैं और दुलारी की जिंदगी में भी दुखों के हनेरे के बाद सवेरा आया।
पेंटिंग बनाने का सिलसिला किया शुरू और बदल गई किस्मत
दुलारी देवी की जिंदगी धीरे-धीरे करवट ले रही थी लेकिन शायद वह नहीं जानती थी आगे जाकर वह इतनी सफल हो जाएंगी कि पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम भी उनकी तारीफ करते हुए नहीं थकेंगे। दरअसल लोगों के घर झाडूं पोछा करती दुलारी को मशहूर आर्टिस्ट कर्पूरी देवी के घर भी काम मिल गया वह वहां पर भी काम किया करती। अब खाली समय में दुलारी ने पेंटिंग करनी शुरू कर दीं और मिट्टी से घर को ही रंगना शुरू कर दिया।
कर्पूरी देवी को देख बनाया पेंटिंग करने का मन
पहले पहले तो दुलारी देवी दिवारों पर ही पेंटिंग करती लेकिन धीरे धीरे वह ब्रश के साथ, और फिर कागज पर और धीरे धीरे कपड़ों पर पेंटिंग करने लगीं। दुलारी देवी शायद खुद भी अपनी इस कला से अनजान होगी। दुलारी देवी के काम को धीरे-धीरे सहारना मिलने लगी और लोगों उनके इस काम की काफी तारीफ करने लगे।
अब तक बना चुकी हैं 8 हजार पेंटिंग
मीडिया रिपोर्टस की मानें तो दुलारी देवी अब तक अलग-अलग विषयों पर अब तक तकरीबन 8 हजार पेंटिंग बना चुकी हैं। इतना ही नहीं दुनियाभर में दुलारी देवी की पेंटिंग्स की हर कोई तारीफ कर चुका है। आपको बता दें कि दुलारी देवी की पेंटिंग मैथिली भाषा के पाठ्यक्रम के मुख्यपृष्ठ पर भी छप चुकी हैं। इसके साथ ही गीता वुल्फ की 'फॉलोइंग माइ पेंट ब्रश' के अलावा मार्टिन ली कॉज की फ्रेंच में लिखी किताबों की शोभा बढ़ा रही है।
गांव की महिलाओं को देना चाहती हैं पेंटिंग की शिक्षा
दुलारी देवी ने इस मुक्काम को पाने के लिए काफी मुश्किलें देखी। वह अपनी इस सफलता पर कहती हैं कि उन्हें यहां तक पहुंचने के लिए बहुत सारी मुश्किलों से गुजरना पड़ा लेकिन अब वो चाहती हैं कि उनके गांव की लड़कियों को इस तरह की परेशानियों का सामना बिल्कुल भी न करना पड़े इतना ही नहीं दुलारी देवी तो अपने गांव की महिलाओं व लड़कियों को पेंटिंग की शिक्षा देना चाहती हैं।
राज्य पुरस्कार से हो चुकीं सम्मानित
दुलारी की इसी सफलता पर उन्हें अब पद्मश्री अवार्ड दिया जाएगा। आपको बता दें कि 2012-13 में दुलारी राज्य पुरस्कार से सम्मानित हो चुकी हैं।
सच में आज हम दुलारी देवी के इस जज्बे को सलाम करते हैं वह आज बहुत सारी महिलाओं के लिए मिसाल है जो गरीबी के आगे और जिंदगी की मुश्किलों के आगे हार जाती है।