अनोखी होती है मंडी की महाशिवरात्रि, जानिए 'छोटी काशी' के शिवरात्रि मेले का इतिहास

punjabkesari.in Monday, Feb 06, 2023 - 02:54 PM (IST)

हिमाचल प्रदेश की संस्कृति की तरह मंडी की महाशिवरात्रि का पर्व कई मायनों में अनोखा है। यहां देवताओं और लोगों के मिलन की झलक नजर आती है। दरअसल हिमाचल के लगभग हर गांव के अपने देवता होते हैं। इन्हीं देवताओं की जलेब (शोभायात्रा)  शिवरात्रि में पहुंचती है और इसे खास बना देती है। जो भी देवी-देवता जिस स्थान से संबंध रखते हैं, वहां के लोग उनको पालकी या पीठ पर उठाकर मंडी के पड्डल मैदान तक लाते हैं।

भगवान शिव को दिया जाता है न्योता

छोटी काशी के नाम से मशहूर मंडी शहर के राज देव माधव राय की पालकी से महोत्सव की शुरुआत होती है। इसी के जरिए भूतनाथ मंदिर में भगवान शिव को न्योता दिया जाता है। महोत्सव में कमरुनाग देवता सबसे पहले आते हैं। इस मेले को शैव, वैष्णव और लोक देवता का संगम माना जाता है। ये मेला 7 दिन तक चलता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर के इस मेले में शामिल होने के लिए पर्यटकों की भी काफी दिलचस्पी रहती है।

लोगों का मानना है कि 1788 में मंडी के राजा ईश्वरी सेन ने जब मंडी रियासत की बागडोर संभाली थी तब उनके शासन काल में कांगड़ा के महाराजा संसार चंद की कैद से आजाद हुए थे। स्थानीय लोग अपने  देवताओं के साथ राजा से मिलने मंडी पहुंचे थे। तब राजा की रिहाई और शिवरात्रि के साथ जश्न मनाया गया था। इसी तरह मंडी के शिवरात्रि महोत्सव की शुरुआत हुई थी। हालांकि इससे जुड़ी और भी कई कहानियां मशूहर हैं। 

Content Editor

Charanjeet Kaur