डिप्रेशन से बचाएगा 'सोशल मीडिया डिटॉक्स', जानें इसके फायदे

punjabkesari.in Saturday, Dec 07, 2019 - 04:16 PM (IST)

डिप्रेशन एक ऐसी बीमारी है जो आज पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। भागदौड़भरी तनावपूर्ण जिंदगी के कारण लगभग 5 में से 3 व्यक्ति इसकी चपेट में हैं। आंकड़ों के अनुसार, 25 वर्ष से कम उम्र के 75% युवा इसकी चपेट में हैं, जिसका कारण काफी हद तक सोशल मीडिया भी है। शोध के अनुसार, सोशल मीडिया दिमाग व नींद के चक्र में बुरा असर डालता है, जिससे युवा डिप्रेशन की चपेट में आज जाते हैं। ऐसे में इससे बचने के लिए जरूरी है। ऐसे में जरूरी हो गया है कि आप अपने सोशल माडिया इफेक्ट को डिटॉक्स करने के बारे में सोचें। तभी आप एक शांत और स्वस्थ जीवन जी पाएंगे।

सबसे पहले जानें, कैसे पहचानें डिप्रेशन के लक्षण...

. नींद की कमी
. निरंतर बदलती मनोदशा, चिंता और उदासीनता
. सुबह उठने में कठिनाई
. थकान और सुस्ती रहना 
. अधिक खाने या इसके विपरीत भूख की कमी
. शरीर में अकारण दर्द और मोच लगना
. शराब, तंबाकू और कैफीन की खपत बढ़ना
. आत्महत्या का ख्याल 
. ध्यान लगाने में मुश्किल 
. काम करने में अधिक समय लेना

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क्या है सोशल मीडिया डिटॉक्स?

सोशल मीडिया आज हर किसी की लाइफ का जरूरी हिस्सा बन चुकी है, फिर आप चाहें काम, इंटरटेरमेंट या किसी ओर वजह से इसका इस्तेमाल क्यों ना करें। कुछ लोग तो अपनी भावनाओं को भी एक-दूसरे के सामने व्यक्त करने की बजाए स्क्रीन के सामने ज्यादा सहज महसूस करते हैं, जो धीरे-धीरे आदत बन जाती है। अगर आप भी सोशल मीडिया के आदि हो चुके हैं तो आपको सोशल मीडिया डिटॉक्स की सख्त जरूरत हैं। इसका मतलब है कि वास्तविकता में जुड़ना।। अब जरूरत है कि आप इसके असर से बचें और कम से कम व सीमित मात्रा में इसका यूज करें और लोगों से ज्यादा बातचीत करें। साथ ही सूचना के अधिक भार के तले दबने से बचें।

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चलिए अब हम आपको बताते हैं कि आखिर आज के समय में क्यों जरूरी हो गया है सोशल मीडिया डिटॉक्स...

अपनों से दूरी

आजकल लोग दोस्तों व परिवार के साथ समय बिताने की बजाए सोशल मीडिया को अधिक महत्व देते हैं, जिससे ना सिर्फ वो रिश्तों से दूर हो रहे हैं बल्कि डिप्रेशन की ओर भी कदम बढ़ा रहे हैं। यही नहीं, इसका अधिक इस्तेमाल उन्हें असुरक्षा की ओर भी ले जा रहा है।

खो रहे हैं असली पहचान

सोशल मीडिया पर अक्सर लोग नही करते हैं जो दूसरों को अच्छा लगता है। ऐसे में वह धीरे-धीरे अपनी असली पहचान खो देते हैं। यह आपको आपकी अपनी पसंद और नापसंद और वास्तविकता से दूर कर देता है।

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सेल्फ सेंट्रिक होना

दरअसल, लोग सोशल मीडिया पर लाइक व कमेंट्स का इंतजार करते हैं, जिसके चक्कर में वो सेल्फ सेंट्रिक होने लगते हैं। इसका असर उनकी असर जिंदगी पर भी पड़ता है क्योंकि वह असर जिंदगी में भी अपने आस-पास के लोगों से तारीफ की उम्मीद रखने लगते हैं।

अधिक जानकारी भी है खतरनाक

सोशल मीडिया पर आपको जरूरत से जानकारी मिल जाती है, जिससे मानसिक शांति को नुकसान पहुंचता है। अधिक जानकारी, गपशप और गलत खबरें पहले तनाव और फिर डिप्रेशन का कारण बन जाती है।

सोशल मीडिया डिटॉक्स कैसे करें?

इसके लिए आपको सोशल मीडिया का इस्तेमाल सीमित करना होगा। दिनभर में सिर्फ 1-2 घंटे या जरूरत पड़ने पर ही इसका यूज करें। काम करते वक्त मोबाइल से दूर रहें। अपने परिवार, दोस्तों के साथ अधिक समय बिताएं और एक्सरासइज व योग जरूर करें। गेम्स और दूसरे ना इस्तेमाल होने वाले ऐप्स को डिलिट कर दें। इसके अलावा व्हाट्सएप, फेसबुक, ट्विटर जैसी साइट्स पर भी कम समय बिताएं।

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सोशल मीडिया डिटॉक्स के फायदे...

. नींद का पैटर्न सही हो जाएगा और आपको नींद भी अच्छी आएगी।
. इससे तनाव कम होगा और बेवजह होने वाले सिरदर्द से भी छुटकारा मिलेगा।
. दिमाग शांत होगा और आप एनर्जेटिक महसूस करेंगे।
. आत्मविश्वास बढ़ेगा और काम में भी मन लगेगा।
. परिवार और दोस्तों के साथ ज्यादा समय बिता पाएंगे, जिससे आपके रिश्ते भी खराब नहीं होंगे।


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Content Writer

Anjali Rajput

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