रंग बिरंगे पौधों से महकाएं घर आंगन, इस तरह अपने बगीचे को रखें हरा-भरा
punjabkesari.in Friday, Apr 15, 2022 - 03:20 PM (IST)
फैशन ने हमारे घरों में रखे जाने वाले पौधों को प्रभावित किया है और विभिन्न प्रकार के रंग बिरंगे पौधों का चलन समय के साथ घटता बढ़ता रहा है, जैसे इन दिनों इनडोर पौधे लोगों के बीच खूब लोकप्रिय हो रहे हैं। रंग बिरंगे पौधों में कई रंग होते हैं - आमतौर पर उनकी पत्तियों पर, लेकिन कुछ मामलों में तनों, फूलों और फलों पर भी तरह तरह के रंग बिरंगे आकार दिखाई देते हैं। उनके पैटर्न में धारियां, बिंदु, किनारे और पैच शामिल हैं। वे आमतौर पर सफेद या पीले रंग के साथ हरे होते हैं, लेकिन लाल, गुलाबी, चमकीले और अन्य रंगों के भी हो सकते हैं।
विभिन्न रंगों के पौधों को लेकर लोगों की पसंद अलग हो सकती है। ऐसा लगता है कि विभिन्न रंगों के इन्डोर पौधे घर सजाने के मामले में एक जरूरी चीज बन गए है। लेकिन इससे पहले कि आप अपना घर सजाने की जल्दबाजी में एक पौधा खरीद लाएं यह जान लेना जरूरी है कि पौधों को ज्यादा समय तक स्वस्थ और खुश कैसे रखा जा सकता है।
रंग बिरंगे पौधों को समझना
अधिकांश पौधों की प्रजातियां पूरी तरह से हरे रंग की होती हैं लेकिन कभी-कभी उनमें अलग रंग भी होते है। ऐसे ही कुछ पौधों को अलग और विशिष्ट होने के कारण खास पसंद किया जाता है।
पौधों की विविधता कई कारणों से हो सकती है।
कुछ पौधों में, जैसे कि ट्यूलिप के फूल में यह एक वायरल संक्रमण के कारण होता है। विभिन्न रंगों की कतारें सौंदर्य प्रभाव के आधार पर कई बार बहुत पसंद की जाती हैं। अन्य पौधे, जैसे कि जीनस कोलियस में, स्वाभाविक रूप से डिजाइन बने होते हैं। कोशिकाओं के समूह अलग-अलग रंग संयोजन उत्पन्न करते हैं, जिससे पत्तियां आकर्षक और विभिन्न आकर के बिंदुओं के साथ बढ़ती हैं। आनुवंशिक उत्परिवर्तन से पौधों में विविधताएं भी उत्पन्न हो सकती हैं। विभिन्न रंगों के पौधे उगाते समय, यह समझना महत्वपूर्ण है कि विभिन्न रंग उनके कार्य करने के तरीके को कैसे प्रभावित करते हैं।
पौधों के हरे भाग में क्लोरोफिल होता है, जो प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक होता है। रंगीन पौधों में, पत्तियों के सफेद भागों में क्लोरोफिल नहीं होता है और इसलिए उनमें प्रकाश संश्लेषण नहीं होता है। पत्तियों के पीले भाग क्लोरोफिल को ऊर्जा भेजने में मदद कर सकते हैं, लेकिन स्वयं प्रकाश संश्लेषण नहीं कर सकते। वही ऊतक के कुछ लाल, नारंगी और गुलाबी पैच के साथ भी यही होता है। लेकिन पत्ते में सभी कोशिकाएं - चाहे हरी हों या नहीं - पौधे की ऊर्जा का उपयोग करती हैं। इसका मतलब है कि विभिन्न प्रकार के पौधे अपने सभी हरे समकक्षों की तुलना में कम कुशल ऊर्जा उत्पादक होते हैं, जिससे वे अधिक धीरे-धीरे बढ़ते हैं। कुछ पौधे बिना क्लोरोफिल वाले एल्बिनो में उत्परिवर्तित हो जाते हैं। ये आम तौर पर उगने के कुछ दिनों या हफ्तों के भीतर मर जाते हैं।
घर के अंदर अपने पौधे की देखभाल
यह कोई संयोग नहीं है कि कई लोकप्रिय इनडोर पौधे - जैसे कोलियस, फिलोडेंड्रोन, मॉन्स्टेरस, ड्रैकैना और कैलाथिया - भिन्न हैं। क्योंकि वे आमतौर पर प्रजातियों के सभी हरे संस्करणों की तुलना में बहुत कम बढ़ पाते हैं, वे कुछ ही हफ्तों तक रह पाते हैं। रंग बिरंगे इनडोर प्लांट का सजावटी रंग और पैटर्न एक अतिरिक्त बोनस है।
नर्सरी में बिक्री के लिए उपयुक्त माने जाने वाले आकार तक पहुंचने के लिए रंग बिरंगे पौधों को दूसरे पौधों की तुलना में अधिक समय लग सकता है, इसलिए तुलनात्मक रूप से यह अधिक महंगा हो सकता है। लेकिन आपके इसपर खर्च किए गए निवेश को सुरक्षित रखने के तरीके हैं। सबसे पहले, ऐसे पौधे देखें जो थोड़ा बड़ा होने पर अपना रंग बदल लेते हैं। अर्थात जब तक पौधे का तना और पत्तियां छोटी रहती है उनमें हरे के अलावा दूसरे रंग दिखते हैं, लेकिन कुछ समय बाद उसमें हरा तना निकलता है और पत्तियां भी बड़ी होने के बाद रंग बदलकर हरी हो जाती है, जिससे कुछ समय बाद पूरा पौधा हरा हो जाएगा। इससे बचने के लिए, बड़े होने से पहले किसी भी हरे रंग के तने को सावधानी से हटा दें।
आप नहीं चाहते कि रंग बिरंगे पौधे तेजी से बढ़ें और अपना रंग खो दें, लेकिन याद रखें कि उनमें क्लोरोफिल की मात्रा कम होती है और इसलिए उन्हें अच्छी रोशनी की आवश्यकता होती है। और किसी भी इनडोर प्लांट की तरह, सुनिश्चित करें कि इसकी पत्तियों को महीन धूल से मुक्त रखा जाए और आप इसे बहुत अधिक या बहुत कम पानी न दें।
रंगों के साथ बढ़ता चलन
रंग बिरंगे पौधों का जीवन भले कम होता है, लेकिन उनका दिलचस्प जीव विज्ञान हमेशा फैशन में रहता है!
ये पौधे आपके इनडोर कोनों को रोशन कर सकते हैं और बगीचे में आकर्षक रंग और पैटर्न प्रदान कर सकते हैं।
विभिन्न प्रकार के पौधे कैसे कार्य करते हैं और उनकी विशेष आवश्यकताओं पर विचार करके, आप आने वाले वर्षों तक उनका आनंद ले सकते हैं।
(ग्रेगरी मूर, मेलबर्न विश्वविद्यालय)