Smart Parenting Tips: यूं सिखाएं बच्चों को पैसों की कीमत

punjabkesari.in Saturday, Feb 23, 2019 - 06:27 PM (IST)

आजकल के किड्स बहुत स्मार्ट हैं। उन्हें कुछ सिखाने या बताने की जरूरत नहीं होती। उनकी यही स्मार्टनेंस पेरेंट्स के लिए अनेक मुश्किलें खड़ी कर देती है, जिन्हें हैंडल करना उनके लिए आसान नहीं होता। यदि आप चाहें तो कुछ ट्रिक्स अपनाकर अपने बच्चे के स्मार्ट पेरेंट्स बन सकते हैं।

 

बच्चों की फिजूलखर्ची

आजकल के बच्चों की फरमाइशें इतनी हैं तो मा-बाप उनकी फिजूलखर्ची से परेशान हो जाते हैं। ऐसे में पेरेंट्स को चाहिए को वह बच्चे को बचपन से ही सेविंग्स की आदत डालें, ताकि वह अपनी पसंद की चीज खुद खरीद सकें। उन्हें अपनी पॉकेट मनी का कुछ हिस्सा पिग्गी बैंक में जमा करने के लिए कहें। साथ ही बच्चों को पैसों की बैल्यू समझाएं और उन्हें कहें कि वह जरूरत पड़ने पर ही पैसे खर्च करें।

 

टैक्नोलॉजी के शिकार

टैक्नेलॉजी के बढ़ते प्रभाव से बच्चे भी अछूते नहीं है। वे अपने पेरेंट्स को जैसा करते देखते हैं वैसा ही करते हैं। यदि पेरेंट्स टैक्नो एडिक्ट होंगे तो बच्चे भी टैक्नो एडिक्ट ही बनेंगे। इसके लिए जरूरी है कि बच्चों को टी.वी., लैपटॉप, स्मार्टफोन और टैबलेट का इस्तेमाल निर्धारित समय सीमा तक ही करने दें।

-स्मार्टफोन, टैबलेट और लैपटॉप पर पासवर्ड लगाकर रखें और कुछ दिन बार पासवर्ड बदलते रहें।


-डिनर, पूजा और फैमिली गैदरिंग के समय उन्हें टी.वी., लैपटॉप, कम्प्यूटर और मोबाइल से दूर रखें।


-बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम बिताएं और उन्हें वीकेंड में आउटिंग या पिकनिक के लिए ले जाएं।

 

जब बच्चे हर बात के लिए कहे ना...

आजकल बच्चे अपने पेरेंट्स के मुंह पर ही काम करने से मना कर देते हैं। कई बार तो वह यह भी नहीं देखते थे पेरेंट्स थक गए हैं और काम करने से सीधा मना कर देते हैं। ऐसे में उन्हें डांटने या मारने की बजाए प्यार से बात करें और बड़ों का आदर करना सिखाए। इससे वह आरास से आपका कहना मानेंगे।

 

जब बच्चों पर हो पीयर प्रैशर

बचपन से ही बच्चों में पीयर प्रैशर का असर दिखना शुरू हो जाता है। 11-15 साल के बच्चों पर दोस्तों का दबाव अधिक होता है लेकिन पेरेंट्स इस प्रैशर को समझ नहीं पाते। हालांकि इसका सकारात्मक प्रभाव भी होता है, जैसे कि बच्चा एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टीविटीज में भाग लेने लगता है। मगर कई बार इसका बच्चे इसकी वजह से झूठ, चोरी और स्मोकिंग और क्लास बंक करना जैसी गलत आदतों के आदि हो जाते हैं। ऐसे में पेरेंट्स को चाहिए कि वो बच्चों को सही राह दिखाएं।

-बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार रखें, ताकि वह अपनी हर बात आपसे शेयर करें।


-उनकी रचनात्मकता को बढ़ावा दें तथा उन्हें मजेदार गतिविधियों में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित करें।


-उनके दोस्तों के बारे में पूरी जानकारी रखें।


बच्चों के व्यवहार में कोई बदलाव महसूस होने पर तुरंत उनके टीचर्स और दोस्तों से मिलें। इस बारे में उनसे बात करें।

 

 

Content Writer

Sunita Rajput