Periods 2 दिन में जल्दी खत्म हो रहे हैं? सावधान, हो सकते है इस बीमारी के संकेत
punjabkesari.in Wednesday, Dec 03, 2025 - 05:17 PM (IST)
नारी डेस्क: कई महिलाएं यह सोचकर खुश हो जाती हैं कि उनके पीरियड्स कम दिन तक रहे, क्योंकि उन्हें दर्द और क्रैम्प्स कम झेलने पड़ते हैं। लेकिन यह खुशी कई बार गलतफहमी भी हो सकती है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि केवल 1–2 दिन तक चलने वाले पीरियड्स को हल्के में नहीं लेना चाहिए, क्योंकि यह हार्मोनल असंतुलन, PCOS या PCOD का शुरुआती संकेत हो सकता है।
पीरियड्स कितना होना सामान्य है?
हर महिला का मासिक धर्म अलग होता है, लेकिन हेल्दी पीरियड्स आमतौर पर 3 से 7 दिनों तक चलते हैं। यह शरीर का एक नेचुरल प्रोसेस है, जिसमें हर महीने गर्भाशय की परत टूटकर ब्लीडिंग के रूप में बाहर निकलती है। अगर यह ब्लीडिंग केवल 1 या 2 दिन ही हो रही है, तो इसे सामान्य नहीं माना जाता। यह बताता है कि शरीर में कोई गड़बड़ी है, जिस पर ध्यान देना जरूरी है। कम दिन तक पीरियड रहने की वजह खुश होने वाली बात क्यों नहीं?
कई महिलाएं दर्द से बचने के लिए 1–2 दिन के पीरियड्स को अच्छा मान लेती हैं। लेकिन असल में यह स्थिति हार्मोनल इम्बैलेंस, ओव्यूलेशन की समस्या, और PCOS/PCOD से जुड़ी होती है। कम समय तक टिकने वाले पीरियड्स को बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह शरीर के अंदर हो रहे बदलावों का संकेत है।
1–2 दिन चलने वाले पीरियड्स का मतलब क्या है?
एक्सपर्ट्स के अनुसार, 2 दिन से भी कम समय तक पीरियड रहना हेल्दी नहीं माना जाता। ऐसा आमतौर पर एनोवुलेटरी साइकिल की वजह से होता है—जिसमें महिला का शरीर अंडा (ओवम) रिलीज नहीं करता। जब ओव्यूलेशन नहीं होता, तो शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे महत्वपूर्ण हॉर्मोन्स कम बनते हैं। इन हॉर्मोन्स के कम होने से गर्भाशय की लाइनिंग ठीक से नहीं बन पाती और ब्लीडिंग बहुत कम मात्रा में आती है।
क्यों नहीं नजरअंदाज करना चाहिए हल्के या कम समय के पीरियड?
PCOS और PCOD में ओव्यूलेशन अनियमित हो जाता है। कई बार तो ओव्यूलेशन होता ही नहीं, जिससे एंडोमेट्रियम (गर्भाशय की परत) मोटी नहीं बनती। जब परत पतली रहती है, तो ब्लीडिंग भी बहुत कम आती है। यह सिर्फ "हल्का फ्लो" नहीं है, बल्कि एक बड़ा संकेत है कि शरीर हार्मोनल रूप से बैलेंस में नहीं है। इसे नजरअंदाज करने से भविष्य में फर्टिलिटी, प्रजनन क्षमता और मासिक चक्र की नियमितता पर असर पड़ सकता है। इसलिए यदि लगातार लाइट पीरियड्स या केवल स्पॉटिंग हो रही है, तो जांच करवाना बेहद जरूरी है।
हॉर्मोनल बैलेंस कैसे सुधारें?
सीड साइकलिंग
सीड साइकलिंग महिलाओं में हार्मोनल संतुलन के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। मासिक धर्म चक्र के अलग-अलग चरणों में अलग-अलग प्रकार के बीज जैसे फ्लैक्स सीड, पंपकिन सीड, तिल और सूरजमुखी के बीज खाने से प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन को प्राकृतिक रूप से संतुलित किया जा सकता है। यह न सिर्फ पीरियड्स को नियमित करता है, बल्कि PCOS में भी राहत देता है।
चना और गुड़—एक हेल्दी स्नैक
अगर हॉर्मोनल असंतुलन की समस्या है तो रोजाना एक मुट्ठी भुना हुआ चना, एक टीस्पून देसी घी और थोड़ा गुड़ खाना काफी फायदेमंद होता है। यह कॉम्बिनेशन ब्लड शुगर लेवल को स्थिर करता है और PCOS, थायराइड व फर्टिलिटी जैसी समस्याओं पर सकारात्मक असर डालता है।
अनार का सेवन
अनार महिलाओं के लिए एक सुपरफूड माना जाता है। यह शरीर में हॉर्मोनल बैलेंस को बेहतर करता है, खून बढ़ाता है और प्रजनन क्षमता को भी मजबूत बनाता है। PCOS में रोजाना अनार या अनार का जूस लेना शरीर को आवश्यक न्यूट्रिएंट्स देता है और चक्र को सुधारने में मदद करता है।
पीरियड्स सिर्फ एक प्रक्रिया नहीं, बल्कि महिला के पूरे शरीर का बैरोमीटर हैं। अगर ब्लीडिंग 1–2 दिन तक ही रह जाती है, तो इसे हल्के में बिल्कुल नहीं लेना चाहिए। यह PCOS, PCOD और हार्मोनल असंतुलन का संकेत हो सकता है। समय रहते जांच और सही उपाय अपनाने से भविष्य की कई दिक्कतों से बचा जा सकता है।

