परिवार के खिलाफ जा कर शूटर दादियों ने सीखी थी निशानेबाजी, जानिए इनकी इंस्पायर्ड स्टोरी

punjabkesari.in Friday, Oct 25, 2019 - 10:26 AM (IST)

 एक उम्र के बाद ज्यादातर महिलाएं हिम्मत छोड़ कर अपना सारा समय घर व परिवार के साथ ही बिताना पसंद करती हैं वहीं यूपी में बागपत के जौहड़ी गांव की रहने वाली शूटर दादी यानि की चंद्रो तोमर व प्रकाशी तोमर अपने हुनर से नेशनल स्तर पर अपनी पहचान बना रही हैं।  इन के जीवन पर आधारित फिल्म ( सांड की आंख ) बन चुकी हैं। शूटिंग में इन्हें ' बूल्सआई ' कहते है यानी की ' सांड की आंख'। 

 

अपना सारा जीवन घर संभालने में बीताने वाली दादी चंद्रो तोमर ने 65 साल की उम्र में पिस्तौल उठाई थी। 1999 में जब उनकी पोती शेफाली ने शूटिंग सीखनी शुरु की तो जौहड़ी के राइफल क्लब में सिर्फ लड़के ही सीखते थे। ऐसे में उसे वहां जाने में डर लगता था तब चंद्रो दादी उसका हौंसला बढ़ाने के लिए साथ गई। तब दादी ने अपनी पोती के लिए घर से बाहर कदम रखा था।  वहां पर शैफील को पिस्तौल में छर्रे डालने नहीं आ रहे थे तो दादी ने खुद पिस्तौर में छर्रे डाल कर शूटिंग पोजिशन ली व निशाना लगा दिया। इसके बाद उन्होंने एक के बाद एक कई निशाने लगाए। 

 

चंद्रो दादी के निशाने को देखकर क्लब में मौजूद हर व्यक्ति हैरान हो गया। वहां के कोच ने उन्हें शूटर बनने की सलाह दी लेकिन डर से अनुमति न मिलने के डर से वह राजी न हुई। वहीं बच्चों ने उनकी हिम्मत दी और वह एक शूटर बन गई। 

 

 

गांव ही नहीं, परिवार भी था इसके खिलाफ 

अपने सफर की शुरुआत करते हुए दादी ने सबसे छुप कर खेतों में प्रैक्टिस करनी शुरु की। वह सुबह 4 बजे एक जग पानी लेकर खेतों में जाती व प्रैक्टिस करती। वहीं उन्हें डर सताता रहता कि कोई उन्हें देख ने लें, फिर एक दिन उनकी तस्वीर अखबार में छप गए। इसके बाद न केवल उनका गांव बल्कि परिवार भी उनके खिलाफ खड़ा था। गांव वाले उनका मजाक उड़ाते हुए कहते 'बुढ़िया इस उम्र मे कारगिल जाएगी क्या?' वहीं उनसे प्रेरित होकर सबसे पहले उनकी देवरानी  प्रकाशी ने 2 हफ्ते बाद शूटिंग करनी शुरु की। लोगों द्वारा उनका काफी मजाक उठाया गया लेकिन उन्होंने कभी भी हिम्मत नहीं हारीं व अब नेशनल स्तर पर कई मेडल जीत चुकी हैं। अब वह न केवल अपने गांव की बल्कि आस-पास रहने वाली गरीब लड़कियों को भी बंदूक चलाने की ट्रेनिंग देती है ताकि वह राष्ट्रीय स्तर पर खेल सकें। उनका मानना है कि लड़कियों को धाकड़ बनाओं व उनके लिए हमेशा काम करों। 

 

जीत चुकीं है कई मैडल

चंद्रो व प्रकाशी तोमर ने अब तक न केवल कई तरह की प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया है बल्कि 100 से अधिक मेडल भी जीत चुकीं हैं। वहीं उनसे सीखे हुए बच्चे भी अपने मेडल इन दादियों के नाम कर देते है जिसके चलते अब तक उनके नाम 700 से अधिक मेडल हो चुके हैं। उन्होंने 1999 में नार्थ जोन शूटिंग प्रतियोगिता जीत कर अपनी पहचान बनाई थी। अब तक वह कुल 25 नैशनल चैंपियनशिप जीत  चुकी हैं। 

इस फिल्म में भूमि पेडनेकर दादी चंद्रो तोमर व तापसी पन्नू दादी प्रकाशी तोमर के किरदार में नजर आई हैं।
 

Content Writer

khushboo aggarwal