रिश्तेदारों से पैसे उधार लेकर खेलने वाली शशि ने कबड्डी में देश को दिलाया गोल्ड

punjabkesari.in Wednesday, Sep 04, 2019 - 11:22 AM (IST)

दिव्यांग लोगों को लगता है कि उनकी जिदंगी दूसरों पर निर्भर है, लेकिन ऐसा नही है। अगर वह हिम्मत दिखाए तो वह न केवल अपने पैरों पर खड़े हो सकते है बल्कि देश के लिए सम्मान भी बन सकते है। दिव्यांग होने के बाद भी भारतीय एशियन पैरा कबड्डी टीम की खिलाड़ी शशि ठाकुर न केवल अपनी एक पहचान बना रही है बल्कि देश के लिए भी गोल्ड जीत कर आई है।  नेपाल में हुई एशियन पैर कबड्डी मैच में भारतीय टीम ने गोल्ड मैडल जीत कर देश का नाम रोशन कर दिया हैं। शशि ठाकुर भी इसी टीम का हिस्सा हैं। 

दिव्यांग पैर नही बने  बाधा 

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शशि का जन्म हिमाचल प्रदेश के जिले मंडी में करसोग में हुआ था। उसके पिता मतेहल शिरगल एक किसान है, जो कि मुश्किल से अपने परिवार का गुजारा करते है। वहीं जब उनके घर बेटी शशि हुई तो उनकी मुश्किल थोड़ी से ओर बढ़ गई थी क्योकि शशि बचपन से पांव से अक्षम थी लेकिन जीवन में आगे बढ़ते हुए शशि ने इस दिव्यंगता को अपनी कमजोरी या बाधा न बना कर ताकत बनाया। शशि को बचपन से ही खेल में काफी रुचि थी, इसी में आगे बढ़ते हुए उसने अपना पूरा जीवन खेलों को ही समर्पित कर दिया। नेशनल स्तर के पैरा बैडमिंटन प्रतियोगिता के दौरान वह नेशनल कबड्डी टीम के वाइस प्रैजीडैंडट रमजीत गोयल से मिली। जिसके बाद उन्होंने उसका नाम इंडियन कबड्डी टीम के लिए दिया। 

उधार पैसे लेकर शुरु किया था अपना करियर 

नेपाल जाने से पहले एंट्री फीम के लिए उन्हेें 23 हजार रुपए देने थे जो वह दे नही पा रही थी। उस समय राज्य सरकार ने भी किसी तरह की वित्तीय सहायता देने से मना कर दिया था तो उसके पिता व दोस्तों ने किसी तरह पैसे इकट्ठे करके फीस भरी थी। शशि को फीस के साथ अपने परिवार को भी इस बात के लिए मनाना था क्योंकि खेल के लिए उसके घरवाले बाहर भेजने के लिए तैयार नही थे। तब पिता व गावं वालों को समझा कर शशि खेल में आगे बढ़ी व देश के लिए गोल्ड लेकर आई।

 


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Content Writer

khushboo aggarwal

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