Shaheed Diwas: क्या आप जानते हैं भगत सिंह की शहादत से जुड़ी ये 10 बातें?

punjabkesari.in Wednesday, Mar 23, 2022 - 11:11 AM (IST)

इतिहास के पन्नों में दर्ज 23 मार्च का वो काला दिन शायद ही कोई भूल सकता है। 89 साल पहले आज ही के दिन भारत के सबसे महान क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानियों में से एक, भगत सिंह को उनके साथी राजगुरु और सुखदेव के साथ ही फांसी पर चढ़ा दिया गया था। युवाओं को राष्ट्र की स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए प्रेरित करने वाले भगत सिंह की उम्र उस वक्त महज 23 साल ही थी। उनके देश के प्रति प्यार ने कई लोगों को क्रांतिकारी मार्ग अपनाने के लिए प्रेरित किया। आज उनके शहीदी दिवस पर हम आपको श्री भगत सिंह के जीवन से जुड़ी कुछ ऐसी बातें बताएंगे जो शायद ही कोई जानता हो।

महान शहीद भगत सिंह के बारे में तथ्य जो आप नहीं जानते

1. जब भगत सिंह के माता-पिता ने उनकी शादी करवाने की कोशिश की तो वह यह कहते हुए घर से चले गए कि अगर उन्होंने गुलाम भारत में शादी की तो "मेरी दुल्हन केवल मौत होगी"। इसके बाद वह हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन में शामिल हो गए।

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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2. उन्होंने सुखदेव के साथ मिलकर लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने की योजना बनाई और लाहौर में पुलिस अधीक्षक जेम्स स्कॉट को मारने की साजिश रची। हालांकि, गलत पहचान के मामले में, सहायक पुलिस अधीक्षक जॉन सॉन्डर्स को गोली मार दी गई थी।

3. वह जन्म से एक सिख थे लेकिन उन्होंने अपनी दाढ़ी मुंडवा ली और हत्या के लिए पहचाने जाने व गिरफ्तार होने से बचने के लिए अपने बाल कटवा लिए। वह लाहौर से कलकत्ता भागने में सफल रहे।

4. एक साल बाद भगत सिंह और उनके साथी बटुकेश्वर दत्त ने 8 अप्रैल 1929 को सेंट्रल असेंबली हॉल में बम फेंके और "इंकलाब जिंदाबाद!" के नारे लगाए। मगर, उस दौरान उन्होंने अपनी गिरफ्तारी का विरोध नहीं किया और इसके लिए उन्हें 2 साल की सजा सुनाई गई।

5. पूछताछ के दौरान अंग्रेजों को पता चला कि एक साल पहले हुए जॉन सॉन्डर्स की मौत में भगत सिंह भी शामिल थे। बहुत कम लोग जानते हैं कि जेल में रहकर भी उन्होंने कई क्रांतिकार लेख लिखे, जिसमें अंग्रेजों के अलावा कई पूंजीपतियों के नाम भी शामिल थे। भगत सिंह ने अपने एक लेख में लिखा था कि मजदूरों का शोषण करने वाला उनका शत्रु है, वह चाहे कोई भी भारतीय क्यों न हो।

6. अपने मुकदमे के समय, उन्होंने कोई बचाव की पेशकश नहीं की बल्कि इस अवसर का उपयोग भारत की स्वतंत्रता के विचार को प्रचारित करने के लिए किया।

7. जेल में रहने के दौरान, वह विदेशी मूल के कैदियों के लिए बेहतर इलाज की नीति के खिलाफ भूख हड़ताल पर चले गए। 7 अक्टूबर 1930 को उनकी मौत की सजा सुनाई गई, जिसे उन्होंने हिम्मत के साथ सुना।

8. 2 साल की कैद के बाद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को 24 मार्च 1931 को फांसी की सजा सुनाई गई थी लेकिन इस खबर के फैसले ही लोग भड़क उठे। इससे अंग्रेजी सरकार डर गई थी और उन्होंने फांसी के समय को 11 घंटे आगे बढ़ाकर 23 मार्च 1931 को शाम 7:30 बजे कर दिया गया।

9. कहा जाता है कि कोई भी मजिस्ट्रेट फांसी की निगरानी करने को तैयार नहीं था। मूल मृत्यु वारंट समाप्त होने के बाद यह एक मानद न्यायाधीश था जिसने फांसी पर हस्ताक्षर किए और उसकी निगरानी की।

10. भगत सिंह सिर्फ क्रांतिकारी ही नहीं बल्कि  बुद्धिमान और कई भाषाओं के जानकार भी थे। उन्हें हिंदी, पंजाबी, उर्दू, बांग्ला और अंग्रेजी भाषा आती थी। बंगाली भाषा उन्होंने अपने साथी बटुकेश्वर दत्त से सीखी थी।

Content Writer

Anjali Rajput