पीरियड्स में दर्द से तड़पती हैं? कहीं ये कैंसर का इशारा तो नहीं , जानिए कैसे पहचानें

punjabkesari.in Tuesday, Sep 30, 2025 - 03:46 PM (IST)

नारी डेस्क:  पीरियड्स के दर्द को अक्सर सामान्य मान लिया जाता है “यही तो माहवारी का साथ है” लेकिन अगर दर्द इतने ज़्यादा हैं कि वॉक-इन-द-रूम मुश्किल हो, रोज़ का काम रुक जाए या बार-बार दर्द का पैटर्न बदलता रहे, तो इसे नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है। नीचे हर जरूरी बात को स्पष्ट, वेबसाइट-स्टाइल और पढ़ने में आसान पैराग्राफ में बताया गया है  ताकि आप समय रहते समझें, जांच कराएं और सुरक्षित निर्णय ले सकें।

एंडोमेट्रियोसिस क्या है 

एंडोमेट्रियोसिस वह स्थिति है जिसमें गर्भाशय के अंदर की परत जैसी टिश्यू (एंडोमेट्रियम) गर्भाशय के बाहर जैसे अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब या पेट की झिल्ली  पर भी बढ़ने लगती है। यह सिर्फ “पीरियड दर्द” नहीं है; यह एक क्रोनिक (लंबे समय तक रहने वाली) समस्या है जो महीनों और वर्षों तक दर्द, भारी माहवारी, गहरे पीठदर्द और फर्टिलिटी (गर्भधारण) के मुद्दे दे सकती है। जब ये टिश्यू हर महीने रक्तस्राव करता है तो शरीर के अंदर सूजन और घाव बनते हैं यही प्रक्रिया दर्द और चिपकने (adhesions) पैदा करती है जो रोज़मर्रा की ज़िन्दगी प्रभावित कर देती है।

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क्या एंडोमेट्रियोसिस और कैंसर का संबंध है?

आम धारणा यही है कि एंडोमेट्रियोसिस कैंसर नहीं है  और यह सही है। पर विज्ञान ने दिखाया है कि एंडोमेट्रियोसिस वाली महिलाओं में कुछ खास प्रकार के अंडाशय (ओवरी) कैंसर का जोखिम थोड़ा बढ़ा हुआ पाया गया है  खासकर एंडोमेट्रियोइड और क्लियर सेल कैरसीनोमा नामक प्रकार। इसका मतलब यह नहीं कि हर महिला को कैंसर होगा, लेकिन इस समूह में तुलना-तुलनात्मक जोखिम अधिक होता है, इसलिए नियमित निगरानी और समय पर जांच जरूरी बन जाती है।

जोखिम क्यों बढ़ता है  

एंडोमेट्रियोसिस से जुड़े जोखिम का कारण जटिल जैविक प्रक्रियाओं का मेल है। बार-बार होने वाला रक्तस्राव, सूजन और ऊतक के घावों का इलाज ये सब ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस और सूजन पैदा करते हैं, जो समय के साथ कोशिकाओं (cells) के DNA में छोटे-छोटे बदलाव ला सकते हैं। साथ ही हार्मोनल असंतुलन (ज्यादा एस्ट्रोजन) और लंबे समय तक मौजूद चॉकलेट सिस्ट जैसी ओवरी की संरचनाएँ उन जगहों को बनाती हैं जहाँ नॉर्मल सेल्स असामान्य रूप से बदलने का जोखिम रखते हैं। यही वजह है कि डॉक्टर लंबे समय से मौजूद ओवरी सिस्ट पर विशेष नजर रखते हैं।

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सिस्ट का अचानक आकार बढ़ना 

कभी-कभी अल्ट्रासाउंड पर ओवरी में पहले से मौजूद एंडोमेट्रियोमा (चॉकलेट सिस्ट) लंबा समय स्थिर रहता है। अगर अचानक सिस्ट तेजी से बढ़ने लगे, अंदर कठोर या ठोस हिस्से दिखें, या उसके अंदर असमान गढ़नियां (solid components) आ जाएं, तो यह चिंता की निशानी हो सकती है। ऐसे बदलाव को इग्नोर न करें  डॉक्टर अतिरिक्त इमेजिंग (MRI/उन्नत अल्ट्रासाउंड) और विशेषज्ञ से परामर्श की सलाह देंगे।

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 असामान्य या लगातार बढ़ता हुआ दर्द

एंडोमेट्रियोसिस में दर्द आम होता है, लेकिन अगर दर्द का स्वरूप बदल जाए  जैसे जो पहले हल्का था अब बेपनाह, या पीरियड्स के अलावा भी लगातार दर्द रहता है, रात को जागने लगे, या दर्द की दवा काम न करे  तो यह संकेत है कि अंदर किसी चीज़ (जैसे बढ़ती सिस्ट या सूजन) में बदलाव हुआ है। ऐसे में विशेषज्ञीन्यू (गाइनीकोलॉजी) से मिलने की ज़रूरत होती है।

पेट फूलना और जल्दी पेट भरने का महसूस होना (persistent bloating)

अगर रोज़-रोज़ पेट फूलने, खाने के तुरंत बाद पेट भर जाने या पेट में दबाव जैसा महसूस होने लगे, खासकर बार-बार और बिना स्पष्ट कारण के, तो यह ओवरी में किसी बढ़ती संरचना का संकेत हो सकता है। ओवरी कैंसर के शुरुआती लक्षणों में यह आम है, इसलिए इसे हल्के में न लें और इमेजिंग कराएं।

अनजाने में वजन घटना या भूख में कमी

अगर खाना कम खाकर भी लगातार वजन घट रहा है या भूख अचानक कम हो रही है, तो यह सिस्टमिक (संपूर्ण शरीर पर असर) संकेत हो सकता है। कैंसर जैसी कुछ स्थितियां आई-जैसी थकान, मेटाबोलिक बदलाव और भूख में कमी ला सकती हैं इसलिए डॉक्टर से तुरंत जाँच जरूरी है।

पोस्टमेनोपॉज़ल महिलाओं में पुराने सिस्ट का बदलाव

मेनोपॉज़ के बाद हार्मोनल परिदृश्य बदल जाता है और पुराने सिस्ट अधिक जोखिम वाले हो सकते हैं। अगर पोस्टमेनोपॉज़ल महिला में लंबे समय से सिस्ट था और अब उसमें कोई नयी समस्या दिखती है (दर्द, वृद्धि, इमेजिंग में बदलाव), तो तुरंत विशेषज्ञ से सलाह लें क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ कैंसर-सिक संभावनाएँ बढ़ जाती हैं।

निगरानी और निदान  क्या करना चाहिए और कब सर्जरी ज़रूरी होती है

एंडोमेट्रियोमा की निगरानी नियमित इमेजिंग (अल्ट्रासाउंड / आवश्यकता पर MRI) और क्लिनिकल जाँच से होती है। अगर इमेजिंग में सिस्ट आकार बदलती दिखे, सॉलिड हिस्से हों, या नैदानिक लक्षण गंभीर हों  तब सर्जरी (लेप्रोस्कोपिक या ओपन) कर सिस्ट को हटाकर हिस्टोपैथोलॉजी के लिए भेजना आवश्यक हो जाता है। बार-बार सिस्ट को केवल ड्रेन करना अच्छा विकल्प नहीं माना जाता क्योंकि इससे असल ऊतक शरीर में रह सकते हैं और जोखिम बना रहता है। निदान के बाद उपचार में हार्मोनल थेरेपी, सर्जिकल शोधन या निगरानी मरीज़ की उम्र, प्रजनन इच्छाओं और सिस्ट के गुणों पर निर्भर करता है।

किस तरह जोखिम को कम किया जा सकता है

आप कुछ सरल मगर प्रभावी उपाय अपनाकर जोखिम को घटा सकती हैं: स्वस्थ वजन बनाए रखें (ओवरी कैंसर के जोखिम घटते हैं), धूम्रपान न करें, संतुलित आहार लें (फल-सब्ज़ियां, ओमेगा-3 और कम प्रोसेस्ड फूड), और नियमित व्यायाम करें। साथ ही डॉक्टर द्वारा सुझाई गयी हार्मोनल दवाइयों का सही तरीके से पालन करें  कई बार ये सिस्ट के विकास को धीमा करते हैं। हालांकि जीवनशैली से जोखिम पूरी तरह खत्म नहीं होता, पर यह जोखिम घटाने और बेहतर इम्यूनो-मेटाबॉलिक प्रोफ़ाइल बनाए रखने में मदद करता है।

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डॉक्टर से कब मिलें  एक छोटा पर स्पष्ट निर्देश

यदि आप निम्नलिखित में से कोई भी अनुभव कर रही हैं  अचानक बदलता दर्द का पैटर्न, तेजी से बढ़ती या सदा बनी सिस्ट, लगातार पेट फूलना, बिना वजह वजन घटना, या पोस्टमेनोपॉज़ल में पुराने सिस्ट में बदलाव तो डॉक्टर से तुरंत मिलें। सामान्य तौर पर सालाना चेक-अप और सिस्ट होने पर 6-12 महीने में अल्ट्रासाउंड की सलाह दी जाती है, पर बदलाव दिखने पर तत्काल संपर्क अनिवार्य है।

अंतिम बात डरने की नहीं, समय पर जागरूक होने की ज़रूरत

एंडोमेट्रियोसिस हर बार कैंसर में नहीं बदलता और अधिकतर महिलाएं इसका प्रबंधन कर अच्छी ज़िन्दगी जी सकती हैं। मुख्य बात यह है कि लक्षणों को समझें, नियमित निगरानी रखें और किसी भी असामान्य बदलाव पर तुरंत विशेषज्ञ से सलाह लें। समय पर उचित जांच और इलाज से नाटकीय रूप से रिज़ल्ट बेहतर होते हैं और गंभीर जटिलताओं से बचा जा सकता है।

डिस्क्लेमर: यह लेख सामान्य जानकारी के उद्देश्य से है और किसी भी चिकित्सीय सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं है। किसी भी लक्षण या चिंता के लिए अपने गाइनीकोलॉजिस्ट/स्पेशलिस्ट से संपर्क करें।  


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Content Editor

Priya Yadav

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