पुरुषों के यौन उत्पीड़न के खिलाफ कानून खत्म, नए बिल से हटाया गया Section 377

punjabkesari.in Saturday, Aug 12, 2023 - 10:24 AM (IST)

केंद्रीय सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा में पुराने कानूनों में सुधार के लिए तीन विधेयक पेश किए। औपनिवेशिक युग के कानूनों - भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम- को बदलने के लिए पेश किए गए इन  विधेयक का कानूनी विशेषज्ञों ने स्वागत किया। नए कानून में आईपीसी सेक्शन 377 हटा दिया गया है।


अमित शाह ने पेश किए विधेयक

गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को लोकसभा में ब्रिटिशकालीन आईपीसी, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने के लिए तीन नये विधेयक पेश किये और कहा कि अब राजद्रोह के कानून को पूरी तरह समाप्त किया जा रहा है। शाह ने सदन में भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023; भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक, 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 पेश किये। ये क्रमशः भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), 1860, दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), 1898 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की जगह लेंगे। 

 धारा 377 अब पूरी तरह समाप्त

कहा जा रहा है कि त्वरित न्याय प्रदान करने और लोगों की समकालीन आवश्यकताओं और आकांक्षाओं को ध्यान में रखने वाली एक कानूनी प्रणाली बनाने के लिए ये परिवर्तन किए गए। नए विधेयक में अप्राकृतिक यौन अपराध की धारा 377 अब पूरी तरह से समाप्त कर दी गई है।  आईपीसी की धारा 377 के तहत जो कोई भी किसी भी पुरुष, महिला या जानवर के साथ अप्राकृतिक शारीरिक संबंध बनाता है, तो उसे आजीवन कारावास या 10 साल के कारावास की सजा या जुर्माना की सजा हो सकती थी। लेकिन नए कानून के तहत अब पुरुषों के खिलाफ अप्राकृतिक यौन अपराधों के लिए सजा का कोई प्रावधान नहीं है।

 

आतंकवाद के खिलाफ भी लाया गया नया कानून

आईपीसी के मौजूदा प्रावधान के तहत पुरुषों के खिलाफ यौन अपराध सेक्शन 377 के दायरे में आता है। नए कानून के तहत 'सहमति वाले वयस्कों' के बीच यौन संबंध एक अपराध नहीं होगा। यानी समलैंगिक यौन संबंध को अपराध की श्रेणी से हटा दिया जाएगा। संगठित अपराध के खिलाफ नए कानून का प्रावधान किया गया है। इसमें किसी की मृत्यु होती है तो मृत्युदंड की सजा होगी। आतंकवाद के खिलाफ नए कानून में मौत की सजा का प्रावधान किया गया है।


नए  IPC विधेयक में हुए ये  बदलाव

-अप्राकृतिक यौन अपराध की धारा 377 अब पूरी तरह से कर दी गई है समाप्त ।

-नए कानून के तहत 'सहमति वाले वयस्कों' के बीच यौन संबंध एक अपराध नहीं होगा।

-नाबालिग से गैंगरेप पर मौत की सजा का किया गया प्रावधान किया, जबकि रेप के मामलों में बढ़ाई गई सजा।

-न्यूनतम सजा जो पहले 7 साल थी, अब 10 साल कर दी गई है।

-नाबालिग के साथ रेप की सजा को बढ़ाकर 20 साल कर दी गई है। 

-पहचान बताकर यौन संबंध बनाने वाले को अपराध की श्रेणी में रखा गया है।

Content Writer

vasudha