विधवा की दूसरी शादी पाप नहीं! आदमी की तरह उसे भी है फिर से जीने का हक

punjabkesari.in Thursday, Jun 01, 2023 - 05:13 PM (IST)

एक महिला की जिंदगी में शादी के बाद पति से बढ़कर कुछ नहीं होता। उसके लिए ही वह जीती है, उसके लिए ही खुद को पूरी तरह से बदल देती है। पर कई बार कुछ महिलाओं के नसीब में खुशियां बहुत छोटी होती हैं वह अभी अपनी जिंदगी को समझ ही रही होती है कि उसका सब कुछ खत्म हो जाता है। हम बात कर रहे हैं उन महिलाओं की जो छोटी उम्र में विधवा बन जाती हैं। 

पत्नी अपने पति के लिए मांगती है हमेशा दुआ

कोई भी महिला नहीं चाहती कि उसका पति इस दुनिया से चला जाए। वह तो दिन- रात अपने जीवनसाथी की लंबी दुआ की कामना करती रहती है, लेकिन हर किसी की भगवान सुन नहीं पाते। आज कल आए दिन किसी ना किसी की मौत की खबर सामने आ ही जाती है। कोई अपने पीछे बूढ़े मां-बाप को छोड़ जाता है कोई अपने मासूम बच्चे और पत्नी को अकेला छोड़कर इस दुनिया से मुंह मोड़ लेता है।


पत्नी को कसूरवार मान लेते हैं लोग

ये तो हम सभी जानते हैं कि जन्म-मरण किसी से हाथ में नहीं है। अगर किसी शख्स की मौत शादी के कुछ दिन बाद हो जाए तो उसमें उसकी पत्नी को जिम्मेदार मानना तो सही नहीं है। ऐसे कई मामले देखने को मिलते हैं कि पति की मौत के बाद पत्नी को कसूरवार ठहरा दिया जाता है। कहा जाता है कि इसके कारण यह सब हुआ है, पर इस सब में उसका कसूर कैसे है। कौन सी महिला विधवा बनना चाहेगी।


पति के मरते ही निकाल देते हैं पत्नी को

तानों तक बात नहीं रूकती है, पति के मरने के बाद जहां ससुराल वाले मातम में डूबे होते हैं तो वहीं मायके वालों को अपनी बेटी की चिंता सताने लगती है। उन्हें रह- रहकर यह बात खाती हैं कि उनकी मासूम बच्ची पूरी जिंदगी अकेले कैसे निकालेगी। अगर महिला एक बच्चे की मां है तो चिंता और बढ़ जाती है। कई बार तो लड़के के मरते ही उसकी पत्नी को घर से निकाल दिया जाता है, ऐसे में उसे मजबूरन अपने मायके में रहना पड़ता है।


दूसरी शादी करने से डरती है लड़कियां

ऐसे में लड़की के घर वाले चाहते हैं कि उनकी बेटी दूसरी शादी करके अपने जिंदगी आगे बढ़ा ले। परिवार तो यह सोच लेता है लेकिन आस-पास के लोग उनकी सोच पर सवाल उठाने लग जाते हैं। इसमें भी लड़की का ही कसूर निकालकर कह दिया जाता है कि "देखो इसे कितनी जल्दी है दूसरी शादी की, पति के जातेही इसके तो पंख निकल गए" । इन सभी बातों से बचने के लिए लड़की दूसरी शादी करने के लिए इंकार कर देती है। पर हमारा सवाल यह है कि जो समाज बातें कर रहा है क्या वह मुसीबत आने पर लड़की का सहारा बनेगा?

हर किसी को मिलनी चाहिए आजादी 

जब विधवा महिला का बच्चा अपने पिता की याद में रोएगा तो क्या यही समाज उसे चुप करवाने आएगा? हम तो यही कहते हैं कि अगर कोई किसी का दर्द कम नहीं कर सकता तो अपनी नसीहत देकर उसके जख्मों को और हरा ना करे। अगर पुरुष को पहली पत्नी मरने के बाद दूसरी शादी करने का हक है तो यही हक महिलाओं काे भी होना चाहिए। दूसरी शादी करना पाप नहीं, हर किसी काे जिंदगी जीने का हक है और यह हक छिनने का अधिकार किसी को नहीं है। 
 

Content Writer

vasudha