'कार्डियक अरेस्ट' की वजह से गई सरोज खान की जान, जानिए हार्ट अटैक व इस बीमारी में फर्क

punjabkesari.in Friday, Jul 03, 2020 - 10:51 AM (IST)

बॉलीवुड की मशहूर कोरियोग्राफर सरोज खान शुक्रवार देर दुनिया को अलविदा कह गई। कार्डियक अरेस्ट के चलते के चलते उन्होंने मुंबई में आखिरी सांस ली। खबरों की माने तो सांस लेन में तकलीफ के कारण उन्हें कुछ दिन पहले भी अस्पताल में एडमिट करवाया गया था।

क्या है कार्डियक अरेस्ट?

दिल के अंदर वेंट्रीकुलर फाइब्रिलेशन यानि दिल के कुछ हिस्से काम करना बंद कर दे तो कार्डियक अरेस्ट आता है। जिन लोगों को दिल की बीमारी हो उन्हें इसकी ज्यादा आशंका होती है। वहीं अगर पहले किसी को हार्ट अटैक आया हो तो उन्हें भी इसका खतरा ज्यादा होता है।

हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट में फर्क

80% से अधिक लोग इस रोग को गंभीरता से नहीं लेते व हृदय गति तेज होने पर हार्ट अटैक समझ लेते हैं जो गलत है। ऐसा इसलिए क्योंकि ज्यादातर लोगों को दोनों में फर्क ही नहीं पता होता। हार्ट अटैक में दिल खून का बहाव रूक जाता है जबकि कार्डियक अरेस्ट की वजह दिल में होने वाली इलेक्ट्रिकल गड़बड़ी है, जिसकी वजह से धड़कनें रुक जाती हैं।

कार्डियक अरेस्ट के कारण

. पहले से दिल की बीमारी होना
. डायबिटीज
. स्मोकिंग
. कोलेस्ट्राल का बढ़ना
. एक्सरसाइज ना करना
. हाई ब्लडप्रेशर
. हाइपरटेंशन

कार्डियक अरेस्ट में नहीं दिखते लक्षण

कार्डियक अरेस्ट में दिमाग, दिल और दूसरे हिस्सों तक खून नहीं पहुंच पाता, जिससे मरीज बेहोश हो जाता है और उसकी नब्ज रूक जाती है। ऐसे में अगर सही समय पर इलाज ना मिल पाए तो कुछ देर में ही मरीज की मौत हो सकती है।

सीपीआर है सबसे जरूरी

कार्डिएक अरेस्ट आने पर मरीज को तुरंत सीपीआर (Cardio-Pulmonary Resuscitation) या कार्डियोपल्मोनरी रेसस्टिसेशन (CPR) देनी चाहिए। इससे दिल की धड़कन नियमित हो जाती है और मरीज को कुछ समय मिल जाता है।

हार्ट अटैक से कैसे अलग?

हार्ट अटैक के दौरान खून का बहाव बंद हो जाता है। अगर व्यक्ति को सही समय पर हॉस्पिटल ले जाया जाए तो उसकी जान बचाई जा सकती है जबकि कार्डिएक अरेस्ट में चांसेज ना के बराबर होते हैं। वहीं, इसमें शरीर के बाकी हिस्सों में खून पहुंचाता रहता है और मरीज बेहोश भी नहीं होता।

हार्ट अटैक में बचना आसान?

हार्ट के दौरान पसीना आना, चक्कर आना, सांस फूलना जैसे लक्षण दिखते हैं, जिसे पहचानकर व्यक्ति का इलाज करवाया जा सकता है। मगर, कार्डिएक अरेस्ट में कोई संकेत नहीं मिलता, जिससे जान जाने का रिस्क ज्यादा होता है। वहीं, हार्ट अटैक आने के बाद कार्डिएक अरेस्ट का खतरा ओर भी डज्यादा बढ़ जाता है।

कैसे रख सकते हैं बचाव?

1. हैल्दी डाइट लें और जंक फूड्स, मसालेदार व ऑयली चीजों से परहेज रखें। सूखे मेवे, फल व हरी सब्जियां, दूध, दही, साबुत अना, बीज आदि खाएं।
2. शराब, धूम्रपान, पोस्सेड फूड्स से दूरी बनाकर रखें। ट्रांस फैट, शक्कर व नमक भी ज्यादा ना लें।
3. 30-35 की उम्र के बाद समय-समय पर जांच करवाते रहें।
4. जिस व्यक्ति को कार्डियक अरेस्ट आए उन्हें ऑक्सीजन देते रहें, ताकि ब्लड सर्कुलेशन सही रहे।
5. कोलेस्ट्रॉल लेवल कंट्रोल में रखे और ब्लड प्रेशर व शुगर भी बढ़ने ना दें।
6. सीने में दर्द को हल्के में ना लें और तुरंत जांच करवाएं।

 

Content Writer

Anjali Rajput