छोटी सी उम्र में विधवा हुई Sarla Thakral ने समाज की बंदिशों को तोड़ भरी सपनों की उड़ान

punjabkesari.in Tuesday, Dec 13, 2022 - 02:50 PM (IST)

हमारे समाज में महिलाओं के लिए बंदिशें बहुत ज्यादा होती हैं। हांलाकि अब इन बंदिशों को तोड़कर लड़कियों को आगे आने का मौका मिलने लगा है। पर,आज से करीब सत्तर-अस्सी साल पहले ऐसा नहीं था। उस जमाने में महिलाओं को बहुद ज्यादा आजादी नहीं थी उन्हें पढ़ाई नहीं करने दी जाती थी और न हीं उनको अपनी मर्जी का काम करने की इजाजत थी। ऐसे में अपने सपनों को साकार कर आकाश में उड़ने वाली पहली महिला बनीं सरला ठकराल। चलिए जानें उनके बारे में कुछ बातें। 

सरला को मिला पति का प्रोत्साहन 

सरला ठकराल का जन्म 15 मार्च को दिल्ली में हुआ था। उन्होंने साल 1929 में पहली बार दिल्ली में खोले गए फ्लाइंग क्लब में विमान चालन का प्रशिक्षण लिया था और एक हजार घंटे का अनुभव भी लिया था। दिल्ली के ही फ्लाइंग क्लब में उनकी मुलाकात पीडी शर्मा से हुई जो उस क्लब में खुद एक व्यावसायिक विमान चालक थे। विवाह के बाद उनके पति ने उन्हें व्यावसायिक विमान चालक बनने का प्रोत्साहन दिया। पति से प्रोत्साहन पाकर सरला ठकराल ने जोधपुर फ्लाइंग क्लब में ट्रेनिंग ली। 1936 में लाहौर का हवाईअड्डा उस ऐतिहासिक पल का गवाह बना जब 21 वर्षीया सरला ठकराल ने जिप्सी मॉथ नामक दो सीट वाले विमान को उड़ाया था। पति से प्रोत्साहन पाकर सरला ठकराल ने जोधपुर फ्लाइंग क्लब में ट्रेनिंग ली। 1936 में लाहौर का हवाईअड्डा उस ऐतिहासिक पल का गवाह बना जब 21 वर्षीया सरला ठकराल ने जिप्सी मॉथ नामक दो सीट वाले विमान को उड़ाया था। 

पति ने बहुत जल्दी छोड़ दिया साथ

साल 1939 सरला के लिए बहुत दुख भरा रहा। जब वह कमर्शियल पायलेट लाइसेंस लेने के लिए कड़ी मेहनत कर रही थीं, तभी दूसरा विश्व युद्ध छिड़ गया। फ्लाइट क्लब बंद हो गया और फिर सरला ठकराल को अपनी ट्रेनिंग भी बीच में ही रोकनी पड़ी। इससे भी ज्यादा दुख की बात यह रही कि इसी साल एक विमान दुर्घटना में उनके पति का देहांत हो गया। जिसके बाद उनकी जिंदगी बदल गई। 

पति के मौत के बाद भी नहीं मानी हार

पति की मौत के समय वह लाहौर में थी तब उनकी उम्र 24 साल थी। वहां से सरला वापस भारत आ गईं और 'मेयो स्कूल ऑफ आर्ट' में दाखिला ले लिया। जहां उन्होंने पेंटिंग सीखी और फाइन आर्ट में डिप्लोमा भी किया। भारत के विभाजन के बाद सरला अपनी दो बेटियों के साथ दिल्ली आ गई और यहां उनकी मुलाकात पीपी ठकराल के साथ हुई। ठकराल ने उनके साथ साल 1948 में शादी कर ली। जिंदगी की दूसरी पारी में वो सफल उद्धमी और पेंटर बनीं। 15 मार्च 2008 को सरला ठकराल की मौत हो गई। 
 

Content Editor

Charanjeet Kaur