यूएस में लाखों का पैकेज छोड़, देश के बच्चों की शिक्षा के लिए शुरु किया फाउंडेशन
punjabkesari.in Wednesday, Nov 06, 2019 - 11:13 AM (IST)
पढ़ाई करने के बाद हर व्यक्ति चाहता कि उसे एक अच्छी नौकरी मिले ताकि वह जीवन में सफल और अमीर व्यक्ति बन सके लेकिन बहुत ही कम लोगों होते है जो कि एक अच्छी नौकरी पाने के बाद उसे छोड़ कर समाजिक कार्यों को अपने जीवन का हिस्सा बना लेते है। आज हम आपको जिस महिला की बारे में बताएंगे उन्होंने बच्चों की शिक्षा के लिए अपनी लाखों के पैकेज वाली नौकरी को छोड़ा। इतनी ही नहीं, वह अमेरिका को छोड़ कर वापिस अपने देश लौट आई और आज वह देश में के कई बच्चों की जिदंगी को सुधार चुकीं है।
चलिए बताते है आपको कंप्यूटर इंजीनियर समीना बानो की सफल समाज सेविका बनने की कहानी..
समीना बानो अमेरिका की एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी में नौकरी करती थी लेकिन 2012 में वह अपनी नौकरी छोड़ कर वापिस भारत आ गई। समीना पुणे की रहने वाली है। उनके पिता एयर फोर्स में ऑफिसर थे जिस कारण उनकी पढ़ाई देश के अलग-अलग हिस्सों में पूरी हुई है। आईआईएम बैंगलुरु से अपनी एमबीए करने के बाद समीना अमेरिका चली गई और वहां पर नौकरी करने लगी।
विदेश में रहते हुए आती थी देश की याद
समीना चाहे अमेरिका में रह कर एक मल्टीनेश्नल कंपनी में नौकरी कर रही थी लेकिन उन्हें हमेशा अपने देश की याद आती रहती थी। वह सोचती रहती कि उनके पेरेंट्स ने उन्हें जो शिक्षा दी है उसके कारण वह आज इस मुकाम पर है लेकिन भारत के अभी भी कई ऐसे हिस्से है जहां पर बहुत सारे बच्चों को शिक्षा ही नहीं मिलती है। वह स्कूल नहीं जा पाते है। इसी सोच और देश की याद में धीरे-धीरे उनका नौकरी से मोह खत्म हो गया और वह देश वापिस आ गई।
किराए के एक मकान से लखनऊ में शुरु किया काम
इंडिया वापिस आकर समीना ने पुणे के बच्चों के लिए काम करने के बारे में सोचा वह अभी इस बारे में योजना बना ही रही थी कि उनके एक दोस्त ने उन्हें पुणे या बंगलुरु की जगह उत्तरप्रदेश में काम करने की सलाह दी। जब उन्होंने लखनऊ में किराए का मकान लेकर वहां पर सर्वे करना शुरु किया। समीना ने अपने काम की शुरुआत झुग्गी- झोपड़ियों में रहने वाले 50 बच्चों को पढ़ाने से की। इन बच्चों को पढ़ाते समय उन्हें लगा कि इतने बच्चों को पढ़ाने से उनका काम नहीं होगा इसके लिए उन्हेें कुछ बड़ा करना होगा तो उन्होंने सरकार की मदद लेने के बारे में सोचा।
शुरु किया ‘भारत अभ्युदय फाउंडेशन’
इसी दौरान समीना ने लखनऊ के विनोद यादव के साथ मिलकर ‘भारत अभ्युदय फाउंडेशन’ की शुरुआत की। इसके बाद बच्चों को पढ़ाने के साथ उन्होंने संस्था के माध्यम से सरकार के साथ मिलकर शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाने के लिए सिस्टम और पॉलिसी में तालमेल बनाकर उसे लागू करवाया गया।
प्राइवेट स्कूलों में करवाया बच्चों का दाखिला
उन्होंने सबसे पहले सरकार के साथ मिलकर प्राइवेट स्कूलों में आर्थिक रुप से कमजोर बच्चों को दाखिला देने की बात कही। जिसके तहत उन्होंने 18 महीनों में ही यूपी के 50 जिलों में 20 हजार से अधिक आर्थिक रुप से कमजोर बच्चों का प्राइवेट स्कूल में दाखिला करवाया। सरकारी स्कूलों में बच्चों का स्तर उठाने के लिए बच्चों को माई स्कूल, माई वॉयस का अधिकार दिलवाया।
वोकेशनल ट्रेनिंग पर किया काम
बच्चों और टीचर्स को वह वोकेशनल ट्रेनिंग देने पर काम कर किया ताकि वह स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों में समानता ला सकें। जिनके बच्चे कम पढ़े लिखे है और जिनके अधिक पढ़े लिखे है उनके बीच तालमेल बनाया जा सके। इसके साथ ही उन्होंने स्कूल प्रिंसिपल और टीचर्स के लिए बी वोकेशनल ट्रेनिंग का सेशन आयोजित किया था।