मुश्किलों में ढूंढी हिम्मत! पिता को था कैंसर, आसूंओं के साथ दिए एग्जाम और बन गईं IAS

punjabkesari.in Friday, Mar 19, 2021 - 01:14 PM (IST)

बुलंद हौसले हो तो दुनिया में आपको कोई भी ताकत हरा नहीं सकती है। आपके पास चाहे उस चीज को पूरे करने का कोई जरिया ना हो लेकिन अगर उस काम को करने के लिए आपके मन में हिम्म्त है तो आपको सफलता पाने से कोई भी नहीं रोक सकता है। आज हम आपको एक ऐसी ही कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे सुन आपके अंदर भी कुछ कर गुजरने की हिम्मत बढ़ेगी।

22 साल की रितिका ने किया UPSC में टॉप

UPSC की परीक्षा, यह वो परीक्षा है जिसके लिए बहुत सारे युवाओं सपने देखेते हैं लेकिन इस सपने को हर कोई पूरा नहीं कर पाता है। आज हम आपको जिस लड़की कहानी बताने जा रहे हैं वह पंजाब की बेटी रितिका जिंदल है जिन्होंने महज 22 साल की उम्र में उस मुक्काम को हासिल कर लिया जिसका सपना बड़े बड़े लोग देखते हैं। रितिका ने UPSC में टॉप किया और दूसरे अटेम्प्ट में वह IAS बनीं लेकिन इस दौरान उनकी लाइफ में कुछ हुआ लेकिन फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और लगातार आगे बढ़ती गई।

पिता को हुआ कैंसर लेकिन हिम्मत रही बरकरार

इस जहान में कोई बच्चा यह नहीं चाहेगा कि उसके माता-पिता के साथ कुछ हो या उन पर कोई आंच आए लेकिन कईं बार वक्त और हालात हमारे हाथों में नहीं होते हैं। रितिका की पढ़ाई खूब अच्छी चल रही थी लेकिन फिर एक दिन रितिका के पिता टंग कैंसर के शिकार हो गए। फिर जब रितिका का एग्जाम था तो पिता लंग्स कैंसर के शिकार हो गए यह दौर रितिका के लिए मुश्किल जरूर था लेकिन रितिका ने इस दौरान भी हिम्मत नहीं हारी। इस कठिन समय में और पिता को इस गंभीर बीमारी में देखकर उनकी पढ़ाई कुछ देर के लिए तो प्रभावित हुई लेकिन रितिका ने हार मानने की बजाए मेहनत की और साल 2018 में यूपीएससी सिविल सर्विसेस परीक्षा पास करने में सफलता हासिल की।

दसवीं और बारहवीं में भी किया टॉप

बता दें कि रितिका पंजाब के मोगा की रहने वाली हैं। वह शुरू से ही पढ़ाई में आगे थी। हालांकि जहां पर उनका जन्म हुआ वहां पर संसाधनों की कमी अवश्य थी लेकिन इसके बावजूद भी रितिका ने हार नहीं मानी। रितिका ने सिर्फ UPSC एग्जाम में खुद को प्रूव किया बल्कि इससे पहले उन्होंने  दसवीं और बारहवीं में भी टॉप किया।

बचपन से था आईएएस बनने का सपना

रितिका का बचपन से सपना था कि वह आईएएस बने। वह हमेशा इसी लाइन में ही आगे जाना चाहती थीं और यहीं कारण रहा कि उन्होंने इसकी तैयारी पहले से ही शुरू कर दी थी।

पहले पड़ाव में मिली असफलता

बहुत से लोगों को लगता है कि UPSC के एग्जाम क्लियर करना तो बेहद आसान और यह तो एक ही बार में क्लियर हो जाते हैं लेकिन ऐसा नहीं है। इसके लिए आपको जी तोड़ मेहनत करनी पड़ती है। कईं बार 4-5 बार असफलता मिलती है और फिर जाकर सफलता हाथ लगती है। कुछ ऐसा ही रितिका के साथ हुआ क्योंकि उन्होंने पहले ही प्रयास में तीनों स्टेज क्लियर कर लिए थे लेकिन कुछ अंकों के कारण वह फाइनल में आने से रह गई। इसके बाद भी रितिका ने हार नहीं मानी और अगले साल फिर मेहनत की और न सिर्फ मेहनत की बल्कि इसके साथ-साथ टॉपर भी बनीं और 88 रैंक हासिल किया।

रितिका की तरह कितने ही युवा हैं जो जिंदगी में छोटी-छोटी परेशानी के कारण हार मान जाते हैं। अपने सपनों को पूरा करने छोड़ देते हैं लेकिन जब तक आप इन हालातों से लड़ेंगे नहीं तब तक आप सफलता नहीं पा सकते हैं।

Content Writer

Janvi Bithal