गुस्से और चिंता की वजह बनता है स्मार्ट फोन, रिसर्च में बात आई सामने

punjabkesari.in Friday, Nov 29, 2019 - 11:54 AM (IST)

स्मार्टफोन आज जहां सब की जरुरत बन गया है, वहीं इससे होने वाले नुकसान से भी आप शायद भली परिचित हैं। एक शोध के मुताबिक बात सामने आई है कि ज्यादा स्मार्टफोन के इस्तेमाल से व्यक्ति एंग्जाइटी का शिकार हो सकता है। खासतौर पर जो बच्चे या युवा स्मार्टफोन पर गेम्स खेलते हैं उनके लिए इस बारे में जानकारी होना बहुत जरुरी है। 

रिसर्च में सामने आने वाली बात

Canadian Journal of Psychiatry में पब्लिश की गई खबर के मुताबिक आज मानसिक तनाव का सबसे बड़ा कारण स्मार्टफोन बनता जा रहा है। ये उन लोगों के लिए है जो सोशल मीडिया का इस्तेमाल हर वक्त करते हैं। स्मार्टफोन का ज्यादा इस्तेमाल आपको एंग्जाइटी का शिकार बनाती है।

वीडियो गेम से है ज्यादा खतरा

रिसर्च में सबसे बड़ा मुद्दा बनकर यह सामने आया कि जो युवा स्मार्टफोन पर ज्यादा गेम्स खेलते हैं, उन्हें इस परेशानी का सामना ज्यादा करना पड़ता है। वजह पता करने के साथ-साथ विशेषज्ञों ने इस एंगजाइटी से छुटकारा पाने का भी हल बताया।

Anxiety को दूर करने का तरीका

कनाडा में हुई इस रिसर्च के मुताबिक लोगों को एंगजाइटी यानि चिंता और डर से पीछा छुड़ाने के लिए जितना हो सके सोशल मीडिया का काम इस्तेमाल करना चाहिए। टीनएज बच्चों को भविष्य में होने वाली खतरनाक बीमारियों से बचाने के लिए उन पर खास ध्यान देने की जरुरत है।

1 साल की स्टडी के बाद सामने आए नतीजे

टीनएज बच्चों के ऊपर की गई इस रिसर्च से बात सामने आई है कि 1 साल तक अगर व्यक्ति का सोशल मीडिया इस्तेमाल ज्यादा हो तो जाहिर है वह खेल-कूद जैसी एक्टिविटीज में कम ध्यान देगा, जिस वजह से उसका  Anxiety लेवल बढ़ने लगता है। जो लोग इस प्रॉबल्म से पीछा छुड़ाने के लिए दवाईयों का सेवन करते हैं उन्हें बस इतना चाहिए कि सोशल मीडिया इस्तेमाल कम कर दें, उन्हें केवल 1-2 महीने में ही खुद में बदलाव महसूस होने लगेगा।

 

4000 लोगों पर की गई रिसर्च

इस रिसर्च में टीम द्वारा कनाडा के 4000 बच्चे शामिल किए गए, जिनकी उम्र 12 से 16 साल की थी। इस रिसर्च के दौरान पूछा गया कि उन्होंने इस पूरे साल स्क्रीन पर कितना काम किया, क्या किया, सोशल मीडिया ज्यादा देखा, टीवी ज्यादा देखा, कम्प्यूटर ज्यादा देखा, वीडियो गेम ज्यादा खेला जैसे सवाल किये गए। उसी के आधार पर उनका एंगजाइटी लेवल चेक किया गया।

 

यह केवल शुरुआती नतीजे साबित हुए हैं, इस टॉपिक पर अभी और भी रिसर्च जारी है। 
 

Content Writer

Harpreet