Health Alert! त्वचा पर उभरे नीले-लाल धब्बों को न करें इग्नोर

punjabkesari.in Thursday, Oct 03, 2019 - 12:48 PM (IST)

त्वचा पर उभरते-मिटते नीले-लाल धब्बों की बीमारी को सेनाइल परप्यूरा कहते हैं। मनीषा की 81 वर्षीया दादी रूपा देवी भी इसी बीमारी से जूझ रही हैं। रूपा के हाथों व पैरों पर पिछले कई महीनों से नीले-लाल निशान उभर रहे हैं। रूपा ने डॉक्टर से चैकअप करवाया तो डॉक्टर हैरान रह गया।

 

मनीषा ने बताया कि इन नीले-लाल निशानों के आकार और आकृति अलग-अलग होती है। कुछ मटर के दाने से भी छोटे होते हैं तो अन्य कुछ सैंटीमीटर आकार के। कुछ एकदम गोल होते हैं तो अन्य आड़ी-तिरछी आकृति वाले। अमूमन ये निशान छूने पर त्वचा के ऊपर उभरे महसूस नहीं होते लेकिन इनका ऐसे उभरना और फिर कुछ हफ्तों में गायब हो जाना दादी को ङ्क्षचता में डाले हुए है। डॉक्टर रूपा देवी का बार-बार चैकअप कर रहे हैं। उनके खून में प्लेटलेट्स की संख्या सामान्य है और रक्तस्राव के लिए करवाए गए टैस्ट प्रोथ्रॉम्बिन टाइम व एंटीथ्रॉम्बोप्लास्टिन टाइम भी हद के भीतर ही हैं। उन्हें खांसी, मल-मूत्र में कहीं से कोई रक्तस्राव नहीं हो रहा।

क्या है सेनाइल परप्यूरा?

वृद्धजनों की त्वचा की रक्त वाहिनियों की दीवारें बढ़ती उम्र के साथ भंगुर हो जाती हैं। यही कारण है कि तनिक भी ङ्क्षखचाव या दबाव पडऩे पर वे फट जाती हैं और उनसे रिसता खून त्वचा के नीचे जमा हो जाता है। यही खून लाल-नीले धब्बों के रूप में नजर आता है। सेनाइल शब्द वृद्धावस्था की ओर इशारा करता है और परप्यूरा का मतलब होता है- बहते खून के त्वचा के नीचे एकत्रित होने के कारण पड़े धब्बे।

खतरनाक नहीं है यह रोग

सेनाइल परप्यूरा कोई खतरनाक रोग नहीं है। बस इसकी पुष्टि के समय डॉक्टर को यह ध्यान में रखना होता है कि त्वचा के नीचे रिसता खून किसी अन्य गंभीर रोग के कारण तो नहीं। डॉक्टर इस बीमारी से पीड़ित लोगों को पर्याप्त मात्रा में ऐसा संतुलित भोजन लेने की सलाह देते हैं जिसमें प्रोटीन, दुग्ध पदार्थ, सलाद, हरी सब्जियां और फल मौजूद हों।

Content Writer

Anjali Rajput