Virushka ने इस वजह से किए महाकालेश्वर मंदिर के दर्शन, दिलचस्प बातें जानकर आपसे भी नहीं होगा इंतजार

punjabkesari.in Monday, Mar 06, 2023 - 03:20 PM (IST)

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित है। कहते हैं यहां आने वालों की झोली कभी खाली नहीं जाती। हाल ही में भारतीय क्रिकेटर विराट कोहली अपनी पत्‍नी अनुष्‍का शर्मा के साथ महाकाल के दर्शन करने पहुंचे थे। कपल ने सुबह 4 बजे की महाकाल आरती में भी हिस्सा लिया। ये ही नहीं, इससे पहले केएल राहुल- अथिया और अनिल अंबानी भी महाकाल की शरण में पहुंचे थे। माना जाता है कि उज्‍जैन 5000 साल पुराना शहर है। जिसे अवंती, अवंतिका, नंदिनी और अमरावती के नाम से जाना जाता है। ऐसे एक या दो नहीं, बल्कि महाकालेश्‍वर मंदिर से जुड़े ऐसे कई तथ्‍य हैं, जिनके बारे में आपको जानना जरूरी है। 
PunjabKesari

उज्जैन के राजा हैं महाकाल 

महाकाल को उज्जैन के राजा भी कहते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार विक्रमादित्य के शासन के बाद से यहां कोई भी रात भर भी टिक नहीं पाया। कहते हैं कि जिस भी व्यक्ति ने ये दुस्साहस करने की कोशिश की उसकी अकस्मात मौत हो गई। बता दें, कोई भी मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री उज्जैन में रात नहीं बिताते हैं। 

PunjabKesari

जब धरती फाड़ कर प्रकट हुए महाकाल

पौराणिक कथा के अनुसा वेद प्रिय नाम का एक ब्राह्रण अवंती नामक नगर रहता था। वो शिव का परम भक्त था। प्रतिदिन पार्थिव शिवलिंग बनाकर बाबा की पूजा करता था। नियमित रूप से धार्मिक कर्मकांड के कामों में उसकी विशेष रूचि थी। एक बार दूषण नामक राक्षस नगर में आया और लोगों को धार्मिक कार्य करने से रोकने लगा। राक्षस को ब्रह्मा जी से विशेष वरदान प्राप्त था। इसी कारण उसका आतंक बढ़ता गया। राक्षस की पीड़ा से दुखी होकर सभी ने शिव से रक्षा के लिए विनती की। 

PunjabKesari

शिव की हुंकार मात्र से भस्म हुआ राक्षस

भोलेनाथ ने नगरवासियों को राक्षस के अत्याचार से बचाने के लिए पहले उसे चेतावनी दी। जब राक्षस पर इसका कोई असर नहीं हुआ और उसने नगर पर हमला कर दिया। भोलेनाथ क्रोधित हो उठे और धरती फाड़कर महाकाल के रूप में प्रकट हुए। शिव ने अपनी हुंकार से राक्षस को भस्म कर दिया। भक्‍तों की वहीं रुकने की मांग से अभिभूत होकर भगवान वहीं रुक गए और लिंग के रूप में यहां प्रतिष्ठित हो गए।

PunjabKesari

इसलिए कहते हैं मृत्युंजय महादेव 

श्री महाकालेश्‍वर को पृथ्वी लोक का राजा कहा जाता है। वह प्रलय, संहार और काल के देवता हैं। वे मृत्‍यु के मुंह में गए प्राणी को खींचकर वापस ला देते हैं, इसलिए उन्‍हें मृत्युंजय महादेव कहा जाता है। 

अलग-अलग रूपों में भक्‍तों को देते हैं दर्शन

यहां महाकाल अपने भक्‍तों को कई रूपों में दर्शन देते हैं। जैसे शिवरात्रि पर उनका श्रृंगार दूल्‍हे के रूप में किया जाता है तो श्रावण मास में वो राजा धिराज बनते हैं। इतना ही नहीं दिवाली में महाकाल का आंगन दीपों से सजाया जाता है, वहीं होली में आंगन रंग और गुलाल से रंग जाता है। महाकाल का रूप जो भी हो, उनका हर रूप भक्‍तों को मोहित कर देता है।

PunjabKesari


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Charanjeet Kaur

Recommended News

Related News

static