क्या आप जानते हैं हिंदू धर्म में क्यों लिए जाते हैं 7 फेरे?

punjabkesari.in Monday, Dec 07, 2020 - 01:26 PM (IST)

इस दुनिया में कई धर्म के लोग बसते हैं। सभी धर्मों के रीति-रिवाज भी अलग-अलग होते है। ऐसे ही शादी का रिवाज होता है, जो हर धर्म में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। हिंदू धर्म में शादी को 16 संस्कारों में से एक माना जाता है।  इसमें होने वाली सभी रस्मों को बहुत महत्व दिया जाता, खासकर सात फेरों का। शादी के समय वर और वधु कोे अग्नि के 7 फेरे लेने होते हैं। तभी शादी पूर्ण कहलाई जाती है। ऐसा कहा जाता है कि सात फेरे लेने से लड़का-लड़की सात जन्मों तक एक-दूसरे के हो जाते हैं। लेकिन क्या कभी सोचा है कि शादी के दिन दुल्हा-दुल्हन को सात फेरे क्यों लेने होते हैं। अगर नहीं, तो आइए जानते है। 

क्यों लिए जाते हैं 7 फेरे? 

हिंदू धर्म के मुताबिक शादी से पहले लड़का और लड़की की कुंडली और गुणों को मिलाया जाता है। वहीं हिंदू धर्म में शादी को 16 संस्कारों में से एक माना जाता है। शादी में दुल्हा-दुल्हन के 7 फेरे लेने की प्रक्रिया को 'सप्तपदी' भी कहते हैं। हर एक फेरे के साथ एक वचन दिया जाता है। जो कि वर-वधू के जीवन में बहुत महत्व रखता है। 

महत्व: 

भारतीय संस्कृति की बात करें तो 7 नंबर व्यक्ति के जीवन में बेहद अहम होता है। जीवन की सात क्रियाएं और सात ही ऊर्जा के केंद्र होते हैं। उसी तरह संगीत के सात सुर, सात ग्रह, इंद्रधनुष के सात रंग, सात तारे, सात ऋषि, सात दिन में इसका वर्णन किया गया है। इसके अलावा हिंदू धर्म में सात महीने यानि अक्टूब-नवंबर से लेकर जून तक शादी का सीजन होता है। 

सात फेरों का अर्थ

1. पहले फेरे में कपल एक साथ रहने और अच्छे और बुरे समय में एक-दूसरे का सम्मान करने का वचन लेता है। वे एक-दूसरे की जरूरतों का पोषण और देखभाल करने का वादा करते हैं।

2. दूसरे फेरे में ईश्वर मानसिक स्थिरता, आध्यात्मिक शक्ति और शारीरिक स्वास्थ्य प्रदान करने की प्रार्थना करते हैं, ताकि वे एक सहज जीवन जी सकें। 

3. तीसरे फेरे में दंपति जीवन को शांति और संतोष के साथ जीने के लिए धन, समृद्धि और ज्ञान की प्रार्थना करते हैं। 

4. चौथे फेरे में कपल एक-दूसरे के प्रति प्यार और सम्मान की प्रतिज्ञा लेते हैं। 

5. पांचवें फेरे में कपल एक-दूसरे के साथ दुख-सुख सांझा करने का वचन करते हैं। साथ ही वे स्वस्थ बच्चों के लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं।

6. छठे फेरे में दंपति एक-दूसरे को वचन देते हैं कि वो खराब स्वास्थ्य में या जरूरत पड़ने पर हमेशा साथ खड़े रहेंगे और सभी भक्ति कर्तव्यों में एक-दूसरे का समर्थन करते हैं।

7. सातवें फेरे में कपल एक-दूसरे से वफादारी, एकजुटता, साहचर्य, समझ और बिना शर्त प्यार करने का वचन देते हैं। वे भगवान से इस खूबसूरत बंधन को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए धैर्य और परिपक्वता की प्रार्थना करते हैं।

Content Writer

Bhawna sharma