ज्योतिराव गोविंदराव फुले: पढ़िए लड़कियों के लिए पहला स्कूल खोलने वाले समाजसेवी की कहानी

punjabkesari.in Monday, Apr 11, 2022 - 11:15 AM (IST)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समाज सुधारक ज्योतिबा फुले की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर कहा कि वह बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे, जिन्होंने सामाजिक समानता, महिला सशक्तीकरण और शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए अथक काम किए।  ज्योतिराव गोविंदराव फुले 19वीं सदी के एक महान समाज सुधारक, समाज प्रबोधक, विचारक, समाजसेवी, लेखक, दार्शनिक तथा क्रान्तिकारी कार्यकर्ता थे।


पीएम मोदी ने भी किय फुले को याद

महात्मा फुले एवं 'ज्योतिबा फुले के नाम से प्रसिद्ध गोविंदराव का जन्म 11 अप्रैल 1827 में महाराष्ट्र के सतारा में हुआ था। उन्होंने अपना पूरा जीवन स्त्रियों को शिक्षा का अधिकार दिलाने, बाल विवाह पर रोक लगवाने के प्रयासों में लगा दिया। प्रधानमंत्री ने उन्हे याद करते हुए कहा- फुले का सामाजिक न्याय के ‘‘चैम्पियन’’ के रूप में व्यापक तौर पर सम्मान किया जाता है और वह असंख्य लोगों की उम्मीदों के स्रोत हैं।

 

सामाजिक भेदभाव के खिलाफ लड़ी लड़ाई

ज्योतिबा फुले ने सामाजिक भेदभाव के खिलाफ लड़ाई लड़ी। समाज के पिछड़े एवं वंचित वर्गों में शिक्षा को बढ़ावा देने और महिला सशक्तीकरण की दिशा में भी उन्होंने कई काम किए। उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले ने भी समाज के वंचित वर्गों के हित में उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया।


लड़कियों के लिए खोला पहला स्कूल

 महात्मा ज्योतिबा फुले ने ही साल 1848 में पुणे में लड़कियों के लिए देश का पहला महिला स्‍कूल खोला था, जिसमें उनकी पत्‍नी सावित्रीबाई पहली शिक्षिका बनीं, जिसका काफी विरोध हुआ और उन्हें ये स्कूल बंद करना पड़ा। हालांकि, बाद में ये स्कूल किसी दूसरे स्थान पर फिर से खोला गया।। ज्योतिराव फुले को उनकी समाज सेवा से प्रभावित होकर 1888 में मुंबई की एक सभा में महात्मा की उपाधि से नवाजा गया।


 कन्या शिशु हत्या के खिलाफ भी उठाई आवाज

समाज परिवर्तन के आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने 24 सितंबर 1873 को ‘सत्यशोधक’ समाज की स्थापना की थी। इसका प्रमुख उद्देश्य दलितो, उपेक्षितों, महिलाओं और पीड़ितों को न्याय और शिक्षा दिलाना था।  शिक्षा के अलावा उन्होंने विधवा के लिए आश्रम, विधवा पुनर्विवाह, नवजात शिशुओं के लिए आश्रम, कन्या शिशु हत्या के खिलाफ भी आवाज उठाई।


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vasudha

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