यहां औरतों के लिए कुछ नहीं बदला रत्ना पाठक शाह ने करवाचौथ पर कहा- 'क्या मैं पागल हूं...'

punjabkesari.in Friday, Jul 29, 2022 - 04:18 PM (IST)

भारत में महिलाओं के लिए कुछ नहीं बदला। जी हां, ऐसा कहना है बॉलीवुड के वेटरन एक्टर नसीरुद्दीन शाह की पत्नी व एक्ट्रेस रत्ना पाठक शाह का। उन्होंने हिंदू त्योहार करवा चौथ पर बात करते कहा कि यह पहले भी रुढिवादी था और अब भी है। औरतों के लिए यहां कुछ नहीं बदला। उन्होंने करवा चौथ को महिलाओं की गुलामी और अंधविश्वास का प्रतीक बताया है और कहा-हमारे देश में औरतें अभी भी सदियो पुरानी प्रथाओं और रीति-रिवाजों को फॉलो करती आ रही हैं। चलिए आपको पूरा मामला बताते हैं। एक वेबसाइट के मुताबिक, पिंकविला से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि किसी ने उनसे पूछा था कि क्या वे करवा चौथ पर पति की सलामती के लिए व्रत रखती हैं या नहीं, जिस पर उन्होंने कहा, 'क्या मैं पागल हूं, जो ऐसा करूंगी?' इसे अंधविश्वास और रूढ़िवादिता बताते हुए उन्होंने इसे मनाने वाली महिलाओं का मजाक उड़ाया है।

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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'यह कितना भयानक है, पढ़ी-लिखी मॉडर्न औरतें भी करवा चौथ करती हैं।'

रत्ना पाठक शाह ने कहा, 'क्या यह भयानक नहीं है कि पढ़ी-लिखी आज की मॉडर्न महिलाएं भी करवा चौथ करती हैं। वे पति के लंबे जीवन के लिए प्रार्थना करती हैं, जिससे उन्हें विधवा होने का कोप न झेलना पड़े। मतलब विधवापन को दूर रखने के लिए मैं कुछ भी करूंगी। सच में? 21वीं सदी में हम ऐसी बात कर रहे हैं? पढ़ी-लिखी औरतें ये कर रही हैं। '

'हम अंधविश्वासी होते जा रहे हैं'

सदियों पुरानी परंपरा का जिक्र करते हुए रत्ना ने आगे कहा, महिलाओं के लिए कुछ भी नहीं बदला है। कुछ क्षेत्रों में अगर बदलाव आया है तो वह भी बहुत थोड़ा है। देश लकीर का फकीर यानी रूढ़िवादी बनने की राह पर बढ़ रहा है। हम अंधविश्वासी होते जा रहे हैं। हमें धर्म को स्वीकार करने और उसे महत्वपूर्ण हिस्सा बनाने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

'क्या हम सऊदी अरब जैसा देश बनना चाहते हैं?'

सऊदी अरब का उदाहरण देते हुए रत्ना ने कहा, 'सऊदी अरब में औरतों के लिए क्या स्कोप है? क्या हम सऊदी अरब जैसा देश बनना चाहते हैं? और हम उनके जैसे बन भी जाएंगे क्योंकि यह बहुत ही सुविधाजनक है। औरतें घर में बहुत सारा काम करती हैं जिसके लिए उन्हें कोई पैसे नहीं मिलते। अगर आपको उनके काम के लिए पैसे देने हो, तो कौन करेगा? औरतों को उस परिस्थिति में धकेला जाता है।'

उनके इस बेबाक बयानों के बाद कुछ लोगों ने उन्हें सोशल मीडिया पर आइना दिखाते हुए इस्लाम पर बोलने का चेलेंज किया है। एक यूजर ने कहा कि अगर करवा चौथ रूढ़िवादिता है तो इस्लाम के तीन तलाक, हलाला और नजदीकी रिश्तों में शादी पर उनके क्या विचार हैं? उन्हें इन मुद्दों पर भी बोलने की हिम्मत दिखानी चाहिए।

आपको बता दें कि रत्ना पाठक, मशहूर एक्ट्रेस दीना पाठक की बेटी हैं। दीना पाठक 50, 60 और 70 के दशक की मशहूर एक्ट्रेस रही थीं। रत्ना ने करीब 40 साल पहले एक्टर नसीरुद्दीन शाह से शादी की थी और उनके दो बेटे इमाद और विवान शाह है।  उन्होंने करीब साल 1983 में श्याम बेनेगल की फिल्म 'मंडी' से करियर की शुरुआत की थी। बॉलीवुड इंडस्ट्री के अलावा व टेलीविजन इंडस्ट्री में भी एक्टिव रही हैं।

रत्ना और नासीर साहब दोनों कॉलेज में एक साथ थे लेकिन दोनों की पहली मुलाकात  'संभोग से संन्यास तक' नाटक के दौरान हुई थी। इस प्ले में दोनों ने ने एक साथ काम किया था। इस नाटक के बाद दोनों ने एक साथ खूब काम किया और धीरे-धीरे दोनों करीब आ गए। कुछ समय बाद ही दोनों ने लिव-इन में रहने का फैसला लिया था। कुछ समय लिव-इन में रहने के बाद रत्ना और नसीरुद्दीन शाह ने सिंपल तरीके से अपनी मां के घर में रजिस्टर्ड मैरिज की। हालांकि नासीर साहब  19 साल की उम्र में पहली शादी कर चुके थे। उन्हें 19 साल की उम्र में परवीन नाम की लड़की से प्यार हो गया था जो पाकिस्तान से अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पढ़ने के लिए आई थी। दोनों का प्यार परवान चढ़ा और बात शादी तक भी पहुंच गई शादी के 1 साल बाद उनकी बेटी हीबा हुआ लेकिन कुछ समय बाद ही दोनों के रिश्ते खराब हो गए और उनकी राहें अलग हो गई। नासीर की पहली पत्नी की मौत के बाद उनकी बेटी हीबा भी उनके साथ रहने लगी लेकिन इससे नसीर और रत्ना के रिश्ते में दरार नहीं आई।


खैर, आप रत्ना पाठक शाह के इस ब्यान को किस तरह ले रहे हैं, क्या उनका कहना सही है या गलत हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।


 

Content Writer

Vandana