Positive Effect: बेंगलुरु में बना Sun halo, सूर्य के चारों ओर दिखा अद्भुत नजारा

punjabkesari.in Tuesday, May 25, 2021 - 05:05 PM (IST)

साल 2020 में लगे लॉकडाउन के कारण जब दुनियाभर के लोग घरों में रहने को मजबूत हो गई थी, तब प्राकृति को खुलकर सांस लेना का मौका मिला। इसके कारण लोगों को भी कई अद्भुत नजारे देखने को मिले। वहीं, इस साल भी प्राकृति अपने खुबसूरत रंग दिखा रही हैं। जहां कुछ दिन पहले मौसम साफ होने के बाद सहारनपुर में छिपी हुई बर्फीली पहाड़ियां देखने को मिली वहीं बेंगलुरु में सोमवार को सन हालो (Sun Halo) देखने को मिला।

बेंगलुरु में दिखा Sun halo

दरअसल, मौसम साफ होने की वजह से सोमवार दोपहर बेंगलुरु के आसमान में सूर्य के चारों तरफ एक अद्भुत सतरंगी इंद्रधनुष जैसी आकृति दिखी। यह सूर्य के चारों तरफ एक गोल छल्ले जैसा दिख रहा था, जिसे वैज्ञानिक भाषा में सन हालो (Sun Halo) कहा जाता हैं। इसके अलावा झारखंड के कई जगहों पर नीले रंग का वलय देखने को मिला।

क्या होता है सन हालो?

जब सूरज के चारों ओर एक चमकीला संतरंगी घेरा बन जाता है, तो उसे सन हालो कहा जाता है। सूर्य किरणों से उत्पन्न होने वाला यह हालो एक ऑप्टिकल घटना के परिवार का नाम है।

कब बनता है हालो?

वैज्ञानिक का कहना है कि आसमान में हालो तब बनता है जब सूर्य पृथ्वी से 22 डिग्री के एंगल पर होता है और आसमान में हल्की नमी होती है। फिर आसमान के सिरस क्लाउड की वजह से दोपहर में भी यह रिंग बन जाती है। ऐसी खगोलीय घटना आमतौर ठंडे देशों में बहुत ही सामान्य है। हालांकि, भारत में ऐसा साल में एक बार ही होता है।

चंद्र की रोशनी से भी बनता है हालो

बात दें कि सिर्फ सूर्य ही नहीं बल्कि चंद्रमा की रोशनी से भी हालो बन सकता है। आसमान की नमी के साथ जब चंद्रमा की रोशनी धरती के 22 डिग्री एंगल पर टकराती है तब ये रिंग बनती है लेकिन इसे मून रिंग (Moon Ring) या विंटर हालो (Winter Halo) कहा जाता हैं।

 

लॉकडाउन या प्रदूषण से संबंध नहीं

एक्सपर्ट का कहना है कि इसका कोरोना, लॉकडाउन या प्रदूषण से कोई संबंध नहीं है। बेशक आसमान में फिलहाल प्रदूषण कम है लेकिन सूर्य का आभा मंडल बनना वायुमंडल के बदलने पर ही यह निर्भर करता है।

Content Writer

Anjali Rajput