डोर की वजह से गई एक और जान, शिकार हुई डॉक्टर युवती

punjabkesari.in Wednesday, Oct 10, 2018 - 03:54 PM (IST)

पतंग की डोर कई बार राहगीरों के लिए परेशानी बन चुकी है। पुणे में ऐसा एक और केस सामने आया है, जिसमें एक्टिवा सवार 26 साल की महिला डॉ. कृपाली निकम की मौत हो गई है। उनका गला मांझा लगी डोर से कट गया और ब्लीडिंग बंद न होने के कारण उनकी मौत हो गई। इस घटना के बाद इलाके में मांझा की बिक्री पर रोक लगा दी गई है। इस तरह की घटनाएं देश में पहले भी कई बार हो चुकी हैं।

मांझा डोर के नुकसान
इस तरह की घटनाओं को देखते हुए लोगों को पहले कई बार जाकरूक किया जा चुका है। चाइना डोर या फिर मांझा वाली डोर राहगीरों के लिए मुसीबत बनती जा रही है। 

- पतंग उड़ाते समय कुछ सावधानियां बरतनी बहुत जरूरी हैं। कभी भी छत पर पतंग न उड़ाएं। इससे बच्चा नीचे भी गिर सकता है। 

- राहगीरों के लिए डोर परेशानी का कारण बनती है। तेज मांजा वाली डोर गले से गला कट सकता है। इसका इस्तेमाल न करें। 

- किसी खुले मैदान में पतंगबाजी करें ताकि किसी गली या सड़क पर चलते लोग इससे दूर रहे। 

- प्लास्टिक की डोर या चाइना डोर बिल्कुल भी न खरीदें। प्लास्टिक की डोर से हाथ कटने का भी डर रहता है।

- डोर का मांझा बनाने में कांच के साथ लोहे का भी इस्तेमाल किया जाता है, बिजली की तार से टकराने पर इससे करंट लगने का भी खतरा हो सकता है। 

- पक्षियों के लिए भी यह मांझा डोर बहुत नुकसानदायक है। इधर-उधर गिरी हुई डोर जब पक्षी चबाते हैं तो उनके गले के जरिए खतरनाक पदार्थ शरीर में चले जाते हैं। जिससे पक्षियों की मौत भी हो सकती है। 

Content Writer

Priya verma