बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए आगे आए प्रेमानंद महाराज, भक्तों को दिया मानवता और पर्यावरण का संदेश
punjabkesari.in Monday, Sep 08, 2025 - 05:43 PM (IST)

नारी डेस्क: देश के कई हिस्से इन दिनों भयंकर बाढ़ की चपेट में हैं। खासकर उत्तर भारत और पश्चिमी राज्यों में हालात काफी खराब हैं। इस प्राकृतिक आपदा को देखकर वृंदावन के संत श्री प्रेमानंद महाराज जी ने न केवल चिंता जताई है, बल्कि लोगों को पर्यावरण की रक्षा और ज़रूरतमंदों की मदद करने का सच्चा संदेश भी दिया है।
देश में बाढ़ से भारी तबाही
इन दिनों पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में भारी बारिश और बाढ़ से जनजीवन अस्त-व्यस्त है। पंजाब में 1400 से अधिक गांव पानी में डूब चुके हैं। लोग बेघर हो गए हैं और उनकी फसलें पूरी तरह बर्बाद हो चुकी हैं। कई जगहों पर बिजली, पानी और भोजन जैसी बुनियादी सुविधाएं भी ठप हो गई हैं।
मथुरा-वृंदावन के भी 45 गांव जलमग्न
यमुना नदी में जलस्तर बढ़ने के कारण मथुरा-वृंदावन क्षेत्र के लगभग 45 गांव पानी में डूब चुके हैं। कई गांव टापू जैसे बन गए हैं।प्रशासन ने अब तक 9,000 से ज्यादा लोगों को रेस्क्यू कर राहत शिविरों में पहुंचाया है। स्थानीय संतों और समाजसेवियों की टीम लगातार राहत कार्य में जुटी हुई है।
प्रेमानंद महाराज का भावुक संदेश
श्री प्रेमानंद महाराज जी ने भक्तों को संबोधित करते हुए कहा बाढ़ का यह प्रकोप हमें याद दिलाता है कि प्रकृति के साथ खिलवाड़ अब हमें महंगा पड़ रहा है। हमें समय रहते पर्यावरण को बचाने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। ही, इस मुश्किल समय में मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है। जो समर्थ हैं, वे ज़रूरतमंदों की मदद ज़रूर करें।"
सेवा ही सबसे बड़ा पुण्य है
महाराज जी ने बताया कि वृंदावन में उनके आश्रम से जुड़े संतजन नावों की मदद से बाढ़ पीड़ितों तक खाना, पानी और राहत सामग्री पहुंचा रहे हैं। उन्होंने सभी भक्तों से अपील की "यदि आपके पास क्षमता है, तो किसी भूखे को भोजन कराएं। मनुष्य का जीवन तभी सार्थक है, जब वह दूसरों के काम आए। ईश्वर की सच्ची सेवा, उसी की संतानों की सेवा में है।"
प्रकृति के साथ संतुलन जरूरी
बाढ़ जैसी आपदाएं सिर्फ प्राकृतिक घटनाएं नहीं, बल्कि ये हमें चेतावनी देती हैं कि हम प्रकृति के नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। महाराज जी ने दोहराया कि अब समय है जब हमें पेड़ लगाना, नदियों को प्रदूषण से बचाना, और प्राकृतिक संसाधनों का सही उपयोग करना सीखना होगा। सरकार भी कर रही प्रयास बाढ़ प्रभावित इलाकों में केंद्र और राज्य सरकारें राहत कार्य में जुटी हैं। राहत शिविर बनाए जा रहे हैं, खाने-पीने की चीजें और दवाइयां भेजी जा रही हैं। लेकिन इस समय सामाजिक और धार्मिक संगठनों की भागीदारी भी बेहद ज़रूरी है।
प्रेमानंद महाराज जी का संदेश हमें ये सिखाता है कि आपदा के समय में सिर्फ प्रार्थना नहीं, कर्म भी ज़रूरी है। जैसी आपदाओं से लड़ने के लिए हमें सामूहिक प्रयास और सेवा भाव अपनाना होगा।