Pregnancy में 1 गलती से शिशु में हो सकती है खून की कमी, एक्सपर्ट की चेतावनी
punjabkesari.in Sunday, Sep 28, 2025 - 01:05 PM (IST)

नारी डेस्क : अगर आपकी हाल ही में प्रेग्नेंसी कंफर्म हुई है, तो यह खबर आपके लिए बेहद अहम है। गर्भावस्था का समय महिलाओं के लिए खास और नाजुक होता है। इस दौरान उन्हें अपनी सेहत और आदतों पर पूरा ध्यान देना पड़ता है, क्योंकि थोड़ी सी भी लापरवाही मां और गर्भ में पल रहे शिशु दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है।
डॉक्टरों का कहना है कि प्रेग्नेंसी के समय कुछ चीजें बिल्कुल नहीं करनी चाहिए, वरना इसका सीधा असर बच्चे की सेहत पर पड़ सकता है। गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर ने हाल ही में अपने इंस्टाग्राम वीडियो में बताया कि एक आम सी गलती शिशु की हार्टबीट को धीमा कर सकती है और उसके शरीर में खून की कमी (एनीमिया) का कारण भी बन सकती है।
नींद की कमी से बढ़ सकता है खतरा
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को सबसे ज्यादा अपनी नींद पर ध्यान देना चाहिए। अगर प्रेग्नेंट महिला की नींद पूरी नहीं होती है, तो प्लेसेंटा (Placenta) यानी बच्चे तक खून और पोषण पहुंचाने वाला माध्यम सही तरह से काम नहीं कर पाता। इसका असर बच्चे की हार्टबीट पर पड़ता है और कई बार गर्भ में पल रहे शिशु में खून की कमी (एनीमिया) की समस्या हो सकती है। बता दें की जब मां गहरी नींद में होती है, तो उस समय शिशु को ब्लड और ऑक्सीजन की सप्लाई अच्छे से होती है। अगर नींद पूरी न हो तो यह प्रक्रिया प्रभावित होती है, जिससे बच्चे की ग्रोथ पर असर पड़ सकता है। इतना ही नहीं, नींद की कमी से हार्मोन का निर्माण भी प्रभावित हो जाता है, जो प्रेग्नेंसी के लिए जरूरी है।
प्रेग्नेंसी (Pregnancy) में वॉक क्यों है जरूरी
गर्भावस्था के पहले तीन महीने यानी फर्स्ट ट्राईमेस्टर में महिलाओं को रोजाना 15 से 20 मिनट की हल्की वॉक करनी चाहिए। वहीं, दूसरे ट्राईमेस्टर में वॉक का समय बढ़ाकर 30 से 40 मिनट करना चाहिए। वॉक करने से ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है, शरीर एक्टिव रहता है और डिलीवरी के समय आने वाली मुश्किलें भी कम हो सकती हैं।
क्या करें और क्या न करें
रोजाना पर्याप्त नींद लें
गर्भावस्था के दौरान मां और शिशु दोनों के स्वास्थ्य के लिए 7-8 घंटे की गहरी नींद लेना बेहद जरूरी है। जब गर्भवती महिला सही समय पर और पर्याप्त नींद लेती है, तो बच्चे तक ब्लड और ऑक्सीजन की सप्लाई अच्छे से पहुंचती है, जिससे शिशु का विकास सही तरीके से होता है। नींद की कमी होने पर प्लेसेंटा का काम प्रभावित होता है, हार्मोन का निर्माण कम हो जाता है और बच्चे की हार्टबीट पर भी असर पड़ सकता है।
सोने का समय तय करें
गर्भावस्था के दौरान नियमित नींद का रूटीन बनाना बहुत जरूरी है। रोजाना एक ही समय पर सोने और उठने की आदत डालने से शरीर की बॉयोलॉजिकल क्लॉक सही रहती है और हार्मोनल बैलेंस भी बेहतर होता है। अनियमित समय पर सोने से नींद की क्वालिटी खराब हो सकती है, जिससे मां थकान, चिड़चिड़ापन और तनाव महसूस कर सकती है। वहीं, शिशु तक ब्लड और ऑक्सीजन की सप्लाई भी प्रभावित हो सकती है।
हल्की वॉक करें
गर्भावस्था के दौरान हल्की वॉक करना मां और शिशु दोनों के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। डॉक्टर की सलाह से रोजाना हल्की वॉक को अपनी दिनचर्या में शामिल करने से शरीर एक्टिव रहता है और ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है। फर्स्ट ट्राईमेस्टर में रोजाना 15-20 मिनट और सेकंड ट्राईमेस्टर से 30-40 मिनट तक वॉक करना सुरक्षित माना जाता है। हल्की वॉक करने से वजन नियंत्रित रहता है, पाचन बेहतर होता है और डिलीवरी के समय आने वाली जटिलताओं की संभावना भी कम हो जाती है।
तनाव से बचें
गर्भावस्था के दौरान शारीरिक स्वास्थ्य जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही जरूरी मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी है। लगातार तनाव या चिंता का असर हार्मोनल बैलेंस पर पड़ता है, जिससे शिशु की ग्रोथ और विकास पर नकारात्मक असर हो सकता है। तनाव के कारण नींद में कमी, ब्लड प्रेशर बढ़ना और भूख कम लगने जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। इसलिए इस समय खुद को रिलैक्स रखना बेहद जरूरी है। इसके लिए मेडिटेशन, हल्की प्राणायाम और डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज की मदद लें।
गर्भावस्था में नींद और शारीरिक गतिविधि दोनों का संतुलन बेहद जरूरी है। नींद पूरी करने से शिशु की हार्टबीट और ब्लड सप्लाई सामान्य रहती है, जबकि हल्की वॉक करने से शरीर स्वस्थ और एक्टिव रहता है। प्रेग्नेंट महिलाओं को इस दौरान छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर अपने होने वाले बच्चे की सेहत को सुरक्षित रखना चाहिए।