कुर्बानी की मूरत होते हैं माता-पिता, फिर क्यों बुढ़ापे में बन जाते हैं बोझ?

punjabkesari.in Saturday, Feb 27, 2021 - 01:43 PM (IST)

माता-पिता अपनी सारी जिंदगी अपने बच्चों के नाम कर देते हैं। खुद के सपनों को पीछे कर वह अपने बच्चों के सपनों को आगे रखते हैं। खुद पुराने कपड़े पहन कर आपको नए कपड़े लेकर देते हैं। खुद चाहे कभी स्कूल भी न गए हो लेकिन आपको बेस्ट स्कूल में भेजते हैं। मां चाहे खुद एक रोटी कम खा ले लेकिन अपने बच्चों को वो 4-5 रोटी खिलाती है। खुद चाहे 2-3 हफ्ते दवा न खाए लेकिन आपको चोट लगते ही डॉक्टर के पास ले जाती है। मां-बाप खुद तो बटन वाला मोबाइल इस्तेमाल करते हैं लेकिन बच्चों के हाथों में टच स्क्रीन वाला फोन देते हैं। फिर बुढ़ापे में आते-आते यही मां-बाप क्यों बच्चों के लिए बोझ बन जाते हैं? क्यों आपको अपने बीमार माता-पिता ही बोझ लगने लगते हैं और आप उनसे जल्द से जल्द पीछा छुड़ाना चाहते हैं?

पैसे नहीं आपके प्यार के भूखे होते हैं बुजुर्ग 

इस उम्र के पड़ाव में आकर हर एक बुजुर्ग अकेला हो जाता है। बेटा और बहू तो अपनी फेमिली के साथ बिजी हो जाते हैं लेकिन बुजुर्ग एक ही कमरे में बैठे रहते हैं। आप कहीं बाहर भी जाते हैं तो भी वह घर पर अकेले ही होते हैं। ऐसे में एक माता पिता इस उम्र में अपने बच्चों से कुछ नहीं चाहता है वह सिर्फ यही चाहता है कि हमारा बच्चा हमारे साथ समय बीताए। दो पल हंस कर बात करे। 

बीमारी पर किसका जोर?

आप शायद वो समय भूल गए हैं जब आपको बुखार हो जाता था तो मां-बाप आधी-आधी रात तक जागकर आपका ख्याल रखते थे। अगर आज वो माता-पिता ही बीमार हैं तो इसका अर्थ यह तो नहीं कि आप उन्हें बोझ समझें या फिर आप उनसे साथ ऐसा बर्ताव करें कि वह जीने की बजाए मौत की दुआएं करने लगे। बीमारी पर तो किसी का जोर नहीं है वहीं अगर आप ऐसे समय में अपने माता पिता का अच्छे से ख्याल रखेंगे और उनकी ताकत बनेंगे तो वह जल्द ही ठीक भी हो जाएंगे। 

बातों को न करें अनसुना

घर के बेड पर पड़ा बुजुर्ग अगर आपको आवाज लगा रहा या फिर आपके बच्चे को बुला रहा है तो उनकी बातों को इग्नोर न करें। जरा सोचिए उम्र के इस पड़ाव पर वह भी किसके साथ बात करें? अगर वो आपको बुला रहे हैं तो आप भी उनकी जाकर बात सुनें उनके साथ 2 पल बैठिए और उनसे बातें कीजिए। 

कद्र करें क्योंकि वह लौटकर नहीं आएंगे

जिंदगी में कईं बार हमसे कुछ ऐसी गलतियां हो जाती है जिसका पछतावा हमें बाद में होता है उन्हीं में से एक है अपने माता पिता की कद्र न करना। आप आज उनके साथ गलत बर्ताव करेंगे लेकिन जब वो आपको हमेशा हमेशा के लिए छोड़ जाएंगे तब जाकर आपको उनकी कीमत का पता चलेगा। इसलिए उनकी कद्र करें। 

उन्हें भी कभी बाहर ले जाएं

अगर आप बाहर घूमने जा रहे हैं तो आप अपनी फेमिली के साथ माता-पिता को भी साथ में घूमाने ले जाएं। याद रखिए माता-पिता आपको खुद कभी नहीं कहेंगे लेकिन वह भी चाहते हैं कि  आप उनके साथ समय बीताएं। 

बच्चों को न करें दादा-दादी से दूर 

आज कल तो समय बहुत बदल गया है। रिश्तों में इतनी दरारें आ गई हैं कि एक ही शहर में होते हुए भी बच्चे अलग रहते हैं। वहीं बच्चों को तो कईं बार इस बात का भी नहीं पता होता कि उनके दादा दादी हैं या फिर नहीं लेकिन आपकी चाहे माता पिता से लड़ाई हो लेकिन अपने बच्चों के मन में यह बात न डालें। 

Content Writer

Janvi Bithal