छोरियां छोरों से आगे... लड़कों को पीछे छोड़ आसमान छू रही है हमारी बेटियां
punjabkesari.in Sunday, Sep 26, 2021 - 05:12 PM (IST)
कौन कहता है कि लड़कियां बोझ है... आज की लड़की अपना बोझ तो क्या, परिवार का बोझ भी अपने कंधों पर उठाने की हिम्मत रखती है। तभी तो उन्हे संसार की जननी कहा गया है। बेशक पहले स्त्री को अबला माना जाता है, लेकिन आज की नारी अबला नहीं। शिक्षा हो या खेल कूद का क्षेत्र हो वह हर जगह अपनी मेहनत के बलबूते पर आगे बढ़ी रही हैं। बेटों की तरह वह भी पूरी निष्ठा के साथ जिम्मेदारियां संभाल रही है। देश की बेटियां अब सिर्फ सिलाई- कढ़ाई या ब्यूटी पार्लर तक ही सीमित नहीं रह गई है बल्कि वह तो दुश्मनों के छक्के छुड़ाने के लिए तैयार हैं। Daughter Day के इस स्पेशल मौके पर हम आपकाे बताने जा रहे हैं हमारी बेटियां किस तरह लड़कों के क्षेत्र में भी आसमां छू रही हैं।
मेडिकल
मेडिकल प्रोफेशन की बात करें तो यह लड़कों की अपेक्षा लड़कियों को ज्यादा भा रहा है। लड़कियां गायनिक को छोड़कर सर्जरी, न्यूरो सर्जरी, ऑर्थो, ईएनटी, मेडिसिन आदि में अपना करियर बनाना चाहती हैं। अब तो सर्जरी डिपार्टमेंट में भी लड़कियाें की दिलचस्पी काफी बढ गई है। वैसे मेडिकल की पढ़ाई आसान नहीं है लेकिन लड़कियां कुछ करने की ठान ले तो वह कुछ भी कर सकती हैं। बता दें कि साल 2014-15 में मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई के लिए जाने वाले कुल स्टूडेंट्स में 51 फीसद हिस्सा लड़कियों का ही था।
IIT-JEE
अब बात लड़कियों की हो और IIT-JEE परीक्षा की बात ना हो तो ऐसा हो नहीं सकता। विभिन्न शीर्ष इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश के लिए आयोजित की जाने वाली इस परीक्षा में भले ही लड़कों की अपेक्षा लड़कियों टॉपर्स कम हों, लेकिन फिर भी वो इसमें आगे बढ़ रही हैं। हर साल लगभग 3 हजार इंस्टिट्यूट्स से पास आउट होकर निकलने वाले 15 लाख इंजीनियर्स में से 30 फीसद लड़कियां ही हैं। अदिति लाधा और सिबाला माधुरी पहली लड़कियां हैं जिन्होंने IIT-JEE (एडवांस्ड) 2013 के टॉप 10 रैंक में स्थान हासिल किया था। अदिति पहली ऐसी लड़की थी जो AIR टॉप 10 की लिस्ट में अपनी जगह बनाने में कामयाब हो पायी थी।
राजनीति
कभी कहा जाता था कि राजनीति तो महिलाओं के लिए बनी ही नहीं, लेकिन इस साेच को बदला है इंदिरा गांधी, ममता बनर्जी, सुषमा स्वराज जैसी बहादुर महिला नेताओं ने। आज के दौर में बड़े पैमाने पर महिलाओं की राजनीति में भागीदारी बढ रही है। अब महिलाओं ने अपने अधिकारों के साथ-साथ सामाजिक तौर पर महत्वपूर्ण मुद्दों के लिए स्टैंड लेना शुरू किया है। एक सर्वे के मुताबिक 68 फ़ीसदी युवा महिला वोटरों ने माना कि पुरुषों की तरह महिलाओं को भी राजनीति में हिस्सा लेना चाहिए। बड़ी बात यह है कि 1962 के चुनाव में जहां पुरुष वोटरों एवं महिला वोटरों के पार्टिसिपेशन में 15% का अंतर था, वहीं 2019 आम चुनाव तक यह अंतर मात्र 0.3% का रह गया है।
सेना
हम कैसे भूल सकते हैं कि हमारी बेटियों तो वर्दी की शान और देश की आन-बान में भी चार चांद लगा चुकी हैं। इसमें सबसे पहला नाम सामने आता है लेफ्टिनेंट जनरल पुनीता अरोड़ा का जो सशस्त्र बलों में दूसरे सबसे बड़े रैंक (लेफ्टिनेंट जनरल) को पाने वाली देश की पहली महिला हैं। वह भारतीय नौसेना की पहली वाइस एडमिरल भी रह चुकी हैं। दूसरा नाम आता है प्रिया झिंगन का, जो भारतीय सेना में शामिल होने वाली पहली महली बनी थी। बता दें कि अब तक सेना के 13 विभागों में महिला अधिकारियों की नियुक्ति की गई है। इनमें सिग्नल, इंजीनियरिंग, आर्मी एविएशन, आर्मी एयर डिफेंस, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मेडिकल ईऑर्डनेंस, इंटेलीजेंस कॉर्प्स, आर्मी एजुकेशन कॉर्प्स, आर्मी मेडिकल कॉर्प्स, आर्मी डेंटल कॉर्प्स वगैरह शामिल हैं।
खेल
नई सदी की शुरुआत के बाद से ही भारतीय महिला एथलीटों ने देश को गौरान्वित किया है । इसमें हम मीराबाई चानू, पीवी सिंधु और लवलीना को कैसे भूल सकते हैं। भारतीय खेलों के लिए गौरव का पहला क्षण तब था जब कर्णम मल्लेश्वरी ने कांस्य पदक अपने नाम किया था। वहओलंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन थी। इस लिस्ट में साइना नेहवाल का भी नाम है जो भारतीय युवाओं के लिए एक आइकन है।