ताजमहल ही नहीं ये किला भी है इनके प्यार का गवाह

punjabkesari.in Monday, Jul 31, 2017 - 01:46 PM (IST)

शाहजहां और मुमताज के प्यार की कहानी को तो हर कोई जानते ही है। मुमताज के प्यार में ही शाहजहां ने ताजमहल का निर्माण करवाया था। ये किला आज भी इनके प्यार की कहानी को बयां करता है। पर आज हम बात कर रहें है बुरहानपुर में बने फारुखी काल के शाही किले की। इस किलें में इन दोनों का प्यार परवान चढ़ा था। इस किलें की दिवारों से लेकर हर कमरे तक इनके प्यार का गवाह है। तो आइए इस किले के बारे में कुछ और इंटरस्टिंग बातें जानते है।

1. किले का इतिहास
शाहजहां 1603 में इस किले के सूबेदार थे और 1621 में दक्षिण पर आक्रमण के सिलसिले में वह कई वर्ष तक यहां रुके थे। इस दौरान उन्होंने यहां पर बहुत सी शानदार इमारतें बनवाई थी। शाहजहां के अलावा औरंगजेब, मोहम्मद शुजा और शाह आलम ने भी इस किले में निवास किया था। मुमताज ने अपने चौदहवें बच्चे को यहीं पर जन्म दिया था।

2. आलीशान कमरें
ये किला शाहजहां को इतना पंसद था कि अपने कार्यकाल के पहले तीन वर्षों में ही उन्होंने इस किले की छत पर दीवाने आम और दीवाने खास नाम से दो दरबार बनवा दिए थे। इसके अलावा उन्होनें यहां पर ऐसी जगह बनवाई थी जहां पर वो बेगम के साथ समय बिताया करते थे। बहुत कम लोग ये बात जानते है कि ताजमहल बनने से पहले मुमताज के शरीर को यहीं पर दफनाया गया था।

3. आखरी सांस
सात जून 1639 में मुमताज ने शाहजहां की गोद में अपनी जिंदगी की अंतिम सांस ली। उन्हें ताप्ति नदी के किनारे जैनाबाद के प्रसिद्ध बाग में दफनाया गया था जेकि इस महल के करीब है। चार मंजिला का ये किला आज खंडहर बन चुका है लेकिन अभी भी ये वैसे का वैसा ही दिखता है। कहा जाता है कि 100 साल पहले स्लैब गिरने के कारण इस किले की तीसरी मंजिल को बंद कर दिया गया था। 

4. मुमताज की आत्मा
मुमताज के मरने पर उनके मृत शरीर को इसी जगह में दफनाया गया था फिर ताजमहल बनने के बाद उनके शरीर को यहां से निकाल लिया गया था। कहा जाता है कि मुमताज के शरीर को तो यहां से निकाल लिया गया लेकिन उनकी आत्मा अभी भी यहीं पर भटकती है। लोगों का कहना है कि अक्सर इस महल से चीखने-चिल्लाने की आवाजें आती है।

5. महल की कारीगरी
इस महल को शाहजहां ने बड़े ही प्यार से मुमताज के लिए बनाया था। इसकी दिवारें से लेकर छत तक की कारीगरी करने के लिए 6 महिने लग गए थे। यहां की छतों और दिवारों पर रंगीन कांच के टुकड़े जड़े हुए है। यहां अंधेरे में केवल एक दिया जलाने से पूरे महल में रोशनी हो जाती है। इस महल के हजाम में कई तरह के चित्र बनाए गए है। कहा जाता है कि इन चित्रों में से किसी एक को देखकर शाहजहां को ताजमहल बनाने के लिए प्ररेणा मिली थी।

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