क्लास टीचर्स नहीं, जिंदगी के असली गुरु होते हैं ये लोग

punjabkesari.in Saturday, Sep 04, 2021 - 03:05 PM (IST)

5 सितंबर को पूरे देश में शिक्षक दिवस मनाया जाता है। दरअसल, 5 सितंबर 1888 को देश के पहले उप-राष्‍ट्रपति डॉ राधाकृष्‍णन का जन्म हुआ था। सन् 1962 से हर साल देश के पहले उप-राष्‍ट्रपति डॉ राधाकृष्‍णन के जन्मदिन पर शिक्षक दिवस के रूप में लोग उन्हें याद करते हैं। उन्होंने अपने छात्रों से जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की इच्छा जताई थी बता दें कि डॉ राधाकृष्‍णन बहुत ही विद्वान, विचारक और बहुत सम्मानित शिक्षक थे। वहीं आज हम आपके साथ शिक्षक यानि की गुरू के बारे में कुछ ऐसी रोचक बाते बताने जा रहे हैं जिनका हमारी जिंदगी में बेहद खास महत्तव है लेकिन हम उन्हें वह दर्जा नहीं दे पाते। आईए जानते हैं ऐसी ही कुछ दिलचस्प बातों के बारें में-


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शिक्षक दिवस की बात आती है तो सबसे पहले लोगों के मन में उनके क्लास टीचर्स का जिक्र आता है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि न द्वारा दी गई शिक्षा ही उस नींव को तैयार करती है, जो व्यक्ति के अंदर ज्ञान का भंडार पैदा करती है। लेकिन इनके अलावा भी हमारे जीवन में ऐसे कई लोग होते है जो टीचर से कम नहीं है। 

माता-पिता जिंदगी के सबसे पहले गुरू होते है
माता-पिता हर इंसान की जिंदगी के सबसे पहले गुरू और शिक्षक होते हैं। जब भी कोई बच्चा बोलना शुरू करता है तो सबसे पहले उनके मुंह से मां शब्द ही निकलता है। जिदंगी के पहले कदम से लेकर माता-पिता अपनी अंतिम सांस तक बच्चों को जागरूक और शिक्षित करते रहते हैं।  जब तक वे हमारे साथ होते हैं, हम उनसे कुछ न कुछ सीखते ही रहते हैं। कभी प्यार तो कभी डांट के जरिए वह हमें जिदंगी के की गुर सिखाते हैं। 

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ग्रैंड-प्रैरेंट्स
बच्चों का सबसे अधिक स्नेह उनके ग्रैंड पैरेंट्स के साथ होता है। जिस घर में बड़े-बुजुर्ग होते हैं वह घर किसी स्वर्ग से कम नहीं होता। उस घर में हमेशा बड़े-बुजुर्ग का प्यार बरसता रहता है। बड़े-बुजुर्ग घर में एक घने वृक्ष की तरह होते है जो अपनी छाया हर किसी पर रखते हैं। उनके   स्नेह, दया, सम्मान, छोटी-छोटी खुशियों के मजे लेना जैसी कई चीजें दादा-दादी या नाना-नानी से ही मिलती है। उनकी हर बात में एक अनुभव छिपा होता है जो घर में बच्चों और माता-पिता दोनों के लिए एक रक्षा कवच की तरह काम करता है। 

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फ्रेंडशिप 
दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है जो बिना हिजक और बिना किसी डर के हम सब दिल की बातें कह जाते हैं। दुख हो या सुख हर बात हम सबसे पहले अपने दोस्त से शेयर करना पसंद करते हैं। जिदंगी के सफर में दोस्त ही कई बार हमें ऐसी मजबुती प्रदान करते हैं जो किसी और से नहीं मिलती। 

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बच्चे
घर में मौजुद बच्चे भी किसी शिक्षक से कम नही हैं उनकी कही हर बात में कुछ न कुछ मैसेज होता है जो हमें हमारी कमियों को दर्शाता है। सके अलावा इनका आसपास होना भी कई चीजें सिखा जाता है। बच्चे व्यक्ति की भावनाओं को जीवित रखने में सबसे ज्यादा मदद करते हैं और सिखाते हैं कि कैसे छोटी सी चीज में भी खुशी का अनुभव किया जा सकता है।


 


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Content Writer

Anu Malhotra

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