Normal Delivery में कितना और कहां दर्द होता है?
punjabkesari.in Monday, Jun 09, 2025 - 09:38 PM (IST)

नारी डेस्कः मां बनने का सुख हर महिला पाना चाहती हैं लेकिन इसके अनुभव हर महिला के लिए अलग हो सकते हैं क्योंकि हर महिला का शरीर अलग होता है और इसके अनुभव पीड़ा भी हर महिला को अलग तरह का अनुभव दे सकती है। कुछ महिला प्रसव के असहनीय दर्द से बचने के लिए नॉर्मल डिलीवरी की जगह सी-सैक्शन डिलीवरी का चुनाव करती हैं लेकिन सिजेरियन डिलीवरी में रीढ़ की हड्डी में लगने वाला इंजेक्शन महिला को फिर सारी उम्र कमर के दर्द से परेशान करता है लेकिन यहां महिला के मन में सवाल यही रहता है कि नॉर्मल डिलीवरी में आखिर दर्द कितना होता है तो चलिए आज इसी के बारे में बात करते हैं।
नॉर्मल डिलीवरी में दर्द होना, यह हर महिला के लिए अलग-अलग होता है क्योंकि यह दर्द विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है, जैसे कि महिला की दर्द सहने की क्षमता, शिशु का आकार और स्थिति और संकुचनों की ताकत आदि। डॉक्टर्स और साइंटिस्ट के अनुसार, एक बच्चे को जन्म देते समय गर्भवती महिला को 20 हड्डियों के एक साथ टूटने जितना दर्द होता है, जहां महिला के दर्द सहने की क्षमता 57 डेल (दर्द नापने की इकाई) होती है। वहीं पुरुषों की दर्द सहने की क्षमता सिर्फ 45 डेल ही होती है। इससे ज्यादा दर्द जानलेवा साबित हो सकती है।
नॉर्मल डिलीवरी में दर्द से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें
1. नॉर्मल डिलीवरी में दर्द कहां होता है?
नॉर्मल डिलीवरी के दौरान गर्भवती को दर्द आमतौर पर पेट, कमर और पीठ में महसूस होता है हालांकि कुछ महिलाओं को बाजू या जांघों में भी दर्द हो सकता है।
2. दर्द की अवधि
प्रसव के पहले चरण में ग्रीवा ( बच्चेदानी का मुंह) के खुलने के दौरान दर्द हो सकता है और यह पहले बच्चे को जन्म देने वाली महिलाओं के लिए 7-8 घंटे से 13 घंटे तक या उससे भी अधिक हो सकता है।
3. कितनी तेज होता है दर्द
प्रसव के दौरान दर्द धीरे-धीरे संकुचनों के साथ बढ़ता है और यह तेज और असहनीय भी हो सकता है। कुछ महिलाएं इस दर्द को सहन भी नहीं कर पाती।
4. दर्द से निपटने के तरीके
कई महिलाएं दर्द से निपटने के लिए विभिन्न तकनीकों का उपयोग करती हैं, जैसे कि सांस लेने की तकनीक, मसाज और दर्द निवारक दवाएं। ये सब एक्सपर्ट डॉक्टर या स्त्री रोग विशेषज्ञ की सलाह पर ही किया जा सकता है। सी-सेक्शन डिलीवरी की तुलना में नॉर्मल डिलीवरी अधिक दर्दनाक होती है। सी-सेक्शन में महिला को दर्द महसूस नहीं होता जबकि नॉर्मल डिलीवरी में दर्द होता है।
नॉर्मल डिलीवरी के समय दर्द क्यों होता है?
प्रसव के दौरान दर्द का कारण, गर्भाशय की मांसपेशियों में संकुचन और गर्भाशय ग्रीवा पर दबाव पड़ने के कारण दर्द होता है। इस दौरान जब दर्द होता है तो महिला को पेट, कमर और पीठ में तेज ऐंठन के साथ-साथ दर्द महसूस होता है। कुछ महिलाओं को अपने साइड व जांघों में भी दर्द का अनुभव हो सकता है।
नॉर्मल डिलीवरी से पहले और दौरान दर्द कम करने के असरदार उपाय
यदि महिला की गर्भावस्था सामान्य है और डॉक्टर ने नॉर्मल डिलीवरी की सलाह दी है, तो उसे पहले से शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार रहना चाहिए। इससे डिलीवरी के समय दर्द को कम करने में मदद मिल सकती है।
डिलीवरी से पहले खुद को ऐसे तैयार करें:
1. नियमित व्यायाम करें
डॉक्टर की सलाह से हल्के व्यायाम या प्रेगनेंसी योगासन करें।
इससे मांसपेशियां मजबूत होती हैं, ब्लड प्रेशर और वजन संतुलन में रहता है।
नियमित एक्सरसाइज से शरीर डिलीवरी के लिए तैयार होता है और दर्द सहने की क्षमता बढ़ती है।
2. प्रसव की जानकारी लें
प्रसव की तैयारी के लिए आजकल प्रेगनेंसी क्लासेस उपलब्ध हैं।
इन क्लासेस में आपको लेबर पेन, ब्रीदिंग तकनीक, शिशु देखभाल आदि की ट्रेनिंग दी जाती है।
जानकारी से डर कम होता है और आत्मविश्वास बढ़ता है।
3. पोषक तत्वों से भरपूर आहार लें
आयरन, कैल्शियम, फॉलिक एसिड और प्रोटीन से भरपूर आहार लें।
इससे शरीर को एनर्जी मिलती है और यूट्रस भी डिलीवरी के लिए मजबूत होता है।
4. आयुर्वेदिक सपोर्ट-अशोकारिष्ठ का सेवन
माई उपचार आयुर्वेद द्वारा निर्मित अशोकारिष्ठ महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।
यह एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन को संतुलित करता है, यूट्रस को स्वस्थ रखता है और सूजन कम करता है।
यह आयुर्वेदिक टॉनिक शरीर से विषैले पदार्थ भी बाहर निकालता है।
डिलीवरी के समय दर्द कम करने के उपाय
1. ब्रीदिंग तकनीक (सांस लेने की कला)
डॉक्टर या प्रशिक्षक की बताई गई ब्रीदिंग तकनीक अपनाएं।
गहरी, धीमी और नियंत्रित सांसें दर्द को झेलने में मदद करती हैं।
सांसों पर ध्यान केंद्रित करने से दर्द का अहसास कम हो सकता है।
2. गर्म पानी या वॉटर थेरेपी
वॉटर बर्थ की सुविधा हो तो वह अच्छा विकल्प है।
यदि नहीं, तो टब में गर्म पानी में थोड़ी देर बैठने से भी कमर और पीठ का दर्द कम हो सकता है।
पानी शरीर को रिलैक्स करता है।
3. मालिश (Massage Therapy)
डिलीवरी के समय हाथ, पैर, पीठ और कंधे की हल्की मालिश कराएं।
एक रिसर्च के अनुसार, हर घंटे 15 मिनट की मालिश से दर्द कम हो सकता है और डिलीवरी की प्रक्रिया थोड़ी तेज हो सकती है।
4. म्यूजिक थेरेपी
अपनी पसंद का हल्का म्यूजिक सुनें।
इससे ध्यान बंटता है और दर्द कम महसूस होता है।
याद रखें ये बातें
नॉर्मल डिलीवरी के समय दर्द स्वाभाविक हैलेकिन इन उपायों से इसे सहने की ताकत बढ़ाई जा सकती है। सही जानकारी, संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और प्राकृतिक आयुर्वेदिक सपोर्ट से महिला खुद को बेहतर तरीके से तैयार कर सकती है।