वेज नहीं, नॉनवेज खाने वाली महिलाएं ज्यादा हेल्दी: स्टडी

punjabkesari.in Thursday, Jan 24, 2019 - 03:12 PM (IST)

अगर आप नॉनवेज के शौकीन है तो आपके लिए एक अच्छी खबर है। दरअसल एम्स की एक नई स्टडी ने इस बात की पुष्टि की है कि नॉनवेज खाने वाले वेज खाने वालों की तुलना में बीमारियों से बचे रहते हैं क्योंकि उनमें मोटापा, हाइपरटेंशन, दिल की बीमारियों, कैंसर, फैटी लीवर जैसी संकेत देने वाले इन्फ्लेमेट्री मार्कर कम पाए गए जबकि शाकाहारी लोगों में यह काफी अधिक थे। 

स्टडी में नॉनवेज खाने वाली कश्मीरी महिलाएं और वेज खाने वाली दिल्ली की महिलाएं शामिल की गईं जिसमें कश्मीर की महिलाएं, दिल्ली की महिलाओं से ज्यादा हेल्दी पाई गईं और उनमें बीमारी का खतरा कम पाया गया। 

 

AIIMS और SKIMS ने की स्टडी 

एम्स दिल्ली और शेरे-कश्मीर इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (SKIMS)श्रीनगर ने मिलकर यह स्टडी की है। स्टडी के प्रिंसिपल ऑथर और SKIMS के प्रफेसर मोहम्मद अशरफ गनी ने बताया कि सी-फूड को मेडिसिनल डाइट माना जाता है जो दिल की बीमारी, डायबीटीज, मोटापा आदि का खतरे को कम करता है इसलिए जापानी लोगों की लंबी उम्र जीने की एक वजह यह भी मानी जाती है।

3 साल तक चली स्टडी, 464 महिलाएं हुईं शामिल

2015 में शुरू हुई यह स्टडी साल 2018 तक चली, जिसमें लगभग 464 महिलाओं को शामिल किया गया। महिलाओं का 72 घंटे का डाइट पैटर्न लिया गया। कोई दवा तो नहीं खा रहे, फिर हाइट, वजन, बीपी, हेयर ग्रोथ, ब्लड टेस्ट में लीवर फंक्शन, किडनी फंक्शन, लिपिड प्रोफाइल और सारे हॉर्मोन का टेस्ट किया जिसमें नतीजे चौकाने वाले निकले। 

 

शाकाहारी लोगों में प्रोटेक्टिव सीरम कम

रिजल्ट में PCOS से पीड़ित महिलाओं की तुलना करें तो नॉनवेज खाने वालों में तीनों इनफ्लामेट्री मार्कर सीरम TNF, सीरम IL-6 और सीरम hs-CRP काफी ज्यादा पाए गए। इसी तरह पाया गया कि वेज खानेवालों का इनफ्लामेट्री मार्कर ज्यादा खराब है। शाकाहारी  महिलाओं में बीमारियों से बचाने वाला प्रोटेक्टिव सीरम भी कम पाया गया। डॉक्टरों के मुताबिक, इसकी दो वजहें हो सकती हैं। पहली यह कि नॉनवेज में ऐसे कई तत्व हैं जो इनफ्लामेट्री मार्कर को कंट्रोल करके रखते हैं और दूसरा दिल्ली में पल्यूशन ज्यादा हो सकता है, जिससे दिल्ली की महिलाओं का मार्कर खराब हो रहा हो। इस वजह के बारे में आगे की स्टडी करेंगे।

 

PCOS से पीड़ित महिलाएं क्यों हुई शामिल

डॉक्टर गनी का कहना है कि पीसीओएस गायनोक्लॉजिकल डिसआर्डर है और कम उम्र में शुरू हो जाता है। ज्यादा उम्र होने पर दूसरी बीमारियां होने की आशंका रहती है, जिसकी दूसरी वजहें भी हो सकती हैं। दूसरी वजह यह थी कि इस बीमारी में इनफ्लामेट्री मार्कर का लिंक हार्ट डिजीज, मोटापा, हाइपरटेंशन आदि से मिलता है इसलिए इस स्टडी में पीPCOS वाली महिलाएं शामिल की गईं। 
 

Content Writer

Vandana