चमकी बुखार का लीची से नहीं कोई कनेक्शन: रिसर्च
punjabkesari.in Wednesday, Feb 05, 2020 - 03:49 PM (IST)
पिछले साल बिहार में कई बच्चे एक्यूट एंसिफिलाइटिस सिंड्रोम (AES) के शिकार हो गए थे जिसके कारण लगभग 550 बच्चे इसकी चपेट में आए और 100 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई थी। इसके पीछे का मुख्य कारण लीची के सेवन को माना गया था। हालांकि, एक शोध के अनुसार यह बताया गया है कि इस बीमारी का संबंध लीची से बिल्कुल नहीं है। एक्सपर्ट्स द्वारा की गई स्टडी से पता चला है कि इस बीमारी के शिकार हुए आधे बच्चों ने तो लीची खाई ही नहीं थी। साथ ही कई बच्चों की उम्र इतनी कम थी कि वे इस फल को खा ही नहीं सकते थे।
क्यों मानी जा रही है लीची बीमारी का कारण?
एक रिपोर्ट के मुताबिक लीची के बीज में मेथाईलीन प्रोपाइड ग्लाईसीन तत्व पाया जाता है जो कुपोषित बच्चों की मौत का जिम्मेदार माना जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार लीची में ऐेसे कई जहरीले तत्व पाए जाते है जो खाली पेट लीची खाने से शरीर को नुकसान पहुंचाने का काम करते है। साथ ही जिन लोगों के शरीर में ग्लूकोज की कमी होती है उन्हें खासतौर पर खाली पेट लीची खाने से परहेज रखना चाहिए।
चमकी बुखार के लक्षण ?
एक रिसर्च के मुताबिक तेज बुखार एईएस (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) का शुरुआती लक्षण है। ऐेसे में तेज बुखार होने के कारण बच्चे बेहोश हो जाते हैं। कभी-कभी तो उन्हें दौरे भी पड़ने लगते है। इस दौरान बॉडी में ब्लड शुगर लेवल कम हो जाता है। इसके अलावा मरीज को शरीर में दर्द, ऐंठन, जबड़े और दांत सख्त हो जाते है। साथ ही बुखार दिमाग तक पहुंचने के कारण सेंट्रल नर्वस सिस्टम काम करना बंद कर देता है।
ऐसे करें बचाव
ऐसी परिस्थिति में बच्चों को समय-समय पर पानी पिलाते रहना चाहिए ताकि वे हाइड्रेटेड रहे। आप चाहे तो बच्चों को ओआरएस (ORS) और ग्लूकोज का घोल बनाकर भी पिला सकते है। अगर बुखार ज्यादा तेज हो तो बच्चे के पूरे शरीर को ताजे पानी से साफ करें। बेहोशी या दौरे आने की समस्या होने पर उन्हें हवादार जगह पर लें जाए। ध्यान रखें कि बच्चे भूखे न रहें और उन्हें धूप में जाने से बचाएं। जितना हो सके उन्हें ठंडी चीजें जैसे कि- तरबूज, छांछ, नींबू पानी, नमक-चीनी का घोल आदि का सेवन करवाएं।