दूध बेचकर पालने वाली मां को निशा ने दिया गोल्ड का तोहफा
punjabkesari.in Thursday, Dec 12, 2019 - 11:44 AM (IST)
कहते है कि जब आपके हौंसले बुंदल होते है तो रास्ते में कितनी भी मुश्किलें क्यों न आए इंसान अपनी मंजिल को जरुर हासिल करता है। यह हौंसले और भी मजबूत हो जाते है जब एक बच्चे को उसकी मां का साथ मिल जाता है। 17 साल की निशा की जिदंगी में भी कई मुश्किलें आई जिन्होंने उसे उसकी मंजिल पाने से रोका लेकिन निशा और उसकी मां कांता ने कभी भी हार नहीं मानी। मंगलवार को निशा ने नेपाल में हो रही दक्षिण एशियाई खेलों (सैग) में स्वर्ण पदक जीता।
10 साल की उम्र में ही हो गई थी पिता की मृत्यु
निशा तकरीबन 10 साल की होगी जब बिजली का काम करते समय करंट लगने के कारण उसके पिता की मृत्यु हो गई थी। इसके बाद निशा और उसके दो भाईयों की देखभाल की जिम्मेदारी उसकी मां कांता पर आ गई थी। बच्चों को पालने के लिए कांता ने किसी तरह से भैंस की व्यवस्था की और दूध बेचना शुरु किया वहीं दूसरी तरफ निशा को सोनीपत के गांव चुलकाना में कबड्डी खेलने की छूट दे दी गई।
निशा की मां ने बड़ी मुश्किल से दूध बेच कर घर का खर्चा चला रही थी। वहीं दूसरी तरफ कबड्डी धीरे-धीरे निशा का करियर बनता चला गया। निशा ने छोटी से उम्र में ही में न केवल राज्य या राष्ट्रीय बल्कि भारतीय टीम में जगह बना ली। बीेए प्रथम वर्ष की छात्रा निशा खतरनाक रेडर है।
निशा का था पहला विदेशी दौरा
निशा ने कहा कि उन्हें नहीं पता था कि वह इतनी कम उम्र में ही भारतीय टीम का हिस्सा बन जाएगी। यह उनका पहला विदेशी दौरा था। उन्होंने कहा कि वह अपनी मां का त्याग कभी नहीं भूल सकती है। पिता की मौत के बाद उन्होंने काफी संघर्षों के बाद उन्हें और उनके भाईयों को पाला है। पिछले साल निशा एशियाई खेलों के लिए भारतीय टीम के कैंप में थी लेकिन टीम के लिए चुनी नहीं गई थी लेकिन अब उनका यही सपना है कि वह 2022 के एशियाई खेलों में भारत के लिए जकार्ता में ईरान के हाथों मिली हार का बदला लें।