निर्भया की वकील के पुलिस को तीखे सवाल, कहा- कानून बदला लेकिन रिजल्ट 'जीरो'
punjabkesari.in Saturday, Oct 17, 2020 - 07:16 PM (IST)
नारी पंजाब केसरी की इंसाफ की मुहिम के जरिए हम सवाल उठा रहे हैं कि आखिर कब देश में महिलाएं सुरक्षित होंगी..तमाम कानून होने के बावजूद भी क्यों अपराध हो रहे हैं.. सरकारों के तमाम दावों के बावजूद महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध थम नहीं रहे हैं…
महिला सुरक्षा को लेकर भले ही भारत में बहुत सारे कानून बने हैं लेकिन इसके बावजूद महिलाओं पर होने वाले अपराधों को गिनती ना कम हो रही हैं और ना आरोपियों पर कड़ी कार्यवाही की जा रही है। नारी पंजाब केसरी द्वारा भी महिलाओं को इंसाफ दिलाने के लिए मुहिम चलाई जा रही हैं और यह सवाल उठाए जा रहे हैं कि आखिर कब महिलाएं खुद को सुरक्षित महसूस करेंगी। इस इंसाफ की मुहिम में नारी पंजाब केसरी के साथ जुड़ी निर्भया की वकील सीमा कुशवाहा जिन्होंने पुलिस प्रशासन पर अपने तीखे सवाल उठाए और महिला सुरक्षा के मुद्दे को उठाया।
कानून बदला लेकिन रिजल्ट जीरो
महिला सुरक्षा के मुद्दे पर एडवोकेट सीमा कुशवाहा ने कहा कि अभी भी महिलाएं वैसे ही अपराधियों का शिकार बन रही हैं। भले ही निर्भया केस के बाद कानून में बदलाव किया गया लेकिन कानून के नियमों का कड़ा पालन अब भी नहीं हो रहा ऐसे में रिजल्ट अभी भी इन मामलों में जीरो ही है।
पुलिस प्रशासन की लापरवाही, नहीं हो पाती समय पर एफआईआर
उन्होंने पुलिस प्रशासन पर सवाल खड़े किए और कहा कि पुलिस प्रशासन इन मामलों में लापरवाही बरतता हैं वहीं जहां एफआईआर ही समय पर नहीं हो पाती वहां महिलाओं को इंसाफ कैसे मिल पाएगा।
देश की महिला सशक्त हो रही लेकिन पुरुष की मानसिकता में नहीं बदलाव
सीमा कुशवाहा ने कहा कि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि भारत में महिलाएं तरक्की कर रही हैं और महिलाओं से जुड़े बहुत सारे सामाजिक कार्य भी किए जा रहे हैं। महिला सशक्तिकरण हो रहा है लेकिन पुरुष की सोच उसकी मानसिकता में कोई बदलाव नहीं है और जब तक पुरुष की मानसिकता नहीं बदलेगी महिलाएं अत्याचार की बलि चढ़ती रहेंगी।
देवियां तो दूर लड़कियों को इंसान भी नहीं समझते, दोहरा चरित्र लेकर जी रहे हैं लोग
नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा होती हैं और नारी को भी मां दुर्गा का रुप ही कहा जाता है लेकिन बढ़ते अपराध कुछ और ही बयां कर रहे हैं। इस पर निर्भया की वकील ने कहा कि उन्हें देवियां तो दूर इंसान भी नहीं समझा जाता है। वहीं लोग दोहरा चरित्र लेकर जी रहे हैं।
सशक्तिकरण के साथ मानसिकता बदलाव होना जरूरी
महिला सशक्तिकरण महिलाओं की तरक्की के लिए बेहद जरूरी है लेकिन इसी के साथ साथ पुरुष वर्ग की मानसिकता बदलनी बहुत जरूरी है। पेरेंट्स को अपने बेटी के साथ बेटे को अच्छे संस्कार देने बहुत जरूरी है तभी देश में असल बदलाव आएगा।