नवरात्रि में जौ से पता चलता है भविष्य, इसका रंग बताता है माता आपसे खुश है या नाराज
punjabkesari.in Wednesday, Sep 24, 2025 - 05:33 PM (IST)

नारी डेस्क: इन दिनाें पूरा देश नवरात्रि के रंग में रंगा हुआ है। नवरात्रि के शुभ अवसर पर हर घर में ज्वारे यानी 'जौ' बोई जाती है। मिट्टी के बर्तन में जौ बोने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। यह सिर्फ धार्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टि से भी खास माना जाता है। चलिए जानते हैं नवरात्रि के दौरान जौ क्यों बोया जाता है और यह मां को इतना प्रिय क्यों है।

नवरात्रि में जौ क्यों बोया जाता है?
जौ धरती माता की उपजाऊ शक्ति और हरियाली का प्रतीक है। इसे बोने से घर में सुख-समृद्धि आने का संकेत मिलता है। मान्यता है कि माता को अंकुरित बीज बहुत प्रिय हैं, क्योंकि वे नए जीवन और ऊर्जा का प्रतीक हैं। जौ को उगाने से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा फैलती है। यह घर को नकारात्मक शक्तियों से मुक्त करता है। जिस तरह यज्ञ में जौ की आहुति दी जाती है, उसी तरह नवरात्र में जौ बोकर हम देवी को अर्पण करते हैं।
'जौ' थी पहली वनस्पति
धर्मग्रंथों में जौ को ब्रह्म भी माना जाता है। कहा जाता है कि जब ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना की तो उस वक्त की पहली वनस्पति 'जौ' थी। सृष्टि की रचना चैत्र शुक्ल प्रतिपदा यानी चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन हुई थी। यही कारण है कि नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना के लिए पूरे विधि-विधान से जौ बोए जाते है।

जौ के रंग से मिलते हैं ये संकेत
अगर नवरात्रि में जौ बोने के कुछ ही समय बाद उगने लगे या जल्दी हरी-भरी होने लगे तो ये बहुत ही शुभ संकेत माना जाता है। इसका अर्थ हाेता है कि माता ने आपकी पूजा स्वीकार कर ली है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु को माता पार्वती का भाई माना जाता है क्योंकि उनके और भगवान शिव के विवाह में माता की ओर से भाई के द्वारा निभाए जाने प्रत्येक रस्म को भगवान विष्णु ने ही निभाया था। यही वजह है कि जौ अगर हरा भरा रूप लेती है तो न सिर्फ माता रानी की कृपा होती है बल्कि भगवान विष्णु का भी असीम आशीर्वाद प्राप्त होता है।
ये संकेत माने जाते हैं अशुभ
नवरात्री के पहले दिन बोई गई जौ अगर सही से नहीं बढ़ रही है, और सूखकर झड़ रही है तो इसे शुभ संकेत नहीं मानते हैं। इस संकेत का अर्थ होता है कि आपके जीवन में कई तरह की परेशानियां आने वाली हैं। अगर जौ सफ़ेद रंग के और सीधे उगे हो तो इसे शुभ माना जाता है. अगर जौ काले रंग के टेढ़े–मेढ़े उगते है तो अशुभ माना जाता है। अगर जौ का रंग नीचे से हरा और ऊपर से पीला हो वर्ष की शुरुआत अच्छी होती है, लेकिन बाद में परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं। नवरात्रि के समापन पर इसे किसी पवित्र किसी या तालाब में प्रवाहित कर दिया जाता है।