Wonder Woman:  खुद 17 की उम्र में हुई लकवाग्रस्त नसीमा दूसरी दिव्यांगों का बनी सहारा

punjabkesari.in Monday, Nov 16, 2020 - 04:16 PM (IST)

कुछ बच्चे बचपन में ही सोच लेते हैं कि उन्हें बड़े होकर क्या करना है, जिसके लिए वो खूब कोशिश भी करते हैं। जिनके सपने बड़े होते हैं उन्हें रास्ते में आई रूकावटें भी रोक नहीं पाती। इसकी उदाहरण है कोल्हापुर की नसीमा मोहम्मद अमीन हुज़ुर्क, जिन्होंने ना सिर्फ अपने सपनों को पंख दिए बल्कि दूसरों के लिए हौंसला और सहारा भी बना।

17 साल की उम्र में हुई लकवाग्रस्त

महाराष्ट्र के कोल्हापुर की रहने वाली 69 साल की नसीमा बचपन से एथलीट बनना चाहती थी लेकिन 17 साल की उम्र में ही उन्हें लकवा मार गया। यह एक ऐसी बीमारी है, जिसके कारण व्यक्ति के पैर काम नहीं कर पाते। लकवाग्रस्त होने के बाद उन्होंने हार नहीं मानी।

एक व्यापारी से मिला नसीमा को नया मोड़

एक दिन नसीमा की मुलाकात लकवाग्रस्त व्यापारी से हुई, जिसके बाद उनकी जिंदगी ने नया रूख ले लिया। उस व्यापारी के पास ऐसी कार थी, जो खास उनके लिए ही डिजाइन की गई थी और वो खुद उसे चलाते थे। यह देख नसीमा को एक नई जिंदगी की प्रेरणा मिली।

कुछ अलग करना चाहती थी नसीमा

फिर क्या नसीमा ने अपनी पढ़ाई शुरू की। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें सेंट्रल एक्साइज एंड कस्टम्स विभाग में उच्च पद पर नौकरी भी मिल गई लेकिन उनके मन में कुछ अलग करने की चाह थी। फिर क्या उन्होंने नौकरी छोड़ रिटायरमेंट से लकवाग्रस्त की मदद करनी शुरू कर दी। उन्होंने कुछ लोगों की मदद से 'पंग पुनर्वासन संस्थान' की स्थापना करके पैरालायसिस मरीजों को आसरा देना शुरू दिया।

35 सालों से कर रही पैरालायसिस मरीजों की सेवा

'दीदी' के नाम से मशहूर नसीमा पिछले 35 सालों से लकवाग्रस्त लोगों के लिए सहारा बनी हुई है। अब तक वह 13,000 से ज्यादा लड़के और लड़कियों को छत दे चुकी हैं। हेल्पर्स ऑफ द हैंडिकैप्ड कोल्हापुर (HOHK) की संस्थापक और अध्यक्ष नसीमा कई मरीजों को सेवाएं भी उपलब्ध करवा चुकी हैं।

आत्मनिर्भर बनने की भी देती है प्रेरणा

यही नहीं, नसीमा लोगों को आत्मनिर्भर बनना भी सिखाती हैं। दोस्तों की मदद से साल 1984 में उन्होंने 'हेल्पर्स ऑफ द हैंडिकैप्ड कोल्हापुर' संस्थान की शुरूआत की। यहां उन लोगों की काउंसलिंग की जाने लगी जो अपनी मानसिक व इमोशनल परेशानियों को लेकर परेशान रहते हैं।

जिस तरह नसीमा दूसरों को लोगों की प्ररेणा बन रही हैं और दिव्यांग लोगों को आसरा दे रही है, वो वाकई काबिले तारीफ है।

Content Writer

Anjali Rajput