कैलाश पर्वत पर क्या आज भी रहते हैं भगवान शिव, जानिए इसके पीछे का रहस्य
punjabkesari.in Thursday, Mar 11, 2021 - 12:30 PM (IST)
हिंदू धर्म में कैलाथ पर्वत को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक, कैलाश पर्वत को भगवान शिव का निवास स्थान कहा जाता है। माना जाता है कि वहां आज भी भगवान शिव बसते हैं। माउंट एवरेस्ट जोकि दुनिया की सबसे ऊंची चोटी है वहां हजारों लोग चढ़ाई कर चुके हैं लेकिन आज तक कोई कैलाश पर्वत पर नहीं चढ़ पाया।
आज हम अपने इस आर्टिकल में हम आपको कैलाथ पर्वत से जुड़ी कुछ ऐसी बातें बताएंगे, जो शायद की आपको पता हो...
चीन ही नहीं, भारत में भी है कैलाश पर्वत
जानकारी के मुताबिक, मुख्य कैलाश पर्वत चीन में माना जाता है इसलिए वहां जाने के लिए चीन सरकार की अनुमति लेनी पड़ती है। मगर, बहुत कम लोग जानते हैं कि भारत में भी एक कैलाश पर्वत मौजूद है, जिसे आदी कैलाश के नाम से जाना जाता है। कैलाश मानसरोवर के बाद आदी कैलाश की यात्रा को सबसे पवित्र माना गया है। भारत और तिब्बत समेत दुनियाभर के लोग कैलाश पर्वत को एक पवित्र स्थान मानते हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान शिव बारात लेकर माता पार्वती से विवाह करने आए थे तब उन्होंने आदि कैलाश पर भी अपना पड़ाव डाला था। हालांकि आदि कैलाश पर्वत पर चढ़ाई करने में कोई दिक्कत नहीं आती। यहां पहुंचने के लिए 105 कि.मी. की यात्रा करनी पड़ती है।
कैलाश पर्वत और माउंट एवरेस्ट में दूरी
बता दें कि कैलाश पर्वत की ऊंचाई माउंट एवरेस्ट से लगभग 2000 मीटर कम है लेकिन फिर भी कैलाश पर्वत पर पहुंचना अब तक रहस्य ही बना हुआ है। कुछ लोगों का मानना है कि भगवान शिव आज भी कैलाश पर्वत पर वास करते हैं इसलिए वहांं कोई भी इंसान नहीं पहुंच पाता। मान्यताओं के अनुसार, जिस व्यक्ति ने कोई पाप न किया हो वही मरने के बाद कैलाश पर्वत पर पहुंच सकता है। ऐसा भी कहा जाता है कि कैलाश पर्वत पर थोड़ा ऊपर चढ़ने के बाद ही व्यक्ति को दिखना बंद हो जाता है। यही वजह है कि आज तक कोई भी कैलाश पर्वत पर नहीं चढ़ पाया।
क्या कहते है वैज्ञानिक?
वैज्ञानिकों के मुताबिक, कैलाथ पर्वत का स्लोप (कोण) 65 डिग्री से भी ज्यादा होने के कारण इस पर चढ़ाई करना मुश्किल है। जबकि माउंट एवरेस्ट का स्लोप 40-60 तक है। यह भी एक वजह है कि पर्वतारोही कैलाश पर्वत पर चढ़ाई नहीं कर पाते।
जब पूरी टीम के होने लगा था सिर में भयंकर दर्द
सिर्फ चीन ही नहीं बल्कि रूस भी कैलाश पर्वत की चढ़ाई के आगे घुटने टेक चुका है। 2001 में स्पेन की एक टीम ने कैलाश पर्वत पर जाने की कोशिश की थी लेकिन सफल ना हो सकी। इसके बाद सन 2007 में रूसी पर्वतारोही सर्गे सिस्टिकोव अपनी टीम के साथ कैलाश पर्वत पर चढ़ाई शुरू की लेकिन पूरी टीम के सिर व पैरों में भयंकर दर्द होने लगा। उनके जबड़े की मांसपेशियों में खिचांव और जीभ जम गई। तभी उन्होंने फौरन वापिस आने का फैसला किया और उन्हें नीचे आकर आराम मिला। इसके बाद से कैलाश पर्वत की चढ़ाई पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई।
कैलाश पर्वत की परिक्रमा
कैलाश पर्वत की ऊंची चट्टानों पर चढञाई करते समय बड़े बड़े पर्वतारोही भी हार मान लेते हैं। चारों ओर खड़ी चट्टानों व हिमखंडों से घिरे कैलाश पर्वत तक पहुंचने का कोई भी आसान रास्ता है ही नहीं। हालांकि हर साल लाखों लोग कैलाश पर्वत की परिक्रमा और मानसरोवर झील के दर्शन करने आते हैं लेकिन कैलाश पर्वत पर चढ़ाई आज तक रहस्य बनी हुई है।