बांझ औरतों के लिए वरदान है Embryo Freezing ट्रीटमेंट, समझिए पूरा प्रोसेस

punjabkesari.in Wednesday, Dec 09, 2020 - 01:49 PM (IST)

क्या आपने कभी सुना है कि जन्म के बाद किसी को दुनिया में आने में सालों लग जाएं। ऐसे ही कुछ हुआ है मॉली गिब्सन (Molly Gibson) के साथ जिनका जन्म तो अक्टूबर 1992 में हुआ लेकिन वह 27 साल बाद दुनिया में आई। दरअसल, ऐसा इसलिए हुआ क्‍योंकि बच्ची का भ्रूण (Embryo) एम्ब्रयो फ्रीजिंग तकनीक के जरिए अक्टूबर 1992 से फ्रीज किया गया था, जिसके कारण बच्ची का जन्म अब जाकर हुआ। विज्ञान की यह उपलब्धि किसी चमत्कार से कम नहीं है।

क्या है एम्ब्रयो फ्रीजिंग तकनीक?

महिला के कंसीव करने के बाद गर्भावस्था के 8 हफ्ते तक भ्रूण का विकास हो जाता है, जिसे कपल्स फ्रीज करवाकर रख सकते हैं। इसके जरिए महिला भविष्य में जब चाहे मां बन सकती है। हालांकि कुछ दंपत्ति इसे डोनेट भी करते हैं, ताकि बांझपन से जूझ रही महिलाएं मां बनने का सुख पा सके। वहीं इसका इस्तेमाल वैज्ञानिक रिसर्च के लिए भी करते हैं।

बच्‍ची के नाम अनोखा रिकॉर्ड

बता दें कि यह कहानी टीना गिब्सन ने शेयर की है जो खुद बांझपन की समस्या से जूझ रही थी। तभी उनके माता-पिता ने उन्हें भ्रूण गोद लेने के बारे में बताया। 28 साल की टीना और उनके पति ने 1992 में एक महिला द्वारा फ्रीज करवाए गए भ्रूण को गोद लिया था, जिसे उन्हें 12 फरवरी, 2020 ट्रांसप्लांट करवाया। 26 अक्तूबर को टीना ने एक प्यारी सी बच्ची (मॉली एवरेट) को जन्म दिया। इसके साथ ही बच्ची के साथ 27 साल पुराने भ्रूण से जन्म लेने का रिकॉर्ड भी जुड़ गया।

बांझपन से जूझ रही महिलाओं के लिए वरदान

एम्ब्रयो फ्रीजिंग तकनीक दुनियाभर में बांझपन से जूझ रही महिलाओं के लिए वरदान से कम नहीं है। डॉक्टरों ने बताया कि मॉली का वजन 3 कि.लो. है और वह बिल्कुल स्वस्थ है, नॉर्मल या सिजेरियन से जन्म लेने वाले बच्चों की तरह।

भ्रूण के जरिए यह दूसरी बेटी

टीना और उनके पति बेंजामिन गिब्सन सिस्टिक फायब्रोसिस से ग्रस्त हैं, जिसके कारण उन्हें पेरेंट्स बनने में बाधा आ रही थी। इसलिए उन्होंने यह कदम उठाया। उनकी बड़ी बेटी एमा का जन्म भी इसी तकनीक द्वारा हुआ है, जो बिल्कुल स्वस्थ है। बता दें कि एमा का भ्रूण 24 साल पुराना जबकि मॉली का 27 साल पुराना है, जो एक रिकॉर्ड है।

भ्रूण को ऐसे किया जाता है फ्रीज

इस तकनीक में डॉक्टर उन महिलाओं को कुछ हार्मोन्स के इंजेक्शन या दवाएं देते हैं, जो भ्रूण फ्रीज करवाना चाहती हैं। इसके बाद शरीर में से एग्स (अंडे) बनने की प्रक्रिया तेज हो जाती है और फिर डॉक्टर उसे बाहर निकाल लेते हैं। इसके बाद भ्रूण को फ्रीज कर दिया जाता है। जब महिला दोबारा मां बनना चाहे तो डॉक्टर भ्रूण को गर्भाश्य में इंजेक्ट कर देते हैं।

Content Writer

Anjali Rajput