जानिए, नींद खराब कर स्मार्टफोन कैसे लगा रहा है कैंसर जैसी बीमारियां?

punjabkesari.in Monday, Dec 03, 2018 - 07:29 PM (IST)

बच्चे से लेकर बूढ़े तक, स्मार्टफोन का इस्तेमाल आजकल हर कोई बड़े शौक से कर रहा है लेकिन यह हमारे लाइफस्टाइल को इस कद्र खराब कर रहा है जिसका खामयाजा हमारे स्वास्थ को भुगतना पड़ रहा है। स्‍मार्टफोन की नीली रोशनी आपकी आंखें तो खराब कर ही रही है, साथ ही में आपकी नींद को भी बुरी तरह प्रभावित भी करती है। हाल ही में हुए एक अध्ययन के अनुसार, स्मार्टफोन व टैबलेट जैसे उपकरणों की रोशनी ना सिर्फ आंखों पर बुरा प्रभाव डालती हैं बल्कि यह नींद में भी बाधा बनती है।

स्मार्टफोन की रोशनी से हो सकती है अनिद्रा

अमेरिका के साल्क इंस्टीट्यूट के अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि आंखों की कुछ कोशिकाएं आस-पास की रोशनी को संसाधित करती हैं और बॉडी क्लॉक सिस्टम को फिर से तय करती हैं। ये कोशिकाएं जब देर रात, स्मार्टफोन की रोशनी के संपर्क में आती हैं तो शरीर का क्लॉक सिस्टम प्रभावित हो जाता है, जिससे माइग्रेन, अनिद्रा व जेट लैग जैसी समस्याएं होने लगती हैं। बता दें कि अनुसंधान के परिणाम 'सेल रिपोर्ट्स' पत्रिका में प्रकाशित हुए है।

...और अनिद्रा बनती है कैंसर और मोटापे की वजह 

अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक, अनिद्रा व माइग्रेन जैसी समस्याएं कैंसर, मोटापे, खराब इम्यून सिस्टम, पाचन क्रिया सिंड्रोम और कई अन्य बीमारियों का कारण बन सकती है।


रिसर्च से मिलेगी नए इलाज खोजने में मदद

वैज्ञानिकों का कहना है कि जबकि उन्हें पता चल गया है कि स्मार्टफोन एवं कंप्यूटर से निकलने वाली कृत्रिम रोशनी कैसे नुकसान पहुंचाती है तो उनसे वैज्ञानिकों को माइग्रेन, अनिद्रा, जेट लैग जैसे विकारों के नए इलाज खोजने में मदद मिल सकती है।

स्मार्टफोन के और कई नुकसान

डिप्रेशन

बहुत सारे लोग रात को सोने से पहले  1 से 2 घंटे जमकर फोन का इस्तेमाल करते हैं जो आपकी आंखों की रोशनी तो कम करता ही है साथ ही में अनिद्रा और डिप्रैशन जैसी बीमारी की चपेट में भी ले सकता है।

उंगलियों व गर्दन में दर्द

लगातार टाइपिंग करने व गर्दन को झुकाकर फोन यूज करने से सर्वाइकल प्रॉब्लम का भी खतरा बढ़ता है। 

सिरदर्द व माइग्रेन की समस्या

लगातार फोन के इस्तेमाल और घंटों एक जगह आंखे व दिमाग टिकाए रहने से  सिरदर्द व माइग्रेन की समस्या भी हो सकती है। 

नोमोफोबिया के शिकार

स्मार्टफोन का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल करने से नोमोफोबिया नाम की बीमारी से ग्रस्त होने का खतरा बना रहता है। इसमें व्यक्ति को रिंगटोन व मैसेज टोन की आवाजें कानों में सुनाई देती रहती हैं जबकि ऐसा नहीं होता। फोन घर या किसी अन्य जगह छूट जाने पर अलग सी बैचेनी व स्ट्रैस होने लगता है जिससे दिमाग पर बुरा असर होने लगता है जो आपकी मेमोरी को कमजोर करता है। 
 

Content Writer

Anjali Rajput