मेनोपॉज में क्या खाएं और किन चीजों को कहें 'न'?

punjabkesari.in Friday, Apr 06, 2018 - 04:35 PM (IST)

पीरियड्स महिलाओं की जिंदगी का अहम समय है। पीरियड्स शुरू होने की भी उम्र अलग-अलग होती है लेकिन उम्र के एक पड़ाव पर आकर पीरियड्स बंद होने लगते है जिसे मेनोपॉज कहा जाता है। वैसे तो इसके बंद होने की उम्र 45 से 50 के बीच होती है लेकिन कई बार शारीरिक कमजोरी के कारण मेनोपॉज की स्थिति आ जाती है। बॉडी में फिर से हार्मोनल बदलाव होने लगते हैं जिसके कारण शरीर पर काफी प्रभाव पड़ता है इसलिए मेनोपॉज चरण आने से पहले ही अपने शरीर को फिट रखना बहुत जरूरी है, क्योंकि इस समय हमारा शरीर जीवन के नए चरण पर होता है, जिसमें कई परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है। मेनोपॉज के दौरान आपकी डाइट अच्छी होने के साथ-साथ कुछ चीजों से परहेज भी होना चाहिए। आज हम आपको इसी के बार में बताएंगे कि मेनोपॉज के समय किन चीजों को खाना चाहिए और किन आहार से दूरी बनानी चाहिए। 

 


1. व्हाइट फूड और रिफाइंड से दूरी
रिफाइंड और प्रोसेस्ड फूड्स, जिनमें सफेद ब्रेड, आटे से बना पास्ता, सफेद चावल जैसे पदार्थ शामिल होते हैं, उनसे दूरी बनाए रखें। वैसे तो इन चीजों में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा होती है, जो शरीर के लिए फायदेमंद है लेकिन यह सब चीजें फाइबर युक्त आहार से कम फायदेमंद होती है। अगर आप मेनोपॉज के चरण पर है तो फाइबर युक्त डाइट जरूर लें। अनाज से बना आहार, साबुत अनाज, स्टार्चयुक्त आहार शरीर में एनर्जी बढ़ाते है। साथ ही शरारी में विटामिन्स, खनिज, और फाइबर की आवश्यकता पूरी करते है।  

 


2. कैफीन से परहेज
मेनोपॉज के दौरान कॉफी, एनर्जी ड्रिंक, कोक से परहेज रखें। इस समय अपनी डाइट में कैफीन की मात्रा को कम करना सबसे अच्छा समय है क्योंकि कैफीन हडि्डयों की कैल्शियम की आवश्यकता को बहुत अधिक बढ़ा देती है, जिसकी पूर्ति न होने से हडि्डयां बहुत कमजोर हो जाती हैं। 

 


3. मसालेदार आहार
मेनोपॉज के दौरान अधिक मसालेदार चीजों का सेवन करने से चयापचय बढ़ता है। वहीं मसालेदार मिर्च की तरह कुछ सब्जियां जैसे शिमला मिर्च भी मसालेदार होती है,  मेनोपॉज के दौरान शिमला मिर्च का सेवन करने से शरीर में गर्मी हो जाती है, जिसे कई दिक्कते हो सकती है।


 

4. धूम्रपान या कोई अन्य नशाीली चीजें  
मीनोपॉज के दौरान किसी भी नशीले पदार्थ का सेवन न करें जैसे तम्बाकू गुटखा, सगरेट, शराब आदि। इससे खून में विटामिन डी की कमी हो जाती है, जिससे कूल्हे, कलाई या रीढ़ की हड्डी के फेक्चर की संभावना बढ़ जाती है। 

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