कोरोना काल की वो असली वाॅरियर्स, जिन्होंने जान हथेली पर रख निभाई जिम्मेदारी
punjabkesari.in Thursday, Dec 31, 2020 - 02:04 PM (IST)
साल 2020 को अलविदा कहने का समय आ गया है। इस साल जहां एक तरफ कोरोना वायरस महामारी ने दुनियाभर में कोहराम मचाया तो वहीं दूसरी तरफ कोरोना योद्धा इस जंग को जीतने की कोशिश में लगे रहे। कई फाइटर तो ऐसे हैं, जो अपनी जान व परिवार की जिम्मेदारियों को पीछे छोड़ अपना फर्ज निभाने में लगे रहे ताकि लोगों को इस वायरस से बचाया जा सके। आज हम आपको साल 2020 की उन महिला वाॅरियर्स के बारे में बताएंगे जो कोरोना मरीजों की सेवा के लिए आगे आईं।
डॉ. अंकिता अग्रवाल
दंत चिकित्सक डॉ. अंकिता अग्रवाल मातृत्व अवकाश पर थीं। जब उन्हें मरीजों की कठिनाइयों की जानकारी मिली तो उन्होंने घर पर रहने की बजाए बीमारों की सेवा करने का फैसला किया। उन्होंने आठ माह के अपने बच्चे को अपनी मां के पास छोड़ा और ड्यूटी पर लौट आईं।
शिखा मल्होत्रा
बाॅलीवुड एक्टर शाहरुख खान संग फिल्म फैन में नजर आ चुकी शिखा मल्होत्रा ने कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए नर्स बनकर कोरोना से संक्रमित मरीजों की सेवा की थी। मरीजों की सेवा करते हुए वह खुद भी कोरोना वायरस की चपेट में भी आ गई थी। हालांकि कोरोना की चपेट में आने के 20 दिन बाद ही शिखा को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी।
निधि परमार हीरनंदानी
फिल्ममेकर और प्रोड्यूसर निधि परमार हीरनंदानी ने लॉकडाउन में 42 लीटर ब्रेस्ट मिल्क डोनेट किया। जिससे बहुत से बच्चों की जहां भूख मिट वहीं उन्हें एक नया जीवन भी मिला। बता दें निधि इसी साल एक बेटे की मां बनी है। निधि का कहना था कि बेटे के जन्म के बाद उनका बहुत सारा ब्रेस्ट मिल्क वेस्ट जा रहा था। वह अपने इस दूध का किसी भी तरीके से इस्तेमाल करना चाहती थी। इसके बाद उन्होंने ठाना कि वह ब्रेस्ट मिल्क डोनेट करेंगी।
मुंबई की मेयर किशोरी पेडनेकर
मुंबई की मेयर किशोरी पेडनेकर ने कोरोना संकट में खुद नर्स बनकर मोर्चा संभाला। मुंबई के बीआईएल नायर चैरिटेबल हॉस्पिटल एंड टीएन मेडिकल कॉलेज में किशोरी पेडनेकर ने नर्स बनकर अपनी सेवा दी। बता दें किशोरी पेडनेकर राजनीति में आने से पहले 16 साल तक नर्स का काम कर चुकी हैं।
महिला कैब ड्राइवर विद्या
विद्या ने अपने परिवार से दूर लोगों को उनके घर पहुंचाने का जिम्मा अपने सिर ले लिया। लॉकडाउन के चलते विद्या को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा लेकिन बावजूद इसके विद्या ने अपना हौंसला नहीं छोड़ा और लोगों की मदद करने का फैसला किया। नौकरी न होते हुए भी विद्या खुद की कैब से मुसीबत में फंसे लोगों को उनके घर पहुंचाने का काम करती रहीं। इस काम के लिए उन्हें किसी भी तरह कोई आर्थिक मदद भी नहीं मिली।
लीसिया लित्व्नोवा
लीसिया ने जहां एक तरफ अपना 3 महीना का बेटा संभालता उसके साथ ही उन्होंने कोरोना पेशेंट्स को ऑक्सीजन जनरेटर उपलब्ध करवाया। लीसिया यूक्रेन में 'ऑवर्स' के नाम से एक चैरिटी चलाती हैं। इस चैरिटी के माध्यम से ही लिसिया लोगों की मदद करती हैं। जिन मरीजों को सांस संबंधी या फिर लंग्स डिसीज होती है या फिर किसी कोरोना मरीज को ऑक्सीजन की जरूरत होती है तो लिसिया उन्हें फ्री में ऑक्सीजन जनरेटर उपलब्ध कराती हैं।