क्या आप जानते हैं बुद्धा के Hand Gestures का मतलब?

punjabkesari.in Monday, Jun 14, 2021 - 02:18 PM (IST)

फेंगशुई में घर, दुकान या ऑफिस में बुद्धा की मूर्ति रखना बहुत अच्छा माना जाता है। इससे ना सिर्फ वातावरण शुद्ध व पॉजिटिव होता है बल्कि घर में भी सुख-शांति व समृद्धि आती है। मगर, क्या आप जानते हैं कि बुद्ध की हर मुद्रा का एक अलग महत्व होता है। चलिए आज हम आपको बताते हैं कि बुद्धा के किस Hand Gestures का क्या मतलब है और उसे घर में कहां रखना चाहिए।

अभय मुद्रा

बुद्ध द्वारा अपने दाहिने हाथ की हथेली को छाती के स्तर पर या थोड़ा ऊपर की ओर फैलाकर करते हैं। सुरक्षा और शांति की ऊर्जा को दर्शाने वाली यह मुद्रा घर के सदस्यों को आंतरिक शांति देती है। फेंगशुई के अनुसार, अभय मुद्रा बुद्ध रखने के लिए सबसे अच्छी जगह आपके घर या लिविंग रूम के मुख्य द्वार पर है।

ध्यान मुद्रा

इस मुद्रा में, अंगूठे से बने त्रिभुज और दोनों हाथों को स्पर्श करने से ऊर्जा का एक चक्र होता है जो मन को शुद्ध और शांत कर देता है। फेंगशुई के अनुसार, इसे योगा रूम, घर या स्टडी रूम में रखना फायदेमंद होता है।

नमस्कार मुद्रा

फेंगशुई के अनुसार, नमस्कार वाले बुद्धा को मुख्य प्रवेश द्वार, डिनर रूम, बेडरूम या ऑफिस में रखना चाहिए। इससे वातावरण पॉजिटिव होता है।

भूमिस्पर्श बुद्ध

कहा जाता है कि बुद्ध ने यह इशारा तब किया था जब वे पृथ्वी को छू रहे थे, उस समय जब वे ज्ञान प्राप्त कर रहे थे। इस मूर्ति को घर के केंद्र या मुख्य प्रवेश द्वार पर लगाना चाहिए।

वरदा मुद्रा

इस मुद्रा वाले बुद्धा ऊर्जा का उत्सर्जन करता है , जिससे वातावरण में हमेशा पॉजिटिविटी रहती है। इसके लिए सबसे अच्छा स्थान घर या ऑफिस की उत्तर-पश्चिम दिशा में है।

करण मुद्रा

करण मुद्रा वाले बुद्धा एक शक्तिशाली ऊर्जा का उत्सर्जन करते हैं जो नकारात्मक ऊर्जा या बुरी नजर को घर से दूर रखते हैं। इसे दरवाजे के सामने, शयनकक्ष या बच्चे के कमरे में नहीं रखा जा सकता है। इसे घर की उस जगह पर रखें जहां से नेगेटिव एनर्जी आ रही हो।

वज्रपद्मा मुद्रा

यह अटूट आत्मविश्वास का एक संकेत है, जो कोमलता, दया, चमक और उपचार की ऊर्जाओं का उत्सर्जन करता है। वज्रपद्म मुद्रा बुद्ध को घर, बैठक कक्ष या मुख्य प्रवेश द्वार पर लगाना सही है।

वितर्क मुद्रा

वितर्क मुद्रा एक ऐसा इशारा है जो शिक्षण, बौद्धिक चर्चा या तर्क की ऊर्जा को बाहर निकालती है। यह बिना किसी शब्द के शिक्षण और बिना किसी भय के ज्ञान प्रदान करने का प्रतीक है। फेंगशुई के अनुसार, इसे ऑफिस, पुस्तकालय या स्टडी रूम में लगाना चाहिए।

धर्मचक्र मुद्रा

इस भाव में, बुद्ध अपने हाथों को हृदय के स्तर पर अंगूठे और तर्जनी के साथ वृत्त बनाते है, जिससे ब्रह्मांडीय व्यवस्था सीधे उनके दिल से आती है। फेंगशुई के अुनसार, इसे घर के ऑफिस या बैठक कक्ष में रखना चाहिए।

उत्तरबोधि मुद्रा

यह परम ज्ञान की मुद्रा है, जिसे ऑफिस या लिविंग रूम लगाना सही रहता है। इसे उस स्थान ही नहीं बल्कि आस-पास के वातावरण में भी पॉजिटिव एनर्जी का वास होता है।

Content Writer

Anjali Rajput