मैरी कॉम ने जीता गोल्ड, इन 2 महिलाओं ने भी रोशन किया देश का नाम

punjabkesari.in Monday, Jul 29, 2019 - 11:42 AM (IST)

विदेश में भारत की महिलाओं ने जीत के सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए रविवार को इंडोनेशिया के लाबुआन बाजो में 23 वें राष्ट्रपति के कप में गोल्ड मैडल जीत कर दोबारा अपनी जीत का झंडा लहरा दिया है। उन्होंने साबित कर दिया है कि भारतीय महिलाएं किसी से भी कम नही है।  इस विश्व चैंपियनशिप में 36 वर्षीय मैरी कॉम ने गोल्ड मैडल जीता है। इसके साथ ही भारत दो अन्य महिला खिलाड़ियों सिमरजीत व जमुना बोडो ने भी गोल्ड मैडल जीत लिया है। 

छह बार रह चुकी विश्व चैंपियन मैरी कॉम

छह बार विश्व चैंपियन रह चुकी मैरी कॉम ने 51 किलोग्राम की कैटेगिरी में विश्व चैंपियनशिप प्रतियोगिता में दोबारा गोल्ड मैडल जीत लिया हैं। मैरी कॉम ने इंडिया ओपन में स्वर्ण पदक जीतने के दो महीने बाद इस टूर्नामेंट में खुद को परखने के उद्देश्य से पहुंची। इस प्रतियोगिता में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के अप्रैल फ्रैंक्स को 5 -0 से हराया। पिछले साल दिल्ली में अपना छठा विश्व खिताब जीतने के बाद, रूस के येकातेरिनबर्ग में होने वाली विश्व चैंपियनशिप में 2020 टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करना चाहती हैं।

"#PresidentCup इंडोनेशिया में मेरे लिए और मेरे देश के लिए स्वर्ण पदक। जीत का मतलब है कि आप लंबे समय तक काम करना चाहते हैं, कड़ी मेहनत करें और किसी और की तुलना में अधिक प्रयास करें। मैं ईमानदारी से मेरे सभी कोच और @BFI_office @KirenRijiju के सहायक कर्मचारियों का धन्यवाद करता हूं।" Media_SAI, "मैरी कॉम ने ट्वीट किया।

 

2018 में कांस्य, अब जीता गोल्ड 

2018 में विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड मैडल जीतने वाली सिमरनजीत कौर ने 60 किलोग्राम कैटेगिरी में स्वर्ण पदक जीता है। 24 साल की चक्कर पंजाब की रहने वाली है। उनकी मां की ओर से उन्हें बॉक्सिंग के लिए बढ़ावा दिया गया है। वह जहां पर प्रतियोगिता के लिए जाती उनकी मां उनका हौंसला बढ़ाने के पहुंच जाती था।   2011 में उन्होंने 6वीं जूनियर वुमैन नेशनल बॉक्सिंग चैंपियन पटियाला में कांस्य, 2012 में 4वी इंटर जोनल वुमैन नेशनल बॉक्सिंगचैंपियनशिप में कांस्य व सिल्वर मैडल जीता। अपनी जीत के इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने 2018 में इंटरनेशनल स्तर पर गोल्ड मैडल जीता। बॉक्सिंग की शुरुआत उन्होंने 2010 में की थी। शुरु में उनके पिता उऩ्हें मुक्के बाजी के लिए नही भेजना चाहते थे, लेकिन उनकी मां ने लड़ाई झगड़ा कर उऩ्हें भेज दिया। 


मां ने सब्जी बेच कर बनाया मुक्केबाज

असम के छोटे से गांव की रहने वाली जमुना बोडो ने इस प्रतियोगिता में 54 किलोग्राम कैटेगिरी में गोल्ड मैडल जीता है। यह 10 साल की ही थी जब इनके पिता इन्हें छोड़ कर चले गए थे, तब इनकी मां ने घर को चलाने की जिम्मेदारी संभाली। पिता के जाने के बाद मां ने रेलवे स्टेशन के पास सब्जी बेचनी शुरु की। मां ने काम करके उन्हें स्कूल की पढ़ाई पूरी करवाई, साथ ही उन्हें मुक्केबाज बनाया। इससे पहले वह 2015 में ताइपे में यूथ वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में कांस्य, 2014 में रुस में बॉक्सिंग टूर्नामेंट में गोल्ड मेडल  जीत चुकी हैं। 


 

Content Writer

khushboo aggarwal