''सुपर माॅम'' मैरी काॅम के सामने आई कई चुनौतियां, लेकिन नहीं मानी हार

punjabkesari.in Sunday, Mar 01, 2020 - 01:26 PM (IST)

मैरी कॉम एक ऐसा नाम है जिसने तिरंगे की शान को बढ़ाया है। आज हर भारतीय को उन पर गर्व है। महिला व्लर्ड चैंपियनशिप में 6 गोल्ड जीतने वाली मैरी कॉम का जन्म 1 मार्च, 1983 को मणिपुर के चुराचांदपुर में हुआ था। उनका पूरा नाम मैंगटे चंग्नेइजैंग मैरी कॉम है। मैरी ने बचपन में ही एथलीट बनने का सपना देखा था। मैरी कॉम ने 18 साल की उम्र में बॉक्सिंग की दुनिया में कदम रखा। लेकिन उनके लिए ये इतना आसान नहीं था, उनके सानमे कई चुनौतियां आई। एक समय तो ऐसा आया जब उन्हें अपने परिवार के खिलाफ जाना पड़ा था।

मैरी कॉम के घरवाले बाॅक्सिंग के सख्त खिलाफ थे। उनका कहना था कि यह खेल महिलाओं के लिए नहीं है। लेकिन वह रुकी नहीं उन्होंने बॉक्सिंग ट्रेनिंग के लिए 15 साल की उम्र में घर छोड़ दिया और ट्रेनिंग के लिए मणिपुर की राजधानी इम्फाल आ गईं। यहां स्पोर्ट्स अकैडमी में रहकर उन्होंने अपनी पढ़ाई के साथ-साथ बॉक्सिंग के हुनर को निखारा।

मैरी साल 2005 में शादी के बंधन में बंध गई। उन्हें सुपर माॅम के नाम से भी जाना जाता है। वो इसलिए क्योंकि जुड़वा बच्चों को जन्म देने के बाद उन्होंने ना सिर्फ मां का रोल अदा किया ब्लकि खुद को रिंग के लिए भी तैयार किया। शादी के बाद भी मैरी काॅम ने बाॅक्सिंग नहीं छोड़ी। उनके ससुराल वालों ने भी उनक पूरा साथ दिया।

मैरी काम अब तक 10 राष्ट्रीय पुरस्कार, कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार, विशेष इंटरनेशनल प्रतिस्पर्धाओं में कुल 14 गोल्ड मेडल, ओलिंपिक में ब्रॉन्ज मेडल और एक ओलिंपिक मेडल अपने नाम किए। मैरी कॉम के जीवन पर एक फिल्म भी बन चुकी है। जिसमें एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा ने मैरी कॉम का किरदार बखूबी निभाया था। यह फिल्म दर्शकों को भी काफी पसंद आई थी।

अब मैरी स्पोर्टस में ऐक्टिव रहने के साथ-साथ युवा मुक्केबाजों को भी तैयार कर रही हैं। मनीपुर में वह बॉक्सिंक अकादमी चलाती हैं। इसके साथ ही वह ओलिंपिक 2020 में गोल्ड मेडल की तैयारी कर रही हैं।

मैरी काॅम हर उस महिला के लिए एक उदहारण है जो चाहकर भी अपने सपनों को पूरा नहीं कर पाती। 

Content Writer

Sunita Rajput