इस मंदिर में शिवलिंग की नहीं भोलेनाथ के अंगूठे की होती है पूजा! नहीं नजर आता चढ़ाए जाने वाला जल

punjabkesari.in Wednesday, Aug 02, 2023 - 05:48 PM (IST)

भगवान शिव के भारत में कई सारे मंदिर हैं, जिनका दर्शन भर करने से सारे संकट दूर हो जाते हैं। इन्हीं में से एक है अचलेश्वर महादेव का चमत्कारी मंदिर है , यहां पर भक्त की पूजा से भोलेनाथ बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। ये माउंट आबू से करीब 11 किलोमीटर दूरी पर अचलगढ़ की पहाड़ियों पर बसा ये प्राचीन मंदिर है । कहते हैं यहां उनके पैर के दाहिने पैर के अंगूठे की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं क्या है इसके पीछे का रहस्य....

चमत्कारी है अचलेश्वक मंदिर

माउंट आबू की पहाड़ियों के पास अचलेश्वर मंदिर में भगवान शिवजी के पैर के अंगूठे की पूजा की जाती है। यह पहली जगह है जहां भगवान शिव या शिवलिंग की पूजा नहीं होती है, बल्कि उनके पैर के अंगूठे की पूजा होती है। ये प्राचीन मंदिर बहुत चमत्कारी है और लोगों में काफी प्रसिद्ध है।

अंगूठे के कारण ही टीके हैं पर्वत

ऐसी मान्यता है कि यहां पर स्थित पर्वत भगवान शिव के कारण ही टीके हुए हैं। अगर आप भगवान शिव का ये अंगूठ न होता तो ये पर्वत नष्ट हो जाते। भगवान शिव के अंगूठों को लेकर भी कई तरह के चमत्कार हो चुके है, जिनकी चर्चा आप यहां के लोगों से सुन लेंगे।

अंगूठे के नीचे है गड्ढा

अचलेश्वर मंदिर में बने भगवान शिव के अंगूठे के नीचे एक गड्ढा है। इसे लेकर ऐसी मान्यता है कि इसमें कभी भी पानी नहीं भरता। इसमें चाहे कितना भी पानी भर लिया जाए, लेकिन जल वहां नहीं रुकता। इतना ही नहीं, शिवजी पर चढ़ने वाला जल भी कभी यहां नजर नहीं आता। ये जल कहां जाता है इस बात का आज तक किसी को नहीं पता चला।

अंगूठे को लेकर ये है पौराणिक कथा

भोलेनाथ के अचलेश्वर मंदिर को लेकर पौराणिक कथा के हिसाब से एक बार हिमालय पर्वत पर भगवान शिव तपस्या कर रहे थे। उस दौरान अर्बुद पर्वत पर स्थित नंदीवर्धन हिलने लगा, जिससे भगवान शिव की तपस्या भंग हो गई। इस पर्वत पर भगवान शिव की नंदी भी थी। नंदी को बचाने के लिए भगवान शिव ने हिमालय पर्वत से ही अपने अंगूठे को अर्बुद पर्वत तक पहुंचा दिया। पैर का अगूंठा लगाते ही अर्बद पर्वत हिलने से रुक गया और स्थिर हो गया। तब से ही भगवान शिव के पैर का ये अंगूठा इस पर्वत को उठाए हुए है।
 

Content Editor

Charanjeet Kaur