सुनील दत्त की इस हीरोइन को शराब ने बना दिया था वेश्या

punjabkesari.in Wednesday, Apr 20, 2022 - 01:58 PM (IST)

ग्लैमर से भरी इस बॉलीवुड नगरी ने किसी को रातों-रात सुपरस्टार बना दिया तो किसी को रातों-रात बर्बाद कर दिया ये किस्से कहानियां तो आम ही सुनने को मिलती है। यहां कब किसी के साथ क्या हो जाए, कोई नहीं जानता। बहुत से स्टार्स यहां आए और गए। बहुत से अपनी किस्मत अजमाकर यहां के नायक बन गए जबकि कुछ मेहनत करने के बावजूद उजड़ गए और ऐसा बर्बाद हुए कि गुमनामी के अंधेरे में ही खो गए।

 

आज ऐसी ही अभिनेत्री की कहानी हम आपको बताने वाले हैं जो पहली ही फिल्म से सुपरस्टार तो बन गई थी लेकिन अपनी कहे या फैमिली की कुछ ऐसी गलतियां कर बैठी की कि फिर उनकी जिंदगी संभल नहीं पाई।

जी हां, हम बात कर रहे हैं अपने जमाने की एक्ट्रेस विमी की जिन्होंने अपने आखिरी दिन इस तरह काटे की उनकी अर्थी को कंधा देने वाला कोई नहीं बचा था और हालात इतने बुरे हो गए थे कि एक चाय वाले ठेले पर उनके शव को रखकर शमशान घाट तक पहुंचाया गया था। 

 

चलिए आपको बताते हैं विमी की ही स्टोरी। विमी जब इंडस्ट्री में आई तो वह पहले से ही शादीशुदा थी। बेहद खूबसूरत इस अभिनेत्री ने अपने परिवार की मर्जी के खिलाफ जाकर कलकत्ता के एक नामी मारवाड़ी व्यवसायी से शादी की थी वह पंजाबी परिवार से ताल्लुक रखती थीं और पंजाब के जालंधर में जन्मी थी और उनका पूरा नाम विमलेश वाधवा था और प्यार से सब उन्हें विमी कहते थे। विमी ने कलकता के इंडस्ट्रियलिस्ट शिवराज अग्रवाल से शादी की थी जिससे उनके 2 बच्चे भी थे। कोलकाता की फेमस कंपनी GDPA इंडस्ट्रियल स्टील ग्रुप शिव राज के पिता ने ही शुरू की थी। उनके बच्चे कहां हैं और किस हाल में हैं उस बारे में हम आपको इस पैकेज में बताएंगे।

 

विमी को एक्ट्रेस बनाने का क्रेडिट म्यूजिक डायरेक्टर रवि को जाता है जिससे विमी की मुलाकात कोलकत्ता की पार्टी के दौरान हुई थी। रवि ने ही विमी को मुंबई में इनवाइट किया और रवि ने उन्हें आगे डायरेक्टर बी. आर. चोपड़ा मिलवाया था। बी. आर चोपड़ा ने उन्हें फिल्म हमराज में बतौर लीड एक्ट्रेस साइन किया और इस फिल्म में राजकुमार, सुनील दत्त और मुमताज के अहम रोल थे। 'हमराज' सुपरहिट हुई और विमी रातोंरात सुपरस्टार बन गईं। 

हमराज के बाद विमी की झोली में और भी कई बड़ी खबरें आई। पहली फिल्म की कामयाबी से विमी को करीब 10 फिल्मों में काम करने का मौका मिला। आबरू, पतंगा, वचन, नानक नाम जहाज है, गुड्डी इन फिल्मों में उन्होंने काम किया लेकिन स्टार बनने के 10 साल बाद ही विमी को बेहद दुखभरी मौत नसीब हुई। 

 

आखिरी दिनों में वह कर्ज में डूब गई, शराब की आदी हो गई और खराब फैमिली लाइफ के चलते पूरी तरह बर्बाद हो गई थी। खबरों की मानें तो कहा जाता है कि हालात इतने बुरे हो गए थे कि विमी को अपना घर चलाने के लिए वेश्यावृति तक का रास्ता भी अपनाना पड़ा था और इन सबके पीछे का जिम्मेदार उनके पति को भी बताया जाता रहा है। 

 

कहा जाता है कि पति उन्हें प्रताड़ित करते थे और इस बात का फैसला भी विमी के पति के हाथ में था कि वह किस डायरेक्टर से मिलेंगी और किस फिल्म में काम करेंगी। नतीजा विमी के पति की इंटरफेयर के चलते इंडस्ट्री में विमी को काम मिलना बंद हो गया था और जब माली हालत बहुत ज्यादा बिगड़ गई तो विमी ने कई प्रोड्यूसर्स से मदद की गुहार लगाई लेकिन सभी ने इनकार कर दिया। कभी टॉप एक्ट्रेसेस में शुमार होने वाली फिल्मी अचानक फ्लॉप होने लगी और एक दिन गरीबी के चलते उन्हें अपना बंगला तक छोड़ना पड़ा। 

 

 

एक वक्त महंगे कपड़े पहनने वाली, मंहगी गाड़ियों में चलने वाली और लाखों रुपए कमाने वाली विमी अपने पति और खुद की गलतियों की वजह से धीरे-धीरे गुमनामी के अंधेरे में खोती चली गईंं। पति-पत्नी के बीच तनाव था वहीं कहा ये भी जाता है कि वह एक टेक्सटाइल इंडस्ट्री भी चलाती थीं जिसमें उन्हें इतना घाटा पड़ गया कि उसके कर्ज तले दब गई। पति से भी उनकी खास बनती नहीं थी पति मुंबई छोड़कर कलकत्ता वापिस आ गए और पति से अलग होने के बाद वह डिप्रेशन में आ गई थीं। 

विमी के खर्चीले लाइफस्टाइल ने विमी को गरीब बना दिया। पति से अलग होने के बाद विमी एक जॉली नाम के प्रोड्यूसर के साथ रहने लगी थी लेकिन तनाव तंगहाली के चलते वो भी विमी का साथ छोड़ गया। धीरे धीरे विमी शराब की आदी हो गई और शराब की चाहत ने उन्हें देह व्यापार में धकेल दिया उसके बाद तो उनका बचा खुचा करियर भी बर्बाद हो गया।  घटिया शराब पीने के चलते विमी का लीवर पूरी तरह खराब हो गया था और एक दिन ये हीरोइन दुनिया को अलविदा कह गई।

 

आखिर के दिनों में वे मुंबई के नानावटी अस्पताल के जनरल वॉर्ड में भर्ती रहीं। 22 अगस्त 1977 को नानावटी अस्पताल में ही विमी का निधन हो गया लेकिन उस वक्त उन्हें कंधा देने वाला भी कोई नहीं था। विमी के खुद के परिवार के पास इतने पैसे भी नहीं थे कि उनकी शव यात्रा निकाल सकें। हालांकि ससुराल वाले पहुंचे थे के नहीं इसकी जानकारी नहीं है। उनकी लाश को एक ठेले पर डालकर शमशान घाट तक ले जाना पड़ा था। उनकी अंतिम यात्रा में बस 4 से 5 लोग ही शामिल थे। 

विमी दुनिया से अलविदा तो कह गई लेकिन अपने पीछे कई सवाल छोड़ गई। कि कलाकारों की दुनिया में स्वार्थ, सफलता और धन के मध्य जहां इंसानी जिन्दगी कोई मायने नही रखती। उन्हें सिर्फ जमाने की रूसवाई मिली। जैसे कि हमने बताया कि विमी के दो बच्चे थे। एक बेटा और बेटी हालांकि बेटी के बारे में तो कभी कोई जानकारी सामने नहीं आ पाई लेकिन बेटे रजनीश के बारे में जो जानकारी उपलब्ध है उसके बारे में हम आपको बताते हैं। 

 

विमी ने कलकत्ता के एक नामी बिजनेसमेन परिवार के लाडले बेटे शिवराज अग्रवाल से लवमैरिज की शादी की थी उनके घर पहले ही साल बेटे रजनीश का जन्म हुआ। रजनीश हाई सोसाइटी परिवार से ताल्लुक रखते थे इसलिए उनका पालन-पोषण भी वैसे ही हुआ। रजनीश ने दार्जिलिंग से अपनी पढ़ाई की और आगे चलकर उन्होंने आर्किटेक्ट की शिक्षा लेकर झुनझुनवाला ग्रुप कंपनी में बतौर डिजाइनर काम करने लगे। साल 1993 में उन्होंने ये नौकरी शुरू की थी जहां उन्होंने काफी अच्छा सैलेरी पैकेज मिला और नौकरी के दम पर देश विदेश की सैर भी की लेकिन रजनीश आध्यात्मिक गुरु ओशो के संपर्क में आए जहां वहां ओशो गुरू के काफी करीबी हो गए और पूने आश्रम में रहने लगे। ओशो गुरू ने उनका नाम स्वामी रजनीश कर दिया। दुनिया भर से आने वाले लाखों श्रद्धालु उन्हें इसी रूप में पहचानने लगे। जब ओशो दुनिया से विदा हुए तो स्वामी रजनीश हिमायल की वादियो में एकांत वास में चले गए। करीब 9 साल वह एकांत वास में ही रहे फिर उनके विदेशी भक्तों ने कहा कि वह दुनियाभर में भ्रमण कर ओशो प्रचार क्यों नहीं करते जिसके बाद साल 2007 में उन्होंने भ्रमण शुरू किया और मेडिटेशन और सन्यास कैंप लगाने शुरू किए। इस तरह वह काफी फेमस हो गए थे कि भक्तों की मांग थी कि वह अपना आश्रम खोले लेकिन कुछ कारणों के चलते ऐसा हो नहीं पाया था लेकिन मेक्सिको में स्वामी रजनीश का 50 एकड़ में फैला ओज़ेन रजनीश नाम से आश्रम है जो एक एनजीओ की तरह काम करता है। यह सारी जानकारी रिपोर्ट के जरिए ही दी गई है। 

 

आपको हमारा ये पैकेज कैसा लगा हमें बताना ना भूलें। 

Content Writer

Vandana