महिलाओं के लिए 23 दिन जेल गई थी शीला दीक्षित, पढ़िए उनकी लाइफ स्टोरी

punjabkesari.in Saturday, Jul 20, 2019 - 07:34 PM (IST)

राजनीति में अपनी एक खास पहचान बनाने वाली व महिलाओं के लिए उदाहरण स्थापित करने वाली कांग्रेस की 81 वर्षीय वरिष्ठ नेता शीला दीक्षित ने शनिवार को फोर्टिस अस्पताल में अपने आखिरी सांस ली। अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. शोक सेठ ने बताया कि उन्हें दिल का दौरा पड़ने के कारण उनका देहांत हुआ है। शीला दीक्षित दिल्ली की दूसरी महिला मुख्य मंत्री हैं। अपने राजनीतिक सफर के साथ जीवन में महिलाओं के लिए बहुत काम किया हैं। आईए बताते है उनके जीवन से जुड़े कुछ किस्सों के बारे में। 

ससुर से सीखे राजनीति के गुर 

शीला ने राजनीति के गुर अपने ससुर उमशंकर दीक्षित से सीखे। जो इंदिरा गांधी मंत्रिमंडल में गृह मंत्री रह चुके है। इसके बाद कर्नाटक व पश्चिम बंगाल के राज्यपाल भी। वह15 साल ( 1998 से 2013 ) तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रही है। इस समय वह दिल्ली कांग्रेस की अध्यक्ष थी। 1984 से 1989 तक वह कन्नौज लोकसभा सीट से सांसद रही। 1986 से 1989 तक केंद्रीय मंत्री का पद संभाला। 2014 में उन्हें केरल का राज्यपाल बनाया गया था। लेकिन 25 अगस्त 2014 को इन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद इसी साल उन्होंने उत्तर पूर्व दिल्ली से लोकसभा के इलेक्शन लड़े थे। जिसमें उन्हें भाजपा के मनोज तिवारी के सामने हार का सामना करना पड़ा था। 

पंजाब के कपूरथला में हुआ था जन्म 

इनका जन्म 31 मार्च 1938 को पंजाब के कपूरथला में हुआ था। जबकि उनकी पूरी शिक्षा दिल्ली के जीसस एंड मेरी कॉन्वेंट स्कूल में हुई। दिल्ली यूनिवर्सिटी के मिरांडा हाउस में उन्होंने इतिहास में मास्टर की डिग्री हासिल की। उनकी शादी यूपी के आईएएस अधिकारी विनोद दीक्षित के साथ हुई था। विनोद कांग्रेस के बड़े नेता व बंगाल के पूर्व राज्यपाल उमाशंकर दीक्षित के बेटे थे। इनके बेटे संदीप दीक्षित दिल्ली के सांसद भी रह चुके हैं। 


नेहरु से मिलने पैदल तीन मूर्ति भवन पहुंची थी शीला

भारत के बाजारों में गोल्ड स्पॉट प्रवेश कर चुका था, लेकिन टेलिविजन की अभी शुरुआत नही हुई थी। रेडियों पर कुछ ही घंटों के लिए प्रोग्राम आता था। तब एक दिन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु का प्रोग्राम सुन कर 15 साल की बच्ची शीला ने उनसे मिलने का मन बना लिया। तब वह पैदल चल कर तीनमूर्ति भवन पहुंच गई थी। 

दोस्तों का झगड़ा सुलझाते हुए विनोद और शीला आए थे पास 

एक बार कॉमन दोस्तों का झगड़ा सुलझाते हुए शीला व विनोद एक दूसरे का पास आए थे। विनोद अक्सर शीला के साथ बस में फिरोजशाह रोड़ जाया करते था, ताकि वह उनके साथ अधिक से अधिक समय व्यतीत कर सकें। एक दिन चांदनी चौक के सामने विनोद ने उन्हें कहा था कि वह अपनी मां को कहने जा रहे है कि उन्हें लड़की मिल गई है, जिससे वह शादी करना चाहते है। तब शीला ने कहा कि क्या आपने लड़की से बात की है, तब विनोद ने कहा कि वह लड़की मेरे साथ बैठी हुई है। शादी को लेकर विनोद के घर पर काफी विरोद हुआ, क्योंकि शीला ब्राह्मण परिवार से नही थी। 

विनोद को छोड़ने गई, खुद ही रास्ता भूल गई 

एक बार लखनऊ से अलीगढ़ आते समय विनोद की ट्रेन छूट गई थी, तब विनोद ने शीला से कहा कि वह ड्राइव कर उन्हें कानपुर छोड़ दे। ताकि वह ट्रेन पकड़ सकें। तब शीला खुद बारिश के मौसम में उन्हें छोड़ने गई थी। लेकिन जब वह खुद स्टेशन से बाहर आई तो कानपुर की सड़कों का रास्ता नही पता लगा। मदद के लिए कुछ लड़कों से रास्ता पूछा तो वह उन्हें देख कर गाना गाने लगे, तब वहां कॉन्स्टेबल आ गया। एसपी से फोन पर बात करने के बाद पुलिस वाले उन्हें वापिस छोड़ने आए। 

इंदिरा गांधी को खिलाई जब जलेबी व वनीला आइसक्रीम 

एक दिन इंदिरा गांधी उनके घर खाने पर आई तो शीला ने उन्हें खाने में जलेबी व गर्मा-गर्म वनीला आइसक्रीम पेश की। उसके बाद अगले दिन ही उन्होंने अपनी रसोइए को यह विधि जानने के लिए भेज दिया। उसके बाद कई बार खाने के बाद यह रेसिपी उन्हें सर्व की गई। 

पढ़ने के साथ फिल्मों का था शौंक

शीला को पढ़ने के साथ फिल्में देखने का काफी शौंक था। शाहरुख खान की वह बहुत बड़ी फैन थी, इसलिए उन्होंने दिलवाले दुल्हनिया ले जाएगें फिल्म कई बार देखी थी। इससे पहले वही दिलीप कुमार व राजेश खन्ना की काफी बड़ी फैन रही है। रात को सोने से पहले उन्हें संगीत सुनना काफी अच्छा लगता था। 

महिलाओं के लिए 23 दिन की जेल की यात्रा

राजनीति में आने से पहले वह कई संगठनों के साथ जुड़ी हुई थी। दिल्ली में दूसरे शहरों से आई काम करने वाली महिलाओं के रहने के लिए दो होस्टल बनवाए। महिलाओं को समाज में बराबरी का स्तर दिलाने के लिए उन्होंने काफी अभियानों का नेतृत्व भी किया। अगस्त 1990 में उत्तरप्रदेश में अपने 82 साथियों के साथ जेल की यात्रा कर चुकी हैं। क्योंकि वह महिलाओं पर समाज के अत्याचारों के खिलाफ खड़ी हुई थी। लोकसभा की समितियों में रहने के साथ साथ संयुक्त राष्ट्रीय में महिलाओं के आयोग में भारत की प्रतिनिधि भी रह चुकी है। इसके साथ ही वह दीक्षित इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट की सचिव के पद पर भी काम कर चुकी हैं। 

मंत्रियों ने भी जताया शोक 

शीला दीक्षित के देहांत पर देश के सभी दिग्गज नेताओं ने ट्विटर पर शोक व्यक्त किया। देशभर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं में शोक की लहर दौड़ गई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि दिल्ली के विकास में शीला का खास योगदान रहा है। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि शीला दीक्षित का निधन दिल्ली के लिए क्षति हो सकती है। इसके साथ ही पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, उमर अब्दुल्लाह व अन्य कई नेताओं ने शोक व्यक्त किया। 

 

 

Content Writer

khushboo aggarwal