80 साल की जोधईया बाई की कला का नहीं कोई जवाब, विदेशों तक हैं इनकी चित्रकला के चर्चे

punjabkesari.in Thursday, Dec 17, 2020 - 01:24 PM (IST)

सपने पूरे करने की और खुद की कला को ढूंढने की कोई उम्र नहीं होती है। आप चाहे तो अपने सपने 80 साल की उम्र में भी पूरा कर सकते हैं और अपने अंदर की कला को पहचान सकते हैं। आज हम आपको जिस महिला की कहानी बताने जा रहे हैं  उन्होंने न सिर्फ देश दुनिया में अपना नाम कमाया बल्कि खुद के नाम को भी एक पहचान भी बनाया। दरअसल 80 साल की जोधईया बाई हाथों में ब्रश पकड़ कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना रही हैं। वह मध्यप्रदेश उमरिया के लोरहा गांव की रहने वाली हैं। 

इंटरनेशनल लेवल पर जा चुकी हैं जोधईया बाई की पेंटिंग्स

जोधईया बाई आज अपने काम से अपनी अलग पहचान बना रही है। वह तकरीबन 40 सालों से पेंटिंग कर रही हैं। देश में तो उनकी पेंटिंग प्रदशित हो ही चुकी हैं वहीं साथ में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना रही हैं।

कैसे की पेंटिंग की शुरूआत 

जोधईया बाई का इन रंगों से नाता काफी पुराना है। जैसे कि हमने बताया वह पिछले 40 सालों से इस काम को कर रही हैं।  पति के निधन के बाद उन्होंने रंगों की मदद से कागज पर विभिन्न तरह की आकृतियां बनानी शुरु की थी। हालांकि बाई को जिंदगी में काफी परेशानियों का सामना भी करना पड़ा। उन्हें अपने बच्चों को पालने के लिए लकड़ी की कटाई भी करनी पड़ी और शराब तक भी बेचनी पड़ी लेकिन जोधईया बाई ने हार नहीं मानी। पति के जाने के बाद उन्होंने अपने दुख को पीछे छोड़ते हुए जिंदगी में आगे बढ़ने की सोची। धीरे-धीरे वह अपना सारा समय इसी काम में बीताने लगी और उन्हें अपने आस-पास कोई भी चीज दिखती है वह उसकी पेंटिंग बनाने लग जाती है। इस समय वह विभिन्न चीजों पर पेटिंग बना चुकी हैं।  जोधईया बाई ने पेंटिंग्स बनाने के लिए भारत के कई हिस्सों का दौरा किया हैं। 

दूसरी दुनिया में ले जाती हैं पेंटिंग : जोधईया 

अपनी इस कला पर जोधईया कहती है कि उन्हें पेंटिंग करना पसंद है और जब वह पेंटिंग करती हैं तो किसी और ही दुनिया में चली जाती हैं। अपनी सफलता पर वह आगे कहती हैं कि उन्हें खुशी होती है कि आज उनका गांव अंतराष्ट्रीय स्तर पर नाम कमा रहा है। 

विश्व के जाने माने कलाधर्मियों ने  काम को सराहा 

आपको बता दें कि जोधईया बाई द्वारा बनाई गई पेंटिंग्स की इटली के मिलान शहर में प्रदर्शनी लगाई गई है। मिलान की आर्ट गैलरी में जोधईया की पेंटिंग प्रदर्शनी पर कार्ड बांटे गए जिस पर भगवान शिव के चित्र बने हुए है। इन पेंटिंग्स को भी उन्होंने  खुद बनाया है। एग्जिबिशन के माध्यम से उनके हुनर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली हैं। 

आसान नहीं था सफर 

हालांकि बाई के लिए मध्य प्रदेश के एक छोटे से आदिवासी समुदाय से निकलकर अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहचान पाना इतना आसान नहीं था लेकिन बाई की जिंदगी से हमें यह प्रेरणा मिलती हैं कि अगर आप में जिद्दी हौसले हैं तो आपको कोई भी हरा नहीं सकता है। 

Content Writer

Janvi Bithal